home page

Property Dispute : प्रोपर्टी विवाद में लगती हैं ये धाराएं, जानिये कैसे खत्म कर सकते हैं जमीनी विवाद

Property Act : प्रोपर्टी से जुड़े विवाद अक्सर होते रहते हैं। इन विवादों का बड़ा कारण है कि अधिकतर लोगों को अपने प्रोपर्टी अधिकारों (property rights) के बारे में कानूनी तौर पर पता ही नहीं है। अगर कोई इस तरह के विवाद खत्म भी करना चाहे तो प्रोपर्टी विवाद (property dispute law) होने पर लगने वाली धाराओं से लोग परिचित नहीं हैं। आइये आपको बताते हैं किस तरह के प्रोपर्टी विवाद में कौन सी धारा लगती है। 

 | 
Property Dispute :  प्रोपर्टी विवाद में लगती हैं ये धाराएं, जानिये कैसे खत्म कर सकते हैं जमीनी विवाद

HR Breaking News - (land disputes)। प्रोपर्टी विवाद (Property Dispute) बढ़ जाए तो यह लोगों के लिए कई तरह से नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए अधिकतर लोग इसे समय रहते निपटा लेना ही बेहतर समझते हैं। कोई इसे आपसी सहमति से तो कोई कानूनी मदद से निपटाता है। जब आपसी सहमति से बात न बने तो लोग कानून का सहारा लेते हैं।

प्रोपर्टी विवादों को लेकर कानूनी जानकारी के अभाव में लोग भटक भी जाते हैं और मामला और गहरा हो जाता है। इसलिए समय रहते प्रोपर्टी विवादों (Property Disputes) से जुड़े कानूनी प्रावधानों और विवाद होने पर लगने वाली धाराओं (Legal Sections in property disputes) के बारे में जान लेना बहुत जरूरी है ताकि आसानी से जमीनी विवादों को खत्म किया जा सके।


ऐसे निपटाए जा सकते हैं प्रोपर्टी विवाद -


प्रोपर्टी को लेकर कई बार मामला आपराधिक हद तक भी पहुंच जाता है। इसलिए प्रोपर्टी (property knowledge) के विवाद आपराधिक व सिविल हो सकते हैं और इन दोनों तरह के विवादों में कानूनी सहायता प्राप्त की जा सकती है। आपराधिक मामलों से IPC की धाराएं लगती हैं। इनके बारे में भी आपको पता होना जरूरी होता है।

धारा 406 (section 406) में प्रावधान -


जब विश्वास का फायदा उठाकर जमीन या प्रोपर्टी पर कोई व्यक्ति कब्जा (Property Possession)करता है तो धारा 406 के  तहत पीड़ित की ओर से शिकायत दी जा सकती है। 

धारा 467 (Section 467)कब होती है लागू-


किसी प्रोपर्टी के फर्जी दस्तावेज (property document) तैयार कराकर संपत्ति हासिल की जाती है तो पीड़ित IPC की धारा 467 के तहत संबंधित कब्जाधारी (Property Possession rules) की शिकायत दर्ज करा सकता है। ये मामले संगीन अपराध (Serious crime) में गिने जाते हैं। प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट ही इन मामलों में सुनवाई करते हैं। इस तरह का अपराध क्षमा या समझौता करने योग्य नहीं होता।

क्या कहती है धारा 420 - 


जमीनी मामलों में धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा (fraud property cases) कई तरह से किया जा सकता है। बहकाकर भी कई बार प्रोपर्टी मामलों में फ्रॉड किया जा सकता है। इन सभी मामलों में धारा 420  के तहत संबंधित व्यक्ति पर केस (FIR in property disputes) दर्ज कराया जा सकता है।


सिविल कानून में प्रावधान - 


सिविल प्रक्रिया के जरिये भी प्रोपर्टी (Property Civil Law) से जुड़े विवाद निपटाए जाते हैं। यानी मुकदमे फौजदारी और दीवानी, दो तरह के होते हैं। सिविल प्रक्रिया में मामले के निपटान में लंबा समय लग सकता है। हालांकि ये अपेक्षाकृत सस्ती और आसान प्रक्रिया है। जमीन पर अवैध कब्जा (illegal possession) कोई करता है तो सिविल कोर्ट के जरिये इसे निपटाया जा सकता है।  


स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट में प्रावधान -


स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट, 1963 (Specific Relief Act 1963)संपत्ति के विवादों को फटाफट निपटाने व जल्द से जल्द न्याय दिलाने के लिए बनाया गया है। इस एक्ट की धारा - 6 कहती है कि मामला 6 माह से अधिक पुराना न हो। बिना किसी संवैधानिक प्रक्रिया के कोई किसी की प्रोपर्टी छीनता है या कब्जा (property possession) करता है तो धारा-6 के जरिए पीड़ित शिकायत कर सकता है। इस बात का ध्यान रखें कि कोर्ट इस धारा के तहत दर्ज मुकदमे में जो आदेश या डिक्री पारित कर दे तो फिर उस पर अपील नहीं की जा सकती।  

धारा-6 से जुड़ी खास बातें-


धारा-6 प्रोपर्टी से जुड़े उन मामलों में लागू होती है, जिनमें किसी की जमीन से कब्जा (property Encroachment) 6 महीने के भीतर छीना गया हो या जबरदस्ती कब्जा किया गया हो। 6 महीने के बाद  इस तरह के मामले में केस दर्ज कराया जाता है तो यह धारा काम नहीं करेगी, बल्कि सिविल प्रक्रिया ।द्ध के जरिए इसका समाधान होगा। धारा-6 (section 6 provisions) के तहत सरकार के विरुद्ध मामला दर्ज नहीं हो सकता । इस धारा के तहत संपत्ति मालिक (Property Owner), किराएदार या पट्टेदार (tenant or lessee) केस दर्ज करने का अधिकार रखता है।

News Hub