हरियाणा – 21 घंटे बाद वापिस जेल पहुंचा गुरमीत राम रहीम, जानिए अस्पताल में लगातार क्या कर था जिद्द

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साध्वियों से दुष्कर्म मामले में रोहतक जेल सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम को बुधवार को 6 बजे रक्तचाप कम होने के कारण पीजीआई में दाखिल कराया गया था। 21 घंटे बाद राम रहीम को दोबारा जेल भेज दिया गया। वहीं सूत्रों के अनुसार, जब राम रहीम अस्पताल में भर्ती था तो लगातार हनीप्रीत और अपने परिवार से मिलने की जिद कर रहा था। दोपहर करीब सवा दो बजे डॉक्टरों ने उसे डिस्चार्ज कर दिया। अस्पताल में राम रहीम को कैमरे की निगरानी में रखा गया था।
सुनारिया जेल में सजा काट रहे राम रहीम की तबीयत तीन दिन से खराब थी। पहले उसे जेल के भीतर अस्पताल में दवा दी गई थी। बुधवार दोपहर 12 बजे के बाद उसका ब्लड प्रेशर कम होने लगा। इसकी सूचना स्वास्थ्य अधिकारी को दी। उनकी ओर से एक महिला डॉक्टर सहित तीन लोगों को जेल में जांच करने भेजा गया। इसी बीच जेल प्रशासन की ओर से पुलिस अधीक्षक को अलर्ट भेजा गया। इसके बाद जांच करने गई टीम ने उसे उपचार देने की बात कही, जिसके बाद उसे पांच बजकर 43 मिनट पर सुनारिया जेल से निकाला गया। एसपी ने उसकी सुरक्षा में 120 से अधिक जवानों को तैनात किया था।
बुधवार को दोषी राम रहीम के स्वास्थ्य की जांच करने वाली कमेटी की रिपोर्ट के बाद उसे पीजीआई में चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय तक लाया गया था। सुनारिया जेल से पीजीआई तक 12 किमी की दूरी तय करने में 22 मिनट लगे। उसके काफिले में एंबुलेंस सहित छह गाड़ियां शामिल रहीं। उसकी सुरक्षा में पुलिस अधीक्षक की ओर से 120 से अधिक जवानों को लगाया गया, जो शिफ्ट के हिसाब से वहां तैनात होंगे। उनके सुपर विजन के लिए हर समय एक डीएसपी की तैनाती की गई थी।
पुलिस की ओर से पीजीआई के चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात किया गया है। राम रहीम के पीजीआई में आने की सूचना के बाद अनुयायी आने की संभावना थी, ऐसे में उन्हें रोकने के लिए पुलिस की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
पीजीआई की ओर जाने वाले हर व्यक्ति की जांच की जा रही थी। पीजीआई में आने के तीनों रास्ते पर पुलिस का पहरा था। इसके साथ ही पीजीआई के सुरक्षा गार्डों को भी अलर्ट रखा गया था।
राम रहीम की सुरक्षा को लेकर पुलिस इतनी सतर्क थी कि वह वार्ड नंबर सात में ड्यूटी पर जाने वाली नर्स व डॉक्टर का भी पूरा ब्योरा अपने पास रख रही थी। वार्ड के बाहर एक रजिस्टर रखा हुआ था जिसमें आने-जाने वालों का नाम दर्ज किया जा रहा था। वार्ड नंबर सात के 500 मीटर के दायरे में किसी को आने-जाने नहीं दिया जा रहा है।