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High Court Decision : इस स्थिति में पत्नी अपने पति से नहीं मांग सकती भरण-पोषण की राशि, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

इस बात में कोई दौराय नहीं है कि शादीशुदा जीवन में पत्नी पत्नी के बीच छोटी छोटी बातों को लेकर झगड़ा होना आम बात है। लेकिन कई बार झगड़ा इतना बढ़ जाता है कि दोनों अलग होने का फैसला ले लेते हैं। एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां एक शादीशुदा महिला बिना किसी वैध कारण अपने पति से अलग रहती है। महिला ने कोर्ट में अपने पति से भरण-पोषण की मांग की है। जिसपर झारखंड हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। आइए नीचे खबर में जानते हैं- 

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HR Breaking News (ब्यूरो)। झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने पत्नी के अलग रहने की दशा में पति द्वारा दी जाने वाली भरण-पोषण राशि या मेंटेनेंस को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि यदि कोई पत्नी बिना किसी वैध कारण के पति से अलग रहती है,

तो वह भरण-पोषण की राशि की हकदार नहीं है। जस्टिस सुभाष चंद की कोर्ट ने रांची की फैमिली कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें अमित कुमार कच्छप नाम के शख्स को आदेश दिया गया था कि वह अपनी पत्नी संगीता टोप्पो के भरण-पोषण के लिए हर महीने 15 हजार रुपये की रकम दे।

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महिला का आरोप, ससुराल में हुई थी दहेज की मांग

हाई कोर्ट ने कहा, ‘दोनों पक्षों की ओर से पेश किए गए सबूतों को देखने पर यह पाया गया कि प्रतिवादी बिना किसी उचित कारण के अपने पति से अलग रह रही है। इसके परिणामस्वरूप, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 125 (4) के मद्देनजर वह किसी भी राशि के भरण-पोषण की हकदार नहीं है।’ बता दें कि संगीता टोप्पो ने रांची की फैमिली कोर्ट में अपने पति अमित कुमार कच्छप के खिलाफ दायर केस में आरोप लगाया था कि 2014 में आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार शादी के बाद जब वह ससुराल गई तो उससे कार, फ्रिज और LED टीवी सहित दहेज की मांग शुरू हो गई।

कोर्ट ने निर्धारित किया था 15 हजार रुपये का भत्ता

संगीता टोप्पो ने अपने आरोप में कहा कि पति और उसका परिवार दहेज के लिए उस पर दबाव डालता था। उसने कहा कि पति छोटी-छोटी बातों पर उसकी उपेक्षा करता था, और अक्सर शराब के नशे में उसके साथ दुर्व्यवहार करता था। संगीता ने अपने पति पर एक महिला के साथ विवाहेतर संबंध रखने का आरोप भी लगाया और भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह 50 हजार रुपये का दावा ठोंका था। इस पर फैमिली कोर्ट ने उसके पक्ष में आदेश पारित करते हुए 30 अक्टूबर 2017 से हर माह 15 हजार रुपये का भरण-पोषण भत्ता निर्धारित किया था और पति को इस राशि का भुगतान करने को कहा था।

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फैमिली कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पति अमित कुमार कच्छप ने हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन दायर किया था। उसका कहना था कि शादी के बाद उसकी पत्नी एक सप्ताह के लिए जमशेदपुर में उसके घर रही। इसके बाद वह अपने परिजनों की कुछ दिनों तक सेवा करने के नाम पर रांची चली गई। उसने कहा था कि 15 दिनों के भीतर वापस आ जाएगी, लेकिन बार-बार अनुरोध करने के बाद भी वह नहीं लौटी।