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Delhi High Court : पति की कमाई को लेकर पत्नी ने मारा ताना, पड़ गया भारी, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Husband's Legal Rights : रिश्तों में शब्दों का बहुत महत्व होता है, खासकर जब बात पति-पत्नी के बीच हो। एक दूसरे पर की गई तंज भरी बातें न केवल दिलों में खटास लाती हैं, बल्कि एक दूसरे की नजर में सम्मान भी घटाती हैं। अगर पत्नी या पति (Husband's Rights in law) एक दूसरे को अपशब्द कहते हैं, तो यह रिश्ते में गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। अदालत ने भी यह माना है कि इस तरह की बातें आपस में दरार का कारण बन सकती हैं। कोर्ट ने पति की कमाई पर पत्नी की ओर से ताना मारे जाने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट के फैसले से जानिये पति पर ताना मारना पत्नी को कितना महंगा पड़ा।

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Delhi High Court : पति की कमाई को लेकर पत्नी ने मारा ताना, पड़ गया भारी, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

HR Breaking News -(High Court decision) कभी-कभी मामूली बातें रिश्तों में दरार डाल देती हैं। छोटी सी नोकझोंक या अपमानजनक शब्द पति-पत्नी के रिश्ते को खत्म कर सकते हैं। ऐसे में दोनों के लिए यह स्थिति खतरनाक हो सकती है। हाल ही में एक अदालत ने कहा कि यदि पत्नी अपने पति को अपमानित करती है और उसे नकारात्मक शब्दों से बुलाती है, तो वह संबंधों में दूरियों का कारण बन सकती है।

तानेबाजी उस उत्पीड़न के समान है, जो पति की मानसिक स्थिति (mental harassment) को बहुत प्रभावित कर सकता है। इस तरह के शब्द आत्महत्या जैसी गंभीर स्थिति को भी जन्म दे सकते हैं। अदालत ने यह साफ किया कि ऐसे शब्दों का उपयोग रिश्ते में घातक हो सकता है। कोर्ट ने ऐसे एक मामले में अहम फैसला सुनाने के साथ ही पति के अधिकारों को भी संरक्षण दिया है। कोर्ट का यह फैसला रिश्तों में समझदारी और सम्मान की अहमियत को स्पष्ट करता है, ताकि रिश्ते मजबूत बने रहें।

क्या कहा दिल्ली हाई कोर्ट ने -


दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने पत्नी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने पति के खिलाफ पारिवारिक अदालत के तलाक देने के आदेश को चुनौती दी थी। पारिवारिक अदालत ने पति की याचिका पर विचार करते हुए कहा कि पत्नी की कुछ हरकतें, जैसे घर छोड़ने के लिए मजबूर करना, कर्ज लेने के लिए ताना देना और हैसियत व घर में मौजूद सीमित संसाधनों के साथ तालमेल न बैठाना, मानसिक पीड़ा का कारण बनती हैं। 


फैमिली कोर्ट ने ये दिए थे आदेश-


दिल्ली उच्च न्यायालय (Court decision on husband insult) ने यह भी कहा कि किसी भी व्यक्ति को उसकी आय का ताना मारना और उस पर ऐसे इच्छाएं पूरी करने का दबाव डालना, जो उसकी आर्थिक स्थिति में संभव नहीं हैं, लगातार असंतोष और तनाव का कारण बन सकता है। यह स्थिति व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है और उसके जीवन में शांति और संतुष्टि को प्रभावित कर सकती है। पारिवारिक अदालत ने पति की याचिका पर पत्नी को ताने मारने को गलत ठहराते हुए तलाक देने के आदेश दिए थे। इसके बाद पत्नी ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी, वहां भी पति के पक्ष में ही फैसला लिया गया।

इस पक्ष को है तलाक मांगने का हक - 


अदालत ने एक महत्वपूर्ण कानून  हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1ए)(ii) (Section 13(1A)(ii) of the Hindu Marriage Act) का उल्लेख करते हुए कहा कि यह कानूनी प्रावधान किसी भी व्यक्ति को तलाक की अनुमति देता है, अगर उसके साथी ने विवाहिक अधिकारों को फिर से लागू करने के आदेश का पालन नहीं किया है। अदालत ने यह तर्क खारिज किया कि केवल वही व्यक्ति तलाक मांग सकता है, जिसके पक्ष में कुछ राहत दी गई हो। इसने स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति या पक्ष को यह अधिकार (Women's rights in law) है कि अगर उनके साथी ने विवाह से जुड़ी शर्तों का उल्लंघन किया है तो तलाक के लिए अर्जी लगा सकता है। 

निचली अदालत के फैसले पर टिप्पणी-


इस मामले में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया, जिसमें यह स्वीकार किया गया था कि पत्नी की ओर से पति पर तानेबाजी गलत है और वह रिश्तों में दरार सहित तलाक का कारण भी बनती है। ये तानेबाजी तलाक की मांग किए जाने के बाद मजबूत आधार बन सकती हैं। 

घरेलू हिंसा से होता है यह नुकसान -


एक परिवारिक जीवन में लगातार उलझनों और परेशानियों का सामना करना किसी के लिए भी मानसिक रूप से थकाऊ हो सकता है। जब छोटे-छोटे विवाद समय के साथ बढ़ते हैं, तो यह व्यक्ति की मानसिक स्थिति (Mental harassment in domestic violence) को प्रभावित करने लगता है। इससे जीवन साथी के बीच आपसी संबंधों में तनाव उत्पन्न होता है। धीरे-धीरे, यह तनाव इतना बढ़ सकता है कि दंपत्ति के लिए अपने रिश्ते को बचाना मुश्किल हो जाता है। इस प्रकार की स्थितियां एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन जीने में रुकावट डालती हैं।