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Marriage act : तलाक होने पर पत्नी को भी देना होता है पति को पैसा, जानिये क्या है कानून

Alimony Provision in law :आमतौर पर आपने यही सुना होगा कि पति और पत्नी में तलाक के बाद पत्नी अपने गुजारे भत्ते की मांग कर सकती है, लेकिन तलाक के बाद पति भी पत्नी से ऐसी मांग कर सकता है। तलाक के बाद गुजारे भत्ते की मांग को लेकर स्थिति अनुसार कई नियम भी पति व पत्नी के लिए तय किए गए हैं। आइये जानते हैं इस बारे में कानून में क्या प्रावधान है।

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Marriage act : तलाक होने पर पत्नी को भी देना होता है पति को पैसा, जानिये क्या कहता है देश का कानून

HR Breaking News - (ब्यूरो)। पति-पत्नी का रिश्ता जितना मजबूत होता है, उतना ही नाजुक भी होता है। भावना व विश्वास पर टिके इस रिश्ते में दरार आ जाए तो बात तलाक तक पहुंच जाती है। तलाक के बाद पत्नी की ओर से पति से अपने भरण पोषण (bharan poshan ke rules) के लिए भत्ता मांगा जाता है, लेकिन कानून के अनुसार पति भी तलाक के बाद पत्नी से भरण पोषण के लिए पैसा मांगने का हक रखता है। इस बारे में कानून में दिए गए प्रावधान को जानिये इस खबर के माध्यम से।


कानून में यह है प्रावधान -

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भारत में तलाक के नियम धार्मिक आधार पर भिन्न होते हैं, जिसमें हिंदू धर्म के अनुयायी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी करते हैं। इस एक्ट (hindu marriage act in divorce) में यह प्रावधान है कि तलाक के बाद पति और पत्नी दोनों में से कोई भी एलिमनी और मेंटिनेंस की मांग कर सकता है। इस राशि को गुजारा भत्ता या भरण पोषण राशि कहा जाता है। 
तलाक का सामना करते समय मानसिक और सामाजिक दबाव के अलावा आर्थिक असर भी पड़ता है। तलाक (talaak rule) से जुड़े कानूनी प्रावधानों की सही जानकारी होना बेहद जरूरी है, ताकि दोनों पक्ष अपनी स्थिति और अधिकार समझ सकें और कोई भी गलतफहमी न हो।


तलाक के बाद भरण-पोषण का मामला -

 

तलाक के मामलों में आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है, खासकर जब शादी को लंबा समय हो गया हो और उसके बाद रिश्ते समाप्त (divorce rule in law) होने वाला हो। ऐसा ही हुआ है मुंबई में, जहां एक जोड़े ने शादी के 25 साल बाद तलाक लिया और पति ने भरणपोषण की मांग की।
 इसके बाद पत्नी ने पति को लगभग 10 करोड़ रुपये की राशि दी। यह एक असामान्य उदाहरण था, क्योंकि आमतौर पर तलाक के बाद पत्नि ही पति से भरणपोषण (alimony Provision in law) की मांग करती है , लकिन इस केस में पति ने अपनी पत्नि से गुजारा भत्ता प्राप्त किया है।


हिंदू विवाह में तलाक की प्रक्रिया -

 

हिंदू विवाह कानूनी धारा-9 (hindu marriage act) ‘रेस्टीट्यूशन ऑफ कॉन्जुगल राइट्स’ (RCR) के तहत जो पति और पत्नी के बीच एक साथ रहने के अधिकारों को वापस पाने से जुड़ी है। जब बिना किसी स्पष्ट कारण के दोनों पति-पत्नी एक साथ नहीं रहते हैं, तो उनमें से कोई एक चाहे वो पति हो या पत्नी, एक-दूसरे के साथ रहने के लिए कोर्ट से कह सकता है। 


अगर दोनों साथ नहीं रहना चाहते, तो दोनों में से कोई भी तलाक के लिए अपील कर सकता है। तलाक की प्रक्रिया (process of divorce) उस समय तक शुरू नहीं हो सकती, जब तक इस मामले को सुलझाया न जाए। लेकिन, अगर दोनों की आपसी सहमति से तलाक हो, तो इस नियम का कोई मतलब नहीं रहता।


हिंदू विवाह कानून में भरण-पोषण अधिकार -

 

अदालत शादी के मामलों में दोनों पार्टियों की संपत्ति का मूल्यांकन करके निर्णय दे सकती है। तलाक (elimony rule in divorce) के लिए तब आवेदन  किया जा सकता है, जब एक साल तक वैवाहिक मेलमिलाप की प्रक्रिया पूरी हो चुकी हो। हिंदू विवाह कानून धारा-25 (Hindu Marriage Act Section-25) में कुछ शर्तों के तहत पति-पत्नी दोनों को आर्थिक सहायता और भरणपोषण की मांग करने का अधिकार होता है।
 वहीं, यदि शादी विशेष विवाह अधिनियम के तहत हुई हो, तो केवल पत्नी को ही आर्थिक सहायता या गुजारा भत्ते (gujara bhatta) की मांग करने का अधिकार होता है, जिसमें केवल पत्नि की ही मांग होती है।

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इस कारण से पति मांग सकता है भरण-पोषण -

 

आप यह तो जानते हैं कि तलाक के मामलों में आमतौर पर पत्नी ही गुजारे भत्ते की मांग करती है, जिससे पति पर वित्तीय प्रभाव पड़ता है। लेकिन आपको बता दें की तलाक के बाद पत्नी ही नहीं बल्कि पति भी भरणपोषण के लिए पात्र होता है। 
इसके लिए कानून में एक नियम है कि अगर पति की कोई आय नहीं है या पति की आय पत्नी से कम हो, तो पति अपनी पत्नी से भरणपोषण के लिए डिमांड कर सकता है और पत्नी को पैसे देने के लिए बाधित कर सकता है। वैसे तो यह मामले काफी कम मिलते हैं और ज्यादातर पत्नी ही तलाक के बाद भरण-पोषण (gujara bhatta rule) की मांग करती नजर आती है।