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ख़राब CIBIL score वालों के हक़ में हाई कोर्ट ने दिया अहम फैसला, बैंक को दिए ये निर्देश

High court : आप अगर किसी भी बैंक या प्राइवेट कंपनियों से लोन लेने जाते हैं तो सबसे पहले आपका क्रेडिट स्कोर (CIbil score) चेक किया जाता है और इसी इस आधार पर आपको लोन दिया जाता है | अधिकत्तर लोगों को खराब सिबिल स्कोर होने के कारण लोन नहीं मिल पाता है। ऐसे ही एक केस में सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने ख़राब सिबिल वालों को राहत दी है | आइये विस्तार से जानते हैं क्या है मामला 

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HR Breaking News, New Delhi : बीते दिनों सिबिल स्कोर को लेकर हाइकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है।  हाई कोर्ट ने अपनी एक टिप्पणी में कहा है कि CIBIL (Credit Information Bureau (India) Limited) स्कोर कम होने के बावजूद किसी के लोन का आवेदन बैंक रद्द नहीं कर सकते। बैंकों को फटकार लगाते हुए जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने शिक्षा ऋण के लिए आवेदनों पर विचार करते समय बैंकों से 'मानवीय दृष्टिकोण' अपनाने के लिए कहा है। 

 

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हाईकोर्ट (High Court) ने छात्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, छात्र कल के राष्ट्र निर्माता हैं, उन्हें भविष्य में इस देश का नेतृत्व करना है। केवल इसलिए कि एक छात्र का सिबिल स्कोर (CIBIL Score) कम है, जो शिक्षा ऋण के लिए आवेदक है, मेरा मानना ​​है कि वैसे छात्रों के शिक्षा ऋण आवेदन को बैंक द्वारा अस्वीकार नहीं करना चाहिए।  

हाईकोर्ट में वकील ने दिया ये तर्क

Loan इस मामले में याचिकाकर्ता, जो एक छात्र है, ने दो ऋण लिए थे, जिनमें से एक ऋण का 16 हजार अभी भी बकाया है। बैंक ने दूसरे ऋण को बट्टा खाते में डाल दिया था। इस वजह से याचिकाकर्ता का सिबिल स्कोर (CIBIL Score down) कम हो गया। याचिकाकर्ता के वकीलों ने हाईकोर्ट में कहा कि जब तक कि राशि तुरंत प्राप्त नहीं हो जाती, याचिकाकर्ता बड़ी मुश्किल में पड़ जाएगा।

याचिकाकर्ता के वकील ने प्रणव एस.आर. बनाम शाखा प्रबंधक और अन्य (2020) का उल्लेख किया, जिसमें न्यायालय ने माना था कि एक छात्र के माता-पिता का असंतोषजनक क्रेडिट स्कोर शिक्षा ऋण को अस्वीकार करने का आधार नहीं हो सकता है,क्योंकि छात्र की शिक्षा के बाद ही उसकी ऋण अदायगी की क्षमता योजना के मुताबिक निर्णायक कारक होनी चाहिए। वकीलों ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को एक बहुराष्ट्रीय कंपनी से नौकरी का प्रस्ताव मिला है और इस तरह वो पूरी ऋण राशि चुकाने में सक्षम होगा इस पर, प्रतिवादी पक्ष के वकीलों ने तर्क दिया कि इस मामले में अंतरिम आदेश देना, याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत के मुताबिक, भारतीय बैंक संघ और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्देशित योजना के खिलाफ होगा। वकीलों ने आगे ये भी कहा कि साख सूचना कंपनी अधिनियम, 2005 (Credit Information Companies Act, 2005) और साख सूचना कंपनी नियम, 2006 और भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी परिपत्र वर्तमान याचिकाकर्ता की स्थिति में Loan की राशि देने पर रोक लगाते हैं।

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High Court ने वास्तविक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और इस तथ्य पर गौर करते हुए कि याचिकाकर्ता ने ओमान में नौकरी प्राप्त कर ली है, कहा कि सुविधाओं का संतुलन याचिकाकर्ता के पक्ष में होगा और शिक्षा ऋण के लिए आवेदन केवल कम सिबिल स्कोर के आधार पर खारिज नहीं कर सकते।  

सिबिल स्कोर को लेकर RBI सख्त


हाल ही में RBI ने सिबिल स्कोर (CIBIL Score) को लेकर एक बड़ा अपडेट जारी किया है। RBI ने इसको लेकर कई नियम बनाए गए हैं। सिबिल स्कोर को लेकर बहुत सारी शिकायतें आ रही थीं, जिसके बाद रिजर्व बैंक ने नियमों को सख्त किया है।  
इनके तहत क्रेडिट ब्यूरो में डेटा सुधार न होने की वजह भी बतानी होगी और क्रेडिट ब्यूरो वेबसाइट पर शिकायतों की संख्या भी बताना जरूरी है।  इसके अलावा भी RBI ने कई नियम बनाए हैं। नए नियम 26 अप्रैल 2024 से लागू हो जाएंगे। RBI ने अप्रैल में ही इस तरह के नियम लागू करने की चेतावनी दे दी थी।

RBI ने बनाए ये 5 नियम

  •  भारतीय रिजर्व बैंक सभी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों से कहा है कि जब भी कोई बैंक या एनबीएफसी किसी ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट (CIBIL Score) चेक करता है तो उस ग्राहक को इसकी जानकारी भेजा जाना जरूरी है। ये जानकारी एसएमएस या ईमेल के जरिए भेजी जा सकती है। 
  • RBI के अनुसार अगर किसी ग्राहक की किसी रिक्वेस्ट को रिजेक्ट किया जाता है तो उसे इसकी वजह बतानी होगी। इससे ग्राहक को ये समझने में आसानी होगी कि किस वजह से उसकी रिक्वेस्ट रिजेक्ट की गई है।
  • केंद्रीय बैंक के अनुसार क्रेडिट कंपनियों को साल में एक बार फ्री फुल क्रेडिट स्कोर (Credit Score) अपने ग्राहकों को मुहैया कराया जाना चाहिए।  इसके लिए क्रेडिट कंपनी को अपनी वेबसाइट पर लिंक डिस्प्ले करना होगा, ताकि ग्राहक आसानी से अपनी क्रेडिट रिपोर्ट चेक कर  सके।
  • RBI के अनुसार अगर कोई ग्राहक डिफॉल्ट होने वाला है तो डिफॉल्ट को रिपोर्ट करने से पहले ग्राहक को इसके बारे में बताना जरूरी है। लोन देने वाली संस्थाएं SMS/ई-मेल भेजकर जानकारी शेयर करें।  इसके अलावा बैंक, लोन बांटने वाली कंपनियां नोडल अफसर रखें। नोडल अफसर ग्राहकों की क्रेडिट स्कोर से जुड़ी दिक्कतें सुलझाने का काम करेंगे।
  • अगर क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी 30 दिन के अंदर-अंदर ग्राहकों की शिकायत का समाधान नहीं करती हैं तों उसे हर रोज 100 रुपये के हिसाब से जुर्माना चुकाना होगा। लोन बांटने वाली संस्था को 21 और क्रेडिट ब्यूरो को 9 दिन का समय मिलेगा। 21 दिन में बैंक ने क्रेडिट ब्यूरो को नहीं बताया तो बैंक हर्जाना देगा।  वहीं बैंक की सूचना के 9 दिन बाद भी शिकायत का निपटारा नहीं हुआ तो तो क्रेडिट ब्यूरो को हर्जाना देना पड़ेगा।