home page

High Court : बच्चे के जन्म पर पिता को मिलने वाली पैटरनिटी लीव को लेकर हाईकोर्ट ने कही बड़ी बात

High Court : हाल ही में बच्चे के जन्म पर पिता को मिलने वाली पैटरनिटी लीव को लेकर हाईकोर्ट ने बड़ी बात कही है... ऐसे में आइए नीचे खबर में जाने इस पर हाईकोर्ट का फैसला क्या रहा है। 

 | 
High Court : बच्चे के जन्म पर पिता को मिलने वाली पैटरनिटी लीव को लेकर हाईकोर्ट ने कही बड़ी बात

HR Breaking News, Digital Desk- अपनी एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में मद्रास हाई कोर्ट ने सभी राज्यों और प्राइवेट सेक्टर में बायोलॉजिकल और एडोप्ट करने वाले पिता दोनों के लिए ही देश के पॉलिसीमेकर्स को अनिवार्य पितृत्व अवकाश यानी मेंडेटरी पैटरनिटी लीव सुनिश्चित करने के लिए एक कानूनी ढांचा स्थापित करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया.

एक रिपोर्ट के मुताबिक यह टिप्पणी तब आई है जब हाईकोर्ट ने तमिलनाडु (Tamilnadu) के पुलिस इंस्पेक्टर बी सर्वानन के खिलाफ जारी परित्याग आदेश (desertion order) को रद्द कर दिया, जिन्होंने प्रसव के दौरान अपनी पत्नी की मदद के लिए छुट्टी बढ़ाने की मांग की थी.


न्यायमूर्ति एल विक्टोरिया गौरी ने प्राचीन भारतीय ग्रंथ 'नीति शास्त्र' में कही गई बात का हवाला देते हुए कहा, "जो जन्म देता है, जो आरंभ करता है, जो ज्ञान देता है, जो भोजन प्रदान करता है और भय से बचाता है- इन पांचों को पिता का दर्जा दिया गया है." उन्होंने आगे कहा, "अधिकांश देशों में मैटरनिटी (मातृत्व) और पैटरनिटी (पितृत्व) सपोर्ट के लिए लेजिस्लेटिव प्रोविजन स्टेब्लिश किए गए हैं, चाहें भले ही ये प्रावधान हमेशा इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (International Labor Organization)स्टैंडर्ड को पूरा नहीं करते हैं."

मां-बाप दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका- 
बच्चे के पालन-पोषण में पिता की भूमिका के महत्व को दर्शाते हुए, न्यायमूर्ति गौरी ने कहा, "पिता और मां दोनों ही बच्चे के पालन-पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं." लेकिन इसके बावजूद भारत में वर्तमान में ऐसा कोई कानून नहीं है जो प्राइवेट सेक्टर के कामकाजी पिताओं के लिए पितृत्व अवकाश (paternity leave) देने के लिए बाध्य करता हो.
1972 के केंद्रीय सिविल सेवा छुट्टी के नियमों में पैटरनिटी लीव का प्रावधान शामिल है, लेकिन इसके बावजूद तमिलनाडु सहित कई राज्यों में इस तरह के कल्याणकारी उपायों का अभाव है. जो भारत में व्यापक पितृत्व अवकाश कानून (comprehensive paternity leave legislation) की जरूरत की ओर इशारा करता है.


क्या था मामला?
तेनकासी जिले के एक पुलिस निरीक्षक सरवनन ने इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के जरिए हुए पत्नी के गर्भधारण की वजह से 90 दिनों की छुट्टी का अनुरोध किया था. क्योंकि IVF के जरिए किए गए गर्भधारण में सुरक्षित प्रसव के लिए काफी ध्यान और देखभाल की जरूरत होती है.
शुरुआत में अधिकारियों ने उनकी छुट्टी को मंजूरी दे दी. लेकिन बाद में उनकी छुट्टी को रद्द कर दिया गया. उनकी पत्नी की डिलीवरी 30 मई को होनी थी, ऐसे में उन्होंने हस्तक्षेप की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट के निर्देश के बाद उन्हें 1 मई से 30 दिनों की छुट्टी दी गई. लेकिन अप्रत्याशित परिस्थितियों की वजह से उनकी पत्नी ने 31 मई को बच्चे को जन्म दिया, जिससे वो 31 मई से अपनी ड्यूटी को जॉइन नहीं कर सके और उन्होंने अपनी छुट्टी बढ़ाने की मांग की. 22 जून को अधिकारियों ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया. इसके बाद सर्वानन ने मदद के लिए हाई कोर्ट का रुख किया.


क्यों पैटरनिटी लीव जरूरी?
आज के दौर में जब महिलाएं और पुरुष दोनों ही बाहर जाकर काम करते हैं तो ऐसे में पैटरनिटी लीव का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए 15 दिनों की पैटरनिटी लीव का प्रावधान है. लेकिन प्राइवेट कंपनियों के लिए ऐसा कोई कोई निश्चित नियम नहीं है. अगर कोर्ट की टिप्पणी पर देश के नीति निर्माता अमल करके प्राइवेट सेक्टर के लिए भी मेंडेटरी पैटर्निटी लीव का नियम बनाते हैं तो ये एक शानदार कदम होगा जिसका फायदा देश का हर एक कर्मचारी उठा सकेगा.