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Land Dispute : जमीनी विवाद में कौन कौन सी लगती हैं धाराएं, 90 प्रतिशत लोगों को नहीं होती जानकारी

Legal provision in land dispute : प्रोपर्टी विवाद के मामलें दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे है, जमीन संबंधी विवाद में अलग-अलग धाराएं लगाई जाती हैं, आज हम आपको इस वाक्या के माध्यम से बताने जा रहे है कि जमीनी विवाद में कौन कौन सी जमीनी विवाद में कौन कौन सी धाराएं लगाई जाती है, आइए खबर में जानते है इसकी जानकारी।
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HR Breaking News, Digital Desk - जमीन से जुड़े विवादों के निपटान (Settlement of land related disputes) को लेकर लोगों में जानकारी का अभाव है. ज्यादातर लोग जमीन संबंधी विवादों (land disputes) से जुड़ी कानूनी धाराओं से परिचित नहीं होते हैं. इस तरह के विवादों से लोगों का सामना अक्सर होता रहता है. कई बार यह विवाद बहुत बड़ा रूप ले लेते हैं. ऐसे में जमीन से जुड़े मामलों से संबंधित कानूनी प्रावधान और धाराओं की जानकारी (information about streams) होनी जरूरी है. गौरतलब है कि जमीन या संपत्ति से जुड़े मामलों (Matters related to land or property) में कानूनी सहायता प्राप्त करने के लिए पीड़ित के पास आपराधिक और सिविल दोनों प्रकार के मामलों में कानूनी सहायता प्राप्त करने का प्रावधान है.

आपराधिक मामलों से संबंधित आईपीसी (IPC)की धाराएं-

धारा 406: कई बार लोग उन पर किए गए भरोसे का गलत फायदा उठाते हैं. वे उन पर किए गए विश्वास और भरोसे का फायदा उठाकर जमीन या अन्य सम्पत्ति पर अपना कब्जा (possession of land or other property) कर लेते हैं. इस धारा के अन्तर्गत पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है.

    
धारा 467: इस धारा के तहत यदि किसी की जमीन या अन्य संपत्ति को फर्जी दस्तावेज (कूटरचित दस्तावेज) बनाकर हथिया लिया जाता है और कब्जा स्थापित कर लिया जात है,तब इस तरह के मामले में पीड़ित व्यक्ति आईपीसी की धारा 467 के अंतर्गत अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है. इस तरह से जमीन या संपत्ति पर कब्जा करने के मामलों की संख्या बहुत ज्यादा है.इस तरह के मामले एक संज्ञेय अपराध होते हैं और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के द्वारा इन पर विचार किया जाता है. यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है. 


धारा 420: अलग-अलग तरह के धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े जैसे मामलों से यह धारा संबंधित है. इस धारा के तहत संपत्ति या जमीन से जुड़े विवादों में भी पीड़ित के द्वारा शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.

जमीन या अन्य संपत्ति से संबंधित सिविल कानून-

जमीन संबंधी विवादों का निपटान (settlement of land disputes) सिविल प्रक्रिया के द्वारा भी किया जाता है. हालांकि कई बार इस इसमें लंबा समय लग जाता है,लेकिन यह सस्ती प्रक्रिया है.किसी की जमीन या संपत्ति पर गैरकानूनी तरीके कब्जा कर लेने पर इसके जरिए भी मामले को निपटाया जाता है. इस तरह के मामले सिविल न्यायालय देखता है.

स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट, 1963

भारत की संसद (Parliament of India) के द्वारा इस कानून को संपत्ति संबंधी मामलों (property matters) में त्वरित न्याय के लिए बनाया गया था. इस अधिनियम की धारा-6 के द्वारा किसी व्यक्ति से उसकी संपत्ति को बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के छीन लेने या जबरदस्ती उस पर कब्जा कर लेने की स्थिति में इस धारा को लागू किया जाता है. धारा-6 के जरिए पीड़ित व्यक्ति को आसान तरीके से जल्दी न्याय दिया जाता है. हालांकि धारा-6 से संबंधित कुछ ऐसे नियम (rules related to Section 6) भी हैं जिनकी जानकारी होना जरूरी है.

धारा-6 से संबंधित कुछ नियम और महत्वपूर्ण बातें-

इस धारा के तहत न्यायालय के द्वारा जो भी आदेश या डिक्री पारित कर दी जाती है उसके बाद उसपर अपील नहीं की जा सकती.
यह धारा उन मामलों में लागू होती है जिनमें पीड़ित की जमीन से उसका कब्जा 6 महीने के भीतर छीना गया हो.अगर इस 6 महीने के बाद मामला दर्ज कराया जाता है तो फिर इसमें धारा 6 के तहत न्याय ना मिलकर सामान्य सिविल प्रक्रिया के जरिए इसका समाधान किया जाएगा.
इस धारा के तहत सरकार के विरुद्ध मामला लेकर नहीं आया जा सकता है.
इसके तहत संपत्ति का मालिक,किराएदार या पट्टेदार कोई भी मामला दायर कर सकता है.