Property का कैसे करें इस्तेमाल, ये मकान मालिक तय करेगा या किराएदार, High Court का बड़ा फैसला
High Court Decision on Property : किराएदार और मकान मालिक के बीच का रिश्ता खट्टा मिठा होता है। मकान मालिक (land Lord) और किराएदार में कभी नौंक झोंक हो जाती है तो कभी दोनों का रिश्ता ऐसा मजबूत हो जाता है कि हर कार्यक्रम में शामिल होने लगते हैं। वहीं, कईं बार तकरार ऐसी बढ़ जाती है कि मामले हाईकोर्ट (High Court Decision), सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाते हैं। एक मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है।

HR Breaking News (High Court Decision on Property) हाईकोर्ट ने एक फैसले में साफ किया है कि प्रोपर्टी के इस्तेमाल के बारे में किराएदार चीजें तय करेगा या फिर यह अधिकार केवल मकान मालिक का है।
कानून में मकान मालिकों और किराएदारों (land lord and tenant rights) को अलग-अलग अधिकार दिए गए हैं। हाईकार्ट के न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने एक मामले में मऊ के श्याम सुंदर अग्रवाल की याचिका खारिज कर दी है। आइए जातने हैं क्या है पूरा मामला-
दुकान का है मामला
एक दुकान के मामले में किरायेदार श्याम सुंदर अग्रवाल ने याचिका (High Court Decision on Property) लगाई। श्याम सुंदर ने मकान मालिक गीता देवी और उनके परिवार की ओर से उनकी दुकान से बेदखली के लिए दायर किए गए प्रार्थना पत्र को चुनौती दी थी। वहीं, मकान मालिक की ओर से दुकान का इस्तेमाल अपने बेटों के व्यवसाय को स्थापित करने का हवाला दिया गया था।
इसमें इसी वजह से मकान मालिक ने दुकान खाली कराने की मांग की थी। मकान मालिक (High Court Decision on Property) ने कहा कि परिवार के मुखिया के देहांत के बाद जीवन-यापन का साधन सीमित हो गया। इस वजह से उन्होंने ये फैसला लिया।
यह दिया गया कोर्ट में तर्क
किरायेदार (tenant propert rights) के वकील की ओर से कोर्ट में तर्क दिया गया कि मकान मालिक के पास अन्य दुकान भी है। उन्होंने कहा कि वह दूसरी दुकान में अपना व्यवसाय स्थापित कर सकते हैं। वकील ने दावा किया कि मकान मालिक की वास्तविक आवश्यकता के लिए दिया गया तर्क टिकाऊ नहीं है। हाई कोर्ट में कहा गया कि मकान मालिक के पास पर्याप्त जगह होने के बाद भी जानबूझकर किराएदार को बेदखल किया जा रहा है।
मकान मालिक ने दिया ये तर्क
मकान मालिक (Landlord rights) के वकील ने कहा कि उनके बेरोजगार बेटों के लिए स्वतंत्र व्यवसाय स्थापित करने के लिए दुकान की वास्तविक आवश्यकता है। इसपर हाईकोर्ट की ओर से किरायेदार के तर्क खारिज कर दिए गए। कोर्ट ने कहा कि मकान मालिक अपनी संपत्ति की आवश्यकता का अंतिम निर्णायक है। इसमें हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के प्रोपर्टी के फैसले का हवाला भी दिया।
होईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट (High Court Decision on Property) की ओर से एक महत्वपूर्ण फैसला दिया गया है। इसमें कहा गया है कि मकान मालिक अपनी वास्तविक आवश्यकता का निर्णायक होता है। हाईकोर्ट ने कहा कि किरायेदार ये तय नहीं कर सकता कि अपनी संपत्ति का प्रयोग मकान मालिक कैसे करें।
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर सिद्ध हो रहा है कि मकान मालिक की वास्तविक आवश्यकता है तो इसके बाद मकान मालिक की संपत्ति पर उनका अधिकार ही सर्वोपरि है। हाईकोर्ट ने मऊ के श्याम सुंदर अग्रवाल की याचिका खारिज कर दी है।