property dispute : भाई बहन ने हड़प ली आपकी प्रोपर्टी, कैसे मिलेगी वापस, जानिये मालिकाना हक साबित करने के लिए कौन सा डॉक्यूमेंट जरूरी

HR Breaking News - (property rights)। प्रोपर्टी में धोखाधड़ी की घटनाएं हर दिन बढ़ती ही जा रही हैं। कई मामलों में अपने ही शामिल होते हैं, ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि यह प्रोपर्टी (property rights) कैसे वापस मिल सकती है। इसके साथ ही प्रोपर्टी के मालिकाना हक (property owner's rights) को साबित करने वाला कागजात होना भी जरूरी है। इसके बाद आपको आपकी प्रोपर्टी आसानी से वापस मिल जाएगी। हालांकि आपको जरूरी कानूनी प्रक्रिया से भी गुजरना होगा।
सिविल कोर्ट का खटखटाएं दरवाजा-
धोखाधड़ी करके जमीन हड़प (land grab cases) ली जाती है या संपत्ति विक्रय पत्र पर धमकाकर साइन करा लिए जाएं तो आप इसकी शिकायत थाने में कर सकते हैं। जमीन की रजिस्ट्री (property registration rules) भी करा ली जाए तो प्रोपर्टी रजिस्ट्रार के कार्यालय में शिकायत दे सकते हैं।
रजिस्ट्री रद्द कराने की दें एप्लीकेशन-
रजिस्ट्रार के कार्यालय में आप रजिस्ट्री रद्द करने के लिए एपलीकेशन लगा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन न किए जाने के लिए भी कह सकते हैं। इसके अलावा जमीन वापस पाने के लिए सिविल कोर्ट (civil court) में केस दर्ज कराएं। इसमें आप कॉन्ट्रैक्ट लेटर रद्द करने की गुहार लगा सकते हैं। इसके अलावा थाने में भी केस दर्ज कराएं।
इस धारा के तहत होगा थाने में केस दर्ज-
धोखाधड़ी से प्रोपर्टी हथियाना (property fraud) अपराध माना जाता है और ऐसा होने पर आईपीसी की धारा 420 के तहत केस दर्ज कराया जा सकता है। जमीन या प्रॉपर्टी को गलत तरीके से व्यक्ति को डरा-धमकाकर संपत्ति से बेदखल (property eviction rules) किया है तो, पीड़ित धारा 420 के तहत पुलिस थाने में केस दर्ज करा सकता है।
इसके अलावा वह प्रोपर्टी (property news) से जुड़ी जानकारी जिला न्यायालय, सब रजिस्ट्रार ऑफिस, भू-अभिलेख विभाग और नगर पंचायत या नगर पालिका से ले सकता है। यहां पर शिकायत भी दी जा सकती है।
ये दस्तावेज होने चाहिए आपके पास -
किसी प्रोपर्टी या जमीन पर मालिकाना हक (property owner rights) तभी साबित होता है जब दावा करने वाले के पास रजिस्ट्री, खतौनी, दाखिल खारिज के दस्तावेज, खाता संख्या और ट्रांसफर ऑर्डर आदि हों। इनमें रजिस्ट्री ही प्रॉपर्टी के असली मालिक होने का प्रमाण है। जमीन से जुड़े मामलों (property cases) को किसी वकील से मिलकर निपटाना बेहतर रहता है।