Gratuity New Rule : कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर, अब कर दी ये गलती तो नहीं मिलेगा ग्रेच्युटी का पैसा
HR Breaking News - (employee's Gratuity Rules)। नौकरीपेशा लोगों के लिए बेहद जरूरी खबर आई है। बता दें कि वेतन की तरह ही ग्रेच्युटी (Gratuity update rules) भी किसी कर्मचारी के लिए अहम होती है। यह कंपनी या विभाग की ओर से बेहतरीन कार्य के लिए एक निश्चित अवधि के बाद दी जाती है। अब इस पर लेटेस्ट अपडेट आया है कि कर्मचारी की ओर से ये गलती की गई तो वह ग्रेच्युटी (Gratuity kab milti h) का हकदार नहीं होगा। उसे ग्रेच्युटी राशि से वंचित कर दिया जाएगा।
रिवार्ड के तौर पर मिलती है ग्रेच्युटी-
5 साल की नौकरी के बाद किसी कर्मचारी को रिवार्ड के तौर पर मिलने वाली ग्रेच्युटी (what is Gratuity) अब इस गलती के कारण नहीं मिलेगी। सर्विस पीरियड के आधार पर कर्मचारी को नौकरी छोड़ते समय या रिटायरमेंट पर दी जाने वाली ग्रेच्युटी (Gratuity rights) राशि को इस स्थिति में कंपनी की ओर से रोक जाने का अधिकार है।
कंपनी को पहुंचा नुकसान तो नहीं मिलेगी ग्रेच्युटी-
किसी कर्मचारी (employee's rights for gratuity) की गलती की वजह से कंपनी को बड़ा नुकसान होता है तो कंपनी उसकी ग्रेच्युटी राशि नहीं देगी। हालांकि कंपनी को इसके लिए कारण बताना होगा और कर्मचारी को नोटिस (show cause notice) देकर उसका पक्ष जानना होगा। कर्मचारी पर अनैतिक व्यवहार का आरोप लगने व दोषी मिलने पर भी यह राशि नहीं मिलेगी।
कारण बताओ नोटिस करना होगा जारी-
कंपनी बिना किसी वजह के किसी कर्मचारी की ग्रेच्युटी (gratuity ke niyam) नहीं रोक सकती। ग्रेच्युटी रोकने के लिए सबूत देते हुए इसकी वजह बतानी होगी। कंपनी को कोई नुकसान हुआ है तो भी कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी करना होगा। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद व कर्मचारी के दोषी पाए जाने के बाद ही ग्रेच्युटी (gratuity rokne ke niyam) रोके जाने का निर्णय लिया जाता है। कंपनी दोषी कर्मचारी की उतनी ही राशि रोक सकती है, जितने का उसे नुकसान हुआ है, बाकी रकम कर्मचारी को देनी होगी।
कर्मचारी भी भेज सकता है नोटिस-
बेवजह किसी कर्मचारी की ग्रेच्युटी (gratuity rules) राशि रोक ले तो कर्मचारी को भी कंपनी को नोटिस भेजने का हक होता है। अगर सुनवाई नहीं होती है तो कर्मचारी कंपनी के खिलाफ जिला श्रम आयुक्त से शिकायत कर सकता है। अगर कंपनी दोषी मिलती है तो कंपनी को ग्रेच्युटी (employees gratuity rules) की रकम जुर्माने और ब्याज के साथ देनी पड़ती है।
कौन होता है ग्रेच्युटी का हकदार-
आप यह तो जानते ही होंगे कि लगातार 5 साल तक किसी कंपनी में बेहतरीन कार्य करने पर कर्मचारी को ग्रेच्युटी (Eligibility for Gratuity) दी जाती है। कई बार कुछ कर्मचारी 5 साल पूरे होने से कुछ माह पहले ही नौकरी बदल लेते हैं या छोड़ देते हैं। ऐसे में यह पीरियड (gratuity period) काउंट करने का एक तरीका है।
कर्मचारी 4 साल 8 महीने तक कंपनी में काम करता है तो इसे पूरे 5 साल की सर्विस माना जाएगा। इस हिसाब से उसे ग्रेच्युटी (gratuity kisko milti h) मिल जाएगी। इससे कम समय को 4 साल की नौकरी माना जाएगा और ग्रेच्युटी नहीं मिलती।
कंपनी की होती है यह मर्जी-
कोई कंपनी Gratuity Act के तहत रजिस्टर्ड नहीं है तो उस कंपनी के कर्मचारी ग्रेच्युटी एक्ट के तहत नहीं आते। इस स्थिति में ग्रेच्युटी (gratuity ke nye niyam) देना या न देना कंपनी की मर्जी होती है। किसी निजी या सरकारी कंपनी में 10 या इससे ज्यादा कर्मचारी हैं तो वह कंपनी अपने सभी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ देने का निर्णय ले सकती है।
