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property ki jankari : प्रोपर्टी खरीदते और बेचते वक्त इन बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना उठाना पड़ेगा बड़ा नुकसान

Things kept in mind while buying property : प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों को देखते हुए भी लोग इसकी खरीद और बिक्री पर काफी ज्यादा जोर दे रहे हैं। प्रॉपर्टी का लेनदेन करते समय कई सारी बातें ध्यान में रखनी होती है। ऐसे में आज की इस खबर में हम आपको बताने जा रहे हैं प्रॉपर्टी से जुड़ी उन खास बातों के बारे में जिनकी जानकारी होना काफी जरूरी है वरना बाद में उठाना पड़ेगा बड़ा नुकसान।

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property ki jankari : प्रोपर्टी खरीदते और बेचते वक्त इन बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना उठाना पड़ेगा बड़ा नुकसान

HR Breaking News, Digital Desk - (property buying tips)प्रॉपर्टी खरीदना सबसे बड़ी शॉपिंग होती है। आम आदमी अपने जीवन में 1-2 बार ही प्रॉपर्टी खरीदता-बेचता है। ऐसे में यह सौदा बिना किसी व्यवधान के हो, यह बहुत जरूरी है। आपकी थोड़ी सी लापरवाही आपको एक फ्रॉड की तरफ धकेल सकती है। हाल के दिनों में यह देखा गया है कि पुराने घर को बेचने और आधुनिक सुविधाओं वाला एक बड़ा, नया और मॉडर्न घर खरीदने का चलन बढ़ रहा है। नए जमाने के होम बायर्स ऐसे ही घरों को खरीदना पसंद कर रहे हैं। लेकिन जब तक पुरानी हाउसिंग प्रॉपर्टी को बेचा नहीं जाता, तब तक नई प्रॉपर्टी को नहीं खरीदा जा सकता है। ऐसे में अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो ऐसी इम्यूएबल प्रॉपर्टी जल्दी बिक जाती है।


किसी भी प्रकार की इम्यूएबल प्रॉपर्टी जैसे घर, बंगला, फ्लैट या प्लॉट को खरीदने या बेचने में परेशानी आने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इन परेशानियों की वजह से कई बार लोगों को मेंटल और फाइनेंशल स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है। पहले के दौर में प्रॉपर्टीज की पर्चेज-सेल जुबानी और भरोसे पर हुआ करती थी, लेकिन अब इस तरह की लेनदेन एक प्रक्रिया से होकर गुजरती है। इस प्रक्रिया में जोखिम भी शामिल होते हैं। इसीलिए प्रॉपर्टी का लेन-देन करने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।

 

 

• सेलर प्रॉपर्टी को स्वयं या किसी एजेंट के माध्यम से बेच सकता है। एजेंट इस दिशा में काफी मददगार साबित हो सकते हैं। प्रॉपर्टी का विज्ञापन करना, ग्राहक को ढूंढना, उसे प्रॉपर्टी दिखाना, फिर उससे बातचीत करना, लेन-देन करना आदि में काफी समय लगता है।


• आज के दौर में रियल एस्टेट की कई वेबसाइट्स हैं, जहां से प्रॉपर्टी बेची या खरीदी जा सकती है। ऐसी वेबसाइट्स के माध्यम से संभावित ग्राहक तक पहुंचना अब आसान हो चला है। उन्हें इसकी तलाश करने की जरूरत नहीं है। हां, ये जरूर है कि बेची जाने वाली प्रॉपर्टी पर सेलर की ओनरशिप होनी चाहिए।


• संबंधित प्रॉपर्टी पर कोई अन्य अधिकार या दावा नहीं होना चाहिए। (latest property news)


• सेलर के पास इस बात का विवरण होना चाहिए कि बेची जाने वाली प्रॉपर्टी कब से सेलर के कब्जे में है, जिसके पास पहले उसका ओनरशिप होना चाहिए। इससे जुड़ी जानकारी सबरजिस्ट्रार के ऑफिस से हासिल की जा सकती है।


• सेल वैल्यू और प्रॉपर्टी का पीरियड तय किया जाना जरूरी होता है।


• सेल के लेन-देन में सेलर को प्रॉपर्टी के राइट्स खरीदार (property buying rules) को ट्रांसफर करने होते हैं। उसके लिए, एक सेल डीड बनानी होती है और डीड को रजिस्टर भी करना होता है।


• यह रजिस्ट्रेशन भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से होता है।


• इस सेल डीड में ओनरशिप ट्रांसफर,पेमेंट के तरीके, पैसे के आदान-प्रदान, स्टांप ड्यूटी, मिडलमैन आदि का उल्लेख है। इन सब बातों को ठीक से समझ लेना चाहिए। यह भी गौर करना जरूरी है कि प्रॉपर्टी पर क्या कोई लैंड एग्रीमेंट है या नहीं।


• प्रॉपर्टी से संबंधित एक एग्रीमेंट मूल रूप से एक खरीदार और एक प्राइवेट सेलर के बीच होता है। इस एग्रीमेंट में इस बात का जिक्र होता है कि जब तक खरीदार पूरी राशि का पेमेंट नहीं करता, तब तक प्रॉपर्टी का कब्जा सेलर के पास रहेगा।


• प्रापर्टी के लेन देन के दौरान यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि पेमेंट मंथली आधार पर किया जाना है या एकसाथ। साथ ही, किसी भी तरह के एग्रीमेंट में दोनों पक्षों की सहमति लिखित तौर पर जरूरी होती है। इसलिए प्रॉपर्टी की खरीदारी करने के दौरान आप इस बात पर विशेष ध्यान दें।


• यदि संबंधित प्रॉपर्टी पर कोई कर्ज है, तो खरीदार यह मान लेगा कि विक्रेता सभी पे किए जाने वाले लोन, टैक्स और चार्जेस (यदि कोई हो) का भुगतान करेगा। इस मुद्दे को पहले ही सुलझा लें और एग्रीमेंट में भी इसका जरूर उल्लेख करें। एक्सपर्ट कहते हैं कि ये सभी काम लेन-देन पूरा होने से पहले कर लें, क्योंकि इन छोटी-छोटी बातों में से एक भी कानूनी विवाद का कारण बन सकती है।


• प्रॉपर्टी खरीदने से पहले खरीदार को सबरजिस्ट्रार के ऑफिस से एक सर्टिफिकेट (कम से कम 15 दिन पहले) प्राप्त करना चाहिए कि प्रॉपर्टी किसी भी तरीके के लोन या लोन के सभी मामलों से मुक्त है। इससे इस बात की जानकारी मिलती है कि प्रॉपर्टी पर कर्ज है या नहीं और अगर है तो वह कितना है। इस सर्टिफिकेट के लिए चार्ज देना होगा। यह सर्टिफिकेट सेलर के लिए भी अच्छा है।


इन बातों का भी रखें ध्यान

1. प्रॉपर्टी की डील करते समय एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करना न भूलें।
2. प्रॉपर्टी बेचने के लिए हाउसिंग सोसाइटी से परमिशन या नो-ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट लेने में ही समझदारी है।
3. इनकम टैक्स विभाग, सिटी लैंड सीलिंग ट्रीब्यूनल या नगरपालिका से अनुमति ले लें।
4. प्रॉपर्टी के लेन-देन का रजिस्टर कराना न भूलें।
5. लेन-देन को पूरा करने के लिए एक समय सीमा तय करें और उस समय सीमा के भीतर ही प्रॉपर्टी से संबंधित लेनदेन का निपटारा करें।

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