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Delhi High Court Judgement : पति की संपत्ति पर पत्नी का कितना अधिकार, दिल्ली हाईकोर्ट ने किया साफ

Delhi High Court : संपत्ति अधिकार पर हुए विवादों के अनेकों केस कोर्ट में पेंडिंग पड़े हैं। ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट ने संपत्ति पर हक से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस बात को साफ-साफ बताया है कि पति की संपत्ति पर पत्नी का कितना अधिकार होता है।
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Delhi High Court Judgement : पति की संपत्ति पर पत्नी का कितना अधिकार, दिल्ली हाईकोर्ट ने किया साफ

HR Breaking News : (High Court Judgement) प्रॉपर्टी के अधिकार पर हुए झगड़े से जुड़े सैकड़ों मामले रोजाना नहीं नहीं सुनने को मिलते हैं। संपत्ति पर हो रहे विवादों को रोकने के लिए प्रॉपर्टी बंटवारे को लेकर कई तरह के नियम (Rules regarding property division) और कानून भी बनाए गए हैं। आज हम आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सुनाई गई फैसले के बारे में जो कि पति की संपत्ति पर पत्नी के अधिकार से जुड़ा है।


मामले की सुनवाई करते हुए जज प्रथिबा एम सिंह ने उन हिंदू महिलाओं के बारे में कहा जिनके पति की पहले मौत हो गई है और उनके पास खुद का कोई इनकम सोर्स नहीं है। ऐसे में उनके पति की संपत्ति (husband's property) से वित्तीय स्थिति को सुनिश्चित करना उनके लिए बेहद जरूरी हो जाता है। क्योंकि वह संपत्ति सुनिश्चित करती है कि वह पति की मौत के बाद बच्चों पर निर्भर ना रहे।


इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी


इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट का कहना है कि इस तरह के हालातो में पत्नी को अपने जीवन के दौरान अपने  मृत पति की प्रॉपर्टी का सुख लेने का पूरा-पूरा हक है। पत्नी जीवन भर अपने पति की संपत्ति से हुई कमाई (Income from husband's property) का सुख उठा सकती है।


मृत पति की पत्नी के पास रहेंगे यह अधिकार


जज प्रथिबा एम सिंह का कहना है कि प्रॉपर्टी पर यह अधिकार पूर्ण स्वामित्व के बराबर नहीं है। पूरी प्रॉपर्टी को भरण पोषण के रूप में माना जाना चाहिए। ताकि पत्नी को पति की मृत्यु के बाद उसकी प्रॉपर्टी पर पूरा पूरा अधिकार (wife's rights) मिल सके। मर्द पति की उसे संपत्ति का किराया वसूलने तथा उसका उपयोग करने का पत्नी को पूरा-पूरा हक होगा।

ये है पूरा मामला...


जज प्रथिबा एम सिंह की तरफ से यह टिप्पणी (Delhi High Court Judgement) उस केस की सुनवाई के दौरान की गई जिसमें जज प्रथिबा उस संपत्ति बंटवारे के मामले (Property division cases) पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 1989 में पिता की मौत के बाद कई भाई बहनों के बीच संपत्ति का बंटवारा होना था। इसमें पति ने अपनी पत्नी के पक्ष में एक वसीयत (Will in favour of wife) बनाई थी जिसमें कहा गया था कि वह पूरी संपत्ति अपनी पत्नी को सौंप देंगे। परिवार के सदस्यों की तरफ से इस मामले को चुनौती दी गई थी।