property division rules : प्रोपर्टी बंटवारे में जीजा कर सकता है बड़ा खेल, जानिये संपत्ति बंटवारे का कानून
property rights : कानून में संपत्ति के बंटवारे व अधिकारों को लेकर अलग अलग प्रावधान हैं। माता-पिता की प्रोपर्टी के बंटवारे को लेकर कई बार भाई बहनों में विवाद (Property Disputes) देखने को मिलते हैं। इस बंटवारे में शादीशुदा बहन अगर कुछ न कहे तो भी उसका पति यानी जीजा भी बड़ा खेल कर सकता है। प्रोपर्टी से जुड़े अधिकारों (Property Rights) व प्रावधानों को जान लेंगे तो भाई बहनों के प्रोपर्टी बंटवारे में जीजा का रोल भी आपको क्लियर हो जाएगा।
HR Breaking News - (property knowledge)। संपत्ति का बंटवारा वैसे तो एक सामाजिक परंपरा का रूप है लेकिन जब आपसी सहमति से बंटवारे की बात नहीं बनती तो मामला कोर्ट तक पहुंचता है और कानूनी प्रावधानों के अनुसार बंटवारा होता है। भाई बहन के बीच प्रोपर्टी (brother sister property disputes) के बंटवारे में जीजा भी बड़ा पेंच अटका सकता है और बहन के हिस्से की प्रोपर्टी आपके नाम होने से रोक सकता है। इसलिए आपको संपत्ति के बंटवारे को लेकर कानूनी प्रावधान (legal provisions for property) भी जान लेना चाहिए।
माता पिता की संपत्ति पर बेटी का हक -
माता पिता के जीते जी तो कभी उनकी मौत के बाद संतान में प्रोपर्टी के विवाद (property cases) हो जाते हैं। माता पिता की मृत्यु अगर संपत्ति का बंटवारा किए बिना व वसीयत लिखे बिना हो जाती है तो उस संपत्ति पर सभी संतानों का बराबर का हक (sister's Property Rights) होता है।
प्रोपर्टी के मामले में संतान प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी व वारिस होते हैं। माता पिता ने किसी के नाम संपत्ति नहीं की है तो बेटा-बेटी को समान अधिकार (daughter's property rights) अनुसार संपत्ति मिलेगी।
भाई नहीं बना सकता है यह दबाव -
संपत्ति के बंटवारे के समय जब बेटी के हक (daughter's property rights) की बात आती है तो कई बार बेटी अपनी मर्जी से भाई को अपने हिस्से की प्रोपर्टी (Property Disputes) दे देती है। लेकिन भाई इसके लिए कोई दबाव नहीं बना सकता।
कई मामलों में यह भी देखा जाता है कि बेटी को प्रोपर्टी (son daughter's property rights) से वंचित कर दिया जाता है। यानी यह कोई जरूरी नहीं है कि बेटी को संपत्ति में हक दिया ही जाएगा। कानूनी रूप से भाई जितना ही बहन का भी माता पिता व परिवार की प्रोपर्टी पर हक (Brother sister property rights) होता है। यान बेटा-बेटी का समान रूप से प्रोपर्टी में अधिकार होता है।
सभी हिस्सेदारों की सहमति जरूरी-
आमतौर पर सबसे पहले संयुक्त प्रोपर्टी (property news) के बंटवारे का विवाद सिविल कोर्ट या एसडीएम कोर्ट में पहुंचता है। यहां पर प्रोपर्टी के रिकॉर्ड (property record) में जितने भी नाम लिखे होते हैं, बंटवारे के लिए उन सभी की रजामंदी होनी जरूरी है। ऐसा न होने पर कोर्ट के अनुसार बंटवारा (property division rules in law) निर्धारित किया जाता है।
बहन की प्रोपर्टी में जीजा की यह होती है भूमिका-
बहन की शादी के बाद भी उसका अधिकार माता पिता की प्रोपर्टी (son's property rights) में कानूनी रूप से बना रहता है। बहन की रजामंदी से ही उस प्रोपर्टी को अपने नाम कराया जा सकता है, इसमें बहन की मर्जी होती है। अगर बहन का पति इस मामले में नाराज है तो वह खेल कर सकता है।
इसलिए बहन व जीजा (son in law's property rights) दोनों से बनाकर रखने से ही बात बन सकती है। हालांकि कानूनी रूप से जीजा इस मामले में कुछ नहीं कह सकता लेकिन बहन को निर्णय पलटने के लिए कह सकता है और बहन इसे मान लेती है तो बहन के हिस्से की प्रोपर्टी (property rights in law) कभी आपके हाथ नहीं आ सकती।
