Income Tax विभाग अब नहीं खोल सकेगा इतने साल पुराने मामले, टैक्सपेयर्स को मिली बड़ी राहत
Income tax new rules : देशभर के लाखों करदाताओं के लिए बड़ा अपडेट आया है। राहत की बात यह है कि अब आयकर विभाग (IT department) किसी भी मामले को खोलकर करदाताओं पर मनमानी नहीं कर सकेगा। इससे करदाताओं को कई परेशानियों से छुटकारा मिलेगा। पहले विभाग किसी भी मामले को खंगालते हुए नोटिस (income tax notice) भेज देता था, अब इस तरह की विभागीय कार्रवाई पर अंकुश लग सकेगा।

HR Breaking News - (taxpayers news)। आईटीआर भरने के लिए करदाताओं को कई दस्तावेज जुटाने पड़ते हैं, इसके बाद काफी माथापच्ची करते हुए इस प्रक्रिया (ITR filing rules) को पूरा किया जाता है। इसके बावजूद करदाताओं को ये परेशानी होती थी कि विभाग कभी भी किसी भी मामले को खोलकर नोटिस भेज देता था। इससे करदाताओं (latest update for taxpayers) को फिर से दस्तावेज जुटाने पड़ते थे।
अब करदाताओं को बड़ी राहत मिली है, उन्हें विभाग मनमर्जी करके परेशान नहीं कर सकेगा। नए नियमों व कानूनी प्रावधानों के अनुसार आयकर विभाग (Income tax department) अब तय समय सीमा के बाद इनकम टैक्स के मामलों को फिर से खंगाल ही नहीं सकेगा।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाया यह अहम फैसला-
हाल ही में इनकम टैक्स (Income Tax News ) के एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि आयकर विभाग 3 साल से ज्यादा पुराने और 50 लाख से कम के आयकर मामले को पुन: नहीं खोल सकता। फैसले के अनुसार इनकम टैक्स विभाग (income tax department) को अब कभी भी मनमर्जी से कोई भी मामला खोले जाने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा कोर्ट ने गंभीर व 50 लाख से ज्यादा के मामलों में 10 साल तक की छूट विभाग को दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकम टैक्स की धारा 148 (IT act section 148) के तहत यह अहम फैसला सुनाया है।
री-असेसमेंट पर क्या कहता है आयकर कानून-
जब साल 2021 में बजट जारी किया गया था, तब आयकर कानून में संशोधन की घोषणा हुई थी। इसके बाद IT कानून में रीअसेसमेंट (IT reassessment rules) को लेकर नया प्रावधान किया गया था। इससे पहले रीअसेसमेंट की समय सीमा 6 साल थी, इसे घटाकर 3 साल कर दिया था।
अब यह प्रावधान कर दिया गया है कि 50 लाख से ज्यादा आय छिपाने के मामले में या फिर कोई गंभीर फ्रॉड का मामला हो तो 10 साल (reassessment time limit) तक भी मामले को फिर से खोला जा सकता है। इससे पहले इनकम टैक्स विभाग कभी भी करदाताओं को पुराने मामले खोलकर नोटिस भेज देता था।
यह दलील थी याचिकाकर्ताओं की -
रीअसेसमेंट के मामले में याचिकाकर्ताओं ने दलील देते हुए कहा था कि टैक्स असेसमेंट (income tax reassessment rules) से छूट गई आय किसी मामले में 50 लाख रुपये से कम है तो उसे 3 साल के बाद नहीं खंगाला जाना चाहिए। यह प्रावधान आयकर कानून (inocme tax act) की धारा 149 (1) के खंड (ए) में भी है। दूसरी ओर यह भी मांग की गई थी कि आय छिपाने का मामला 50 लाख से अधिक का हो तो इस अवधि को विस्तारित किया जा सकता है।
इस सिद्धांत को बताया गलत -
दिल्ली हाई कोर्ट (delhi high court) ने रीअसेसमेंट के मामले में यह भी कहा है कि CBDT (central board of direct taxes) के निर्देशों में जो 'ट्रैवल बैक इन टाइम' के सिद्धांत की बात कही गई है, वह कानूनन सही नहीं है। कोर्ट की इस टिप्पणी से करदाताओं को काफी राहत मिली है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) खुद अपने भाषण में रीअसेसमेंट की सीमा 6 से घटाकर 3 साल की बात कह चुकी हैं। यह व्यवस्था वित्त विधेयक 2021 के प्रावधानों की में भी है कि री-असेसमेंट की समय सीमा (reassessment rules) अब छह के बजाय तीन साल होगी।