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Delhi से इस शहर के लिए चलेगी देश की पहली स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस, 160 किलोमीटर की होगी स्पीड

मुंबई से दिल्ली के बीच 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के मिशन पर सरकार तेजी से काम कर रही है।  सरकार की इस परियोजना पर 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। जल्द ही आपको पटरियों ट्रेन 160 किलोमीटर की स्पीड से रफ्तार भरती नजर आएगी। चलिए। ट्रेनों की स्पीड के साथ उनकी सेफ्टी को बढ़ाने के लिए कवच तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। चलिए नीचे खबर जानते हैं विस्तार से....

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HR Breaking News (ब्यूरो)। पांच साल पहले मुंबई से दिल्ली के बीच 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए 'मिशन रफ्तार' परियोजना की शुरुआत हुई थी। 1,478 रूट किमी और 8 हजार करोड़ रुपये के इस प्रॉजेक्ट के 90 प्रतिशत से ज्यादा काम पूरे हो चुके हैं। इस पूरे रूट पर स्पीड से ट्रेनें चलाने के लिए पटरियों के दोनों छोर पर फेंसिंग जरूरी है।

योजना का करीब 50 प्रतिशत हिस्सा यानी 792 रूट किमी पश्चिम रेलवे के अधिकार क्षेत्र में है और इस पूरे हिस्से में कैटल फेंसिंग और वॉल फेंसिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है। रेलवे के अनुसार, 2024 में मई तक यहां स्पीड ट्रायल किए जा सकते हैं। देश की पहली स्लीपर वंदे भारत भी मुंबई से दिल्ली के बीच चलाने की संभावना है।

कवच से होगा सुरक्षित

ट्रेनों की स्पीड के साथ उनकी सेफ्टी को बढ़ाने के लिए पूरे रूट पर भारतीय रेलवे की 'कवच' तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। जिन ट्रेन में कवच लगा हो, उनका आमने-सामने से टकराना असंभव है, क्योंकि टकराने से पहले ट्रेन में ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे। दिसंबर, 2022 में पश्चिम रेलवे पर 735 किमी पर 90 इंजन में कवच लगाने के लिए 3 कॉन्ट्रैक्ट अवॉर्ड हुए थे।

इसमें से 142 किमी पर सफल ट्रायल हो चुका है। दिसंबर, 2024 तक कवच लगाने का काम पूरा होने की उम्मीद है। अब तक वड़ोदरा-अहमदाबाद सेक्शन में 62 किमी, विरार-सूरत पर 40 किमी और वडोदरा-रतलाम-नागदा सेक्शन में 37 किमी पर ट्रायल हो चुका है।

इस तरह बढ़ेगी स्पीड

दिल्ली-मुंबई रूट पर ट्रेनों की औसत गति फिलहाल 80 से 100 किमी प्रतिघंटा है। ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए ट्रैक को मजबूत करने और दोनों तरफ दीवार बनाने का काम चल रहा है। मिशन से जुड़े इंजिनियरिंग विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दीवार और ट्रैक को मजबूत करने के अलावा ट्रैक जितना सीधा होगा, उतनी ही स्पीड बनी रहेगी।

इस परियोजना के पश्चिम रेलवे वाले क्षेत्र में 107 कर्व यानी मोड़ को सीधा किया जा चुका है। शेष 27 कर्व को भी जल्द ही सीधा कर लिया जाएगा। 160 किमी प्रतिघंटा की स्पीड के लिए 60 किलो 90 यूटीएस वाली रेल की जरूरत होती है, जबकि भारतीय रेलवे में ज्यादातर जगहों पर 52 किलो 90 यूटीएस वाली पटरियां लगी हैं।

मुंबई-दिल्ली रूट पर परियोजना के मुताबिक पटरियों को बदलने का काम तेजी से चल रहा है। स्पीड बढ़ाने के लिए पटरियों के नीच पत्थर की गिट्टियों का कुशन 250 मिमी से बढ़ाकर 300 मिमी किया जा रहा है।