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live in relationship : शादीशुदा महिला या पुरूष लिव इन में रह सकते हैं या नहीं, हाईकोर्ट ने दिया फैसला

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि पति व पत्नी के रहते हुए भी कोई व्यक्ति अपने किसी और साथी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में बिना तलाक रह सकते है। नए दौर में स्वतंत्रता से जीवन जीने का अधिकार पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। देश में अब भी ऐसे कई प्रदेश हैं, जहां पर रूढ़िवादी सोच वाले लोग इसको स्वीकार नहीं करते है। आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
 
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live in relationship : शादीशुदा महिला या पुरूष लिव इन में रह सकते हैं या नहीं, हाईकोर्ट ने दिया फैसला

HR Breaking News (ब्यूरो) : समाज में होने वाले प्रेम विवाह को भी स्वीकार नहीं किया जाता है। प्रेमी जोड़ों को एक दूसरे के साथ अपना जीवन जीने के लिए संविधानिक अधिकार तो है, लेकिन उन्हें अपने जीवन की सुरक्षा की गुहार लगानी पड़ती है। इधर, राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर के न्यायधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी की बेंच ने लिव इन रिलेशनशिप व लाइफ ऑफ प्रोटेक्शन के मैटर में बड़ा फैसला सुनाया है।


बिना तलाक लिए लिव इन में रहने के मामले को हाईलाइट करके ऑन टेबल हाईकोर्ट ने दोनों पक्षकारों को राइट टू लिबर्टी एक्ट अंडर आर्टिकल 21 कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ़ इंडिया जहां पर भारतीय संविधान में हर भारतीय नागरिक को अपनी डिग्निटी और लिबर्टी के आधार पर अपनी मर्जी से किसी के साथ भी रहने का संविधान में अधिकार दिया है।

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अधिवक्ता गजेंद्र पवार ने खंडपीठ के सामने रखा और कहा कि लिव इन रिलेशनशिप एक बदलते हुए दौर और भारतीय संविधान उसको स्वीकार करता है।

सरकारी अधिवक्ता की दलीलों को मध्य नजर रखते हुए दोनों पक्षकारों को लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए संबंधित पुलिस अधिकारी को आदेश दिए कि पक्षकारों के संविधान के अधिकारों का हनन ना हो। उसकी समीक्षा कर उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

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अधिवक्ता गजेंद्र कुमार ने पक्षकारों के हित में कई जजमेंट का भी उल्लेख किया। उन्होंने पक्षकारों को उनके अधिकारों का पालन करवाया जो कि आने वाले दशक में एक लैंडमार्क जजमेंट की तौर पर हाईकोर्ट जोधपुर ने आदेश पारित किया है।