Live in Relationship : जानिए क्या होता है लिव इन रिलेशनशिप, भारत में इसके लिए है कौनसा कानून

HR Breaking News, New Delhi : लिव इन रिलेशनशिप किसी भी उस रिश्ते को कहते हैं, जहां दो लोग जो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं बिना शादी किए एक साथ एक ही छत के नीचे रहते हैं। दरअसल, प्यार एक बहुत ही खूबसूरत एहसास है और ये किसी भी लिंग, जाति, रंग और क्लास को नहीं देखता है। यह केवल उस एक इंसान को देखता है, जो दुनिया में आपको सबसे खास और अच्छा लगता है, फिर चाहे वो जैसा भी हो। हालांकि, अपने पार्टनर को सही तरह से जानने और समझने के लिए कुछ कपल्स साथ में अधिक वक्त बिताना पसंद करते हैं और वहां ही लिवइन रिलेशन आता है। ऐसे में दोनों पार्टनर एक ही छत के नीचे एक साथ रहने लगते हैं लेकिन वो किसी तरह के बंधन जैसे कि शादी में नहीं होते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने इंदिरा शर्मा बनाम वीएवी शर्मा 2013 के मामले के तहत लिवइन से संबंधित पूरी गाइडलाइन को प्रस्तुत किया गया है। इसमें लिवइन (living relationship means in hindi) से संबंधित सभी शर्तों के बारे में बताया गया है और ये भी बताया गया है कि लिवइन (लिव-इन रिलेशनशिप कानून 2020) किस तरह से वैद्य है।
दरअसल, शादी एक प्रकार का लीगल कमिटमेंट होता है। इसमें आपके माता-पिता और आपके पार्टनर के माता-पिता के अलावा दोनों के घरों के सभी लोग शामिल होते हैं और यदि पार्टनर को एक दूसरे से अलग होना हो तो उन्हें तलाक लेना पड़ता है। वहीं लिव इन (लिविंग रिलेशनशिप मीनिंग इन हिंदी) में ऐसा कुछ नहीं होता है। लिवइन में कपल एक दूसरे के साथ बिना शादी किए रहते हैं और दोनों एक दूसरे को अधिक बेहतर तरीके से समझने की कोशिश करते हैं। यहां आपको बता दें कि भारत में अब लिवइन लीगल हो गया है। हालांकि, फिर भी कई लोग लिवइन को सही नहीं मानते हैं।
सुप्रीम कोर्ट जजमेंट लाइव इन रिलेशनशिप – Live in Relationship Law in Hindi
सुप्रीम कोर्ट ने भारत में लिव इन रिलेशनशिप (सुप्रीम कोर्ट जजमेंट लाइव इन रिलेशनशिप) को 5 अलग-अलग तरीकों से परिभाषित किया है। यहां बता दें कि यह व्यस्क अविवाहित पुरुष और व्यस्क अविवाहित महिला के बीच एक साथ एक ही छत के नीचे रहने का संबंध है और यह बहुत ही सरल प्रकार का संबंध है।
दोनों पति-पत्नी की तरह काफी वक्त से साथ रह रहे हैं
किसी भी लिवइन रिलेशन (living relationship kya hota hai) में दोनों पक्षधरों का काफी समय तक एक साथ एक ही घर में रहना आवश्यक है। इसमें ऐसा नहीं होना चाहिए कि दोनों कुछ वक्त के लिए साथ रह रहे हैं और फिर कुछ वक्त के लिए अलग रह रहे हैं। दोनों के साथ रहने की एक सही अवधि का होना आवश्यक है। कोर्ट के अनुसार यदि एक अवधि को दोनों ने पूरा कर लिया तो उनके रिश्ते को लिवइन माना जाएगा।
एक घर में रहना
लिवइन में रहने वाले कपल्स का एक ही घर में रहना आवश्यक है। लिवइन में दोनों लोग एक ही घत के नीचे पति-पत्नी की तरह रहते हैं और तभी उसे लिवइन कहा जाता है।
लोगों को पता हो कि दोनों लिवइन में रहते हैं
जव पक्षकार लिवइन में रहते हैं तो उनके आसपास के लोगों को पता होना चाहिए कि वो लिवइन में रह रहे हैं। ऐसे में यदि दो व्यस्क लोग साथ रह रहे हैं तो उनके बीच शारीरिक संबंध भी होगा। साथ ही आपके दोस्त और पड़ोसियों को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए कि पक्षकार लिवइन में रहता है।
महिला साथी का रखरखाव
भारत में सभी व्यक्तिगत कानूनों के तहत पत्नियों को रखरखाव का अधिकार उपलब्ध है। हालांकि, कोई भी धर्म लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता नहीं देता है और न ही स्वीकार करता है। चूंकि लिव-इन रिलेशनशिप में शामिल महिलाओं को कोई विकल्प नहीं दिया जाता है, इसलिए भारतीय न्यायालयों ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत रखरखाव का दायरा बढ़ा दिया है।
घरेलु हिंसा
घरेलू हिंसा अधिनियम को महिलाओं को अपमानजनक (शारीरिक, मानसिक, मौखिक या आर्थिक) वैवाहिक संबंधों से बचाने के प्रयास के रूप में लागू किया गया था। हालांकि, धारा- 2 (एफ) के अनुसार, यह न केवल विवाहित जोड़े पर लागू होता है, बल्कि विवाह की प्रकृति में एक ‘संबंध’ के लिए भी लागू होता है।
इसलिए, इस सब पर भी सुप्रीम कोर्ट ने एक दो मामलों में लिव-इन रिलेशनशिप को कानून के दायरे में शामिल करने की अनुमति दी है।
लिवइन में बच्चे को गोद लेना
हो सकता है कि लंबे समय से लिवइन में रहने वाले कपल्स के बच्चे हों लेकिन ऐसी स्थिति में दोनों लोग किसी भी बच्चे को गोद नहीं ले सकते हैं।
इस लाइव इन रिलेशनशिप लीगल इन इंडिया?
भारत में लिवइन रिलेशनशिप लीगल है तथा इसके तहत कुछ कानून भी हैं।