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Jaipur Kanpur : आपके गांव या शहर के नाम के पीछे भी लिखा है “पुर”, 90 प्रतिशत लोग नहीं जानते इसका कारण

भारत के ज्‍यादातर जिलों और गांव के नाम के पीछे “पुर” लिखा देखा होगा। आपने कभी सोचा है ये क्‍यों लगाया जाता है। क्या आपको पता है कि पुर शब्द आखिर नामों के अंत में क्यों जोड़ा जाता है। इससे जुड़ा हुआ क्या इतिहास है। अगर नहीं तो यह लेख आपके लिए उपयोगी है। आप यहां से पुर शब्द के इस्तेमाल और इसके पीछे के इतिहास की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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HR Breaking News, Digital Desk - भारत विश्‍व का सबसे बड़ा लोकतंत्र (largest democracy) है। यहां 28 राज्‍य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। हर राज्‍य में कई जिले हैं और हर जिले का अपना इतिहास, संस्कृति और परंपरा है। हर गांव या शहर की पहचान उसके नाम से होती है। आपने ऐसे बहुत से शहर या छोटे-छोटे गांव भी देखे होंगे, जिनके नाम के पीछे “पुर” लगा होता है। जैसे रायपुर, रामपुर, शाजापुर, नागपुर, कानपुर, सहारनपुर, जयपुर, उदयपर आदि। क्‍या आपने कभी सोचा है कि इनके पीछे पुर क्‍यों जोड़ा जाता है। अगर नहीं, तो आइए हम आपको बताते हैं कि शहरों और गांवों के नाम के पीछे पुर लगाने की असली वजह क्‍या है।


क्‍या है “पुर” का मतलब


वजह जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि पुर का मतलब क्‍या है। शहरों के नाम से पीछे पुर लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पर कोई भी पुर का मतलब नहीं जानता है। असल में पुर का मतलब होता है शहर या फिर किला। आपने अगर ध्‍यान दिया हो, तो जिन शहरों के नाम के पीछे पुर लगा होता है, उस जगह या फिर उसके आसपास किले जरूर होते हैं।


कहां से आया पुर शब्‍द


बता दें कि पुर एक प्राचीन संस्‍कृत शब्‍द है, जिसका उल्‍लेख ऋग्वेद में भी किया गया है। यहां तक की पुराने समय में कोई भी राजा अपने राज्‍य के नाम के पीछे पुर जरूर लगाता था। शायद इसी वजह से राजस्‍थान के राजा जयसिंह ने भी जयपुर के पीछे पुर लगाया था।


इन देशों में भी होता है पुर का इस्‍तेमाल 


भारत में तो शहरों या गांवों के नाम के पीछे पुर का इस्तेमाल होना आम बात है। लेकिन दुनिया के दो अन्‍य देशों में भी यह परंपरा सालों से चली आ रही है। वो है अफगानिस्तान और ईरान। कुछ लोग मानते हैं कि पुर अरबी भाषा का शब्‍द है। शायद इसी वजह से अफगानिस्‍तान और ईरान के शहरों के नाम के पीछे पुर लगाया जाता है।


महाभारत काल में भी हुआ पुर का इस्‍तेमाल 


शहरों के नामों के पीछे पुर लगाने की परंपरा भले ही अनोखी हो, लेकिन यह सालों से चली आ रही है। महाभारत काल में हस्तिनापुर के लिए पुर शब्‍द का इस्‍तेमाल किया गया था। समय भले ही बीत गया हो, लेकिन इस परंपरा का पालन आज भी हो रहा है।