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High Court : बहू को खाना बनाना नहीं आता, कोर्ट में पहुंचा मामला, हाईकोर्ट ने सास ससुर के हक में दिया ये फैसला

Bombay high court : अक्सर आपने देखा होगा कि कई घरों में सास बहू के झगड़े चलते ही रहते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं हाई कोर्ट के खास फैसले के बारे में जिसमें एक सास बहू के पुराने मामले पर बड़ा फैसला सुनाया है। आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से।

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HR Breaking News (ब्यूरो) : बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर सास-ससुर, बहू को खाना न बना पाने को लेकर उसके माता-पिता पर कोई टिप्पणी करते हैं तो ये क्रुएल्टी नहीं है। ये भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत नहीं आता है। जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई और एनआर बोरकर की बेंच ने ये फैसला सुनाते हुए महिला की शिकायत पर दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया है। 


महाराष्ट्र के सांगली जिले के भिलावाड़ी पुलिस स्टेशन में एक महिला ने पति के रिश्तेदारों के खिलाफ केस दर्ज कराया था, जिसमें बताया कि उसकी शादी 13 जुलाई, 2020 को हुई थी। उसने कहा कि उसे नवंबर 2020 में उसके वैवाहिक घर से बाहर निकाल दिया गया था, जिसके बाद उसने 9 जनवरी, 2021 को एफआईआर दर्ज कराई। महिला ने दावा किया कि पति उसकी शादी के बाद उसके साथ वैवाहिक संबंध स्थापित करने में असमर्थ था।  


छोटे-मोटे झगड़े IPC की धारा-498 के तहत क्रूरता नहीं: कोर्ट


महिला ने अपनी शिकायत में ये आरोप भी लगाया था कि उसके पति के भाई उसे यह कहकर ताना मारते थे और अपमानित करते थे कि उसे खाना बनाना नहीं आता और उसके माता-पिता ने उसे कुछ नहीं सिखाया। आरोपी रिश्तेदारों ने एफआईआर को रद्द करने के लिए कोर्ट का रुख किया। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने माना कि आईपीसी की धारा 498ए के तहत छोटे-मोटे झगड़े क्रूरता नहीं हैं। 
अदालत ने कहा, "वर्तमान मामले में इन याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लगाया गया एकमात्र आरोप है कि उन्होंने महिला को खाना नहीं बना पाने को लेकर टिप्पणी की थी। ऐसी टिप्पणी आईपीसी की धारा-498 के तहत क्रूरता नहीं है।"  


कोर्ट ने एफआईआर को रद्द करते हुए कहा कि धारा 498ए के तहत अपराध साबित करने के लिए यह स्थापित करना होगा कि महिला के साथ लगातार क्रूरता की गई।