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Delhi-NCR में बनेगा नया एक्सप्रेसवे, अब नोएडा एयरपोर्ट जाना होगा आसान, 2500 करोड़ की आएगी लागत

Delhi-NCR - हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक आपको बता दें कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से दिल्ली और हरियाणा की कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए एनएचआई (National Highway Authority of India) बड़ी पहल करने जा रही है। जिसके चलते अब नोएडा जाना आसान होगा।

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HR Breakingh News, Digital Desk- दिल्ली से नोएडा इंटरनेशल एयरपोर्ट, जेवर (Noida International Airport) का सफर बहुत आसान होने वाला है. दरअसल, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से दिल्ली और हरियाणा की कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) बड़ी पहल करने जा रही है. एनएचएआई ने नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के समांतर एक और एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए सर्वे का काम दोबारा शुरू कर दिया है.

इसके बनने से न केवल नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर वाहनों का दबाव कम होगा बल्कि 10 लाख से ज्यादा वाहन चालकों को अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचने में काफी आसानी होगी. इस एक्सप्रेसवे की लंबाई करीब 32 किलोमीटर होगी, जिसमें 28 किलोमीटर नोएडा क्षेत्र में और 4 किलोमीटर एयरपोर्ट से लिंक करने में बनाया जाएगा. एनएचएआई जल्द ही पुस्ता रोड समेत अन्य विकल्पों पर सर्वे कर अपनी रिपोर्ट बनाएगा. इसके बाद ये फैसला लिया जाएगा कि इस सड़क का निर्माण एनएचएआई करेगा या फिर नोएडा अथॉरिटी इसे बनाएगा.

दिल्ली, हरियाणा और यूपी के कई शहरों को सीधा फायदा-
इस नए एक्सप्रेसवे से दिल्ली, हरियाणा और यूपी के कई शहरों को सीधा फायदा पहुंचेगा. वर्तमान में नोएडा एक्सप्रेसवे पर रोजाना करीब 10 से 15 लाख वाहन चलते हैं. ये इसकी क्षमता से कहीं ज्यादा है. इसलिए नया एक्सप्रेसवे बनाने पर विचार किया गया. इसकी फिजिबिलिटी तैयार की जा रही है.य इस एक्सप्रेसवे को दिल्ली कालिंदी कुंज के पास मुंबई बड़ोदरा एक्सप्रेस से जोड़ने का प्लान है.

जाम से मिलेगा छुटकारा-
इसके बनने से हरियाणा के फरीदाबाद, बल्लभगढ़, दिल्ली के बदरपुर, नेहरु प्लेस और नोएडा का अधिकतर ट्रैफिक, जो मौजूदा एक्सप्रेसवे का प्रयोग करते हैं, वो सीधे नए एक्सप्रेसवे के जरिए यमुना एक्सप्रेसवे से आगरा, अलीगढ़, मथुरा, नोएडा एयरपोर्ट और लखनऊ तक आ जा सकेंगे. उनको जाम का सामना नहीं करना होगा. इसलिए इस एक्सप्रेसवे की फिजिबिलिटी और जरुरत ज्यादा है.

प्रोजेक्ट को बनाने में करीब 2 से 2.5 हजार करोड़ रुपये का खर्च-
इस प्रोजेक्ट को बनाने में करीब 2 से 2.5 हजार करोड़ रुपये का खर्च होगा. सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट दोनों को ही लागत वहन करनी होगी. मौजूदा समय में प्राधिकरण इतनी बड़ी रकम प्रोजेक्ट पर खर्च करने में असमर्थ है. इसकी वजह अथॉरिटी के पास आय के साधन समाप्त होना है.