home page

cheque bounce : बैंक चेक बाउंस के मामले में कब तक नहीं होगी जेल, सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ

cheque bounce case : बैंकिंग सेक्टर में चेक से पेमेंट एक पुराना और काफी प्रचलित माध्यम है। छोटी से बड़ी पेमेंट चेक के माध्यम से की जा सकती है। लेकिन अगर हम किसी को यूपीआई कर रहे हैं और वह रिजेक्ट हो जाती है तो इसमें कोई सजा नहीं है। वहीं, चेक (cheque bounce) किसी को दे दिया और वह रिजेक्ट हुआ तो जेल जाने की नोबत भी आ सकती है। चेक बाउंस के केस में सुप्रीम कोर्ट ने भी चीजें साफ कर रखी हैं। 
 | 
cheque bounce case : बैंक चेक बाउंस के मामले में कब तक नहीं होगी जेल, सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ

Hr Breaking News (cheque bounce case rules) : जब चेक बाउंस होता है तो इसे एक वित्तीय अपराध की श्रेणी में रखा जाता है। अगर चेक बाउंस के मामले में रजामंदी नहीं होती है तो आरोपी को सजा सुनाई जाती है। लेकिन चेक बाउंस के मामले में कई नियम होते हैं। चेक बाउंस (cheque bounce act) के मामले में सजा और सजा से बचाव के बारे में आइए जानते हैं इस आर्टिकल में। 

ये भी जानें : Income Tax : बैंक FD पर नहीं लगेगा इनकम टैक्स, लाखों लोगों को होगा फायदा

पहले जानिए क्या होता है चेक बाउंस


चेक बाउंस होने की कई कंडिशन होती है। लेकिन, आम तौर पर जब कोई व्यक्ति किसी को चेक देता है और चेक में भरी गई राशि चेक देने वाले के खाते में नहीं होती है तो बैंक से चेक को रिजेक्ट कर दिया जाता है। इसे ही चेक बाउंस (what is cheque bounce) कहा जाता है। इसमें बैंक का भी फोकट में टाइम खराब होता है और जिसको पेमेंट की गई है वो भी पेमेंट न मिलने से परेशान होता है। वहीं, कई बार साइन मैच न होने के कारण भी चेक रिजेक्ट हो जाता है। 

ये भी जानें : Cheque Bounce : चेक बाउंस होने के इन मामलों में नहीं दर्ज होगा केस, चेक से लेनदेन करने वाले जान लें नियम


चेक काटते समय रखें ध्यान


कई बार लोग किसी को चेक काटकर दे देते हैं, इसी बीच बैंक से कोई ईएआई या अन्य चार्ज कटकर चेक क्लीयर होने के समय तक चेक में भरे के रुपयों से कम खाते में राशि चली जाती है। ऐसे मामलों में भी चेक बाउंस (cheque bounce Rule) ही माना जाएगा। इसलिए जब किसी को चेक दें तो चेक काटते समय अपने अकाउंट में रुपयों को ध्यान जरूर रखें। 

 

चेक बाउंस मामले में इस धारा के तहत दर्ज होता है केस


चेक बाउंस होना आपने सुना भी होगा। यह देश में एक वित्तिय अपराध है। इसमें कानूनी रूप से सजा का प्रावधान है। सजा के रुप में जुर्माना या जेल या दोनों हो सकते हैं। चेक बाउंस का मामला निगोशिएबल इंट्रूमेंट एक्ट (cheque bounce acts) 1881 की धारा 138 के तहत दर्ज होता है। 


चेक बाउंस एक फाइनेंशियल क्राइम है। आजकल इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं। अदालत पहले राजीनामा कराने का प्रयास करती हैं, लेकिन फिर भी केस हल नहीं होता है तो सजा दी जाती है। ज्यादातर केस में सजा ही होती है। चेक बाउंस (cheque bounce Punishment) मामलों में अभियुक्त कम ही बरी होते हैं। इसके हमें सभी कानूनी प्रावधान पता होने चाहिए। 

 

चेक बाउंस होने पर कब देना होता है मुआवजा


चेक बाउंस का मामला एक फाइनेंशियल अपराध है। चेक बाउंस मामले को निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 (Negotiable Instruments Act 1881) की धारा 138 के अंतर्गत चलता है। इसमें ज्यादा से ज्यादा दो साल की सजा हो सकती है। आम तौर पर अदालतें इसमें छह माह या फिर एक साल की सजा देती हैं। आरोपी को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 के अनुसार पीड़ित को मुआवजा देने के आदेश भी दिए जा सकते हैं। मुआवजा चेक की राशि से दोगुना हो सकता है। 


चेक बाउंस केस में कब तक नहीं जा सकता जेल


चेक बाउंस (cheque bounce court case) एक बेलेबल अपराध है। इसमें सजा सात साल से कम की है। इसमें अधिकतम सजा दो साल हो सकती है। केस के आखिरी फैसले तक आरोपी को जेल नहीं जाना पड़ता है। आरोपी आखिरी फैसले तक जेल से बच सकता है। वहीं जेल होने पर सजा को निलंबित करने की गुहार आरोपी लगा सकता है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 389(3) के तहत आरोपी अपील कर सकता है। 

 

यह एक जमानती अपराध है तो आरोपी जमानत ले सकता है। इस मामले में सजा को निलंबित भी किया जा सकता है। आरोपी दोषी मिलता है तो वह दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 374(3) के अनुसार सेशन कोर्ट में तीस दिन अपील कर सकता है। 

 

चेक बाउंस (cheque bounce Punishment) के मामले में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 139 में केस चलता है। इसी कानून में 2019 में अंतरिम मुआवजा जैसे प्रावधान भी लाए गए। आरोपी कोर्ट में पहली पेशी पर शिकायतकर्ता को चेक की रकम का 20 प्रतिशत दे सकता है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट (cheque bounce supreme court) ने इसमें बाद में बदलाव कर दिया। इसमें पहली पेशी की बजाय अपील के समय ही अंतरिम मुआवजा दिलाए जाने के प्रावधान को जोड़ा गया। आरोपी की अपील मान्य हो जाती है तो आरोपी को ये राशि वापस मिल जाएगी।