Property Knowledge : मकान रेंट पर देने से पहले जान लें, किरायेदार कितने साल बाद कर सकता है घर पर कब्जा
Landlord Rights Update : आमतौपर एक व्यक्ति प्रोपर्टी को खरीदने के लिए आपनी कमाई का एक मोटा हिस्सा लगा देता है। प्रॉपर्टी के बन जाने के बाद अधिकतर लोग उसे किराये पर चढ़ाकर उससे अतिरिक्त कमाई करने के बारे में विचार करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप एक छोटी सी भी भूल कर देते हैं तो ऐसे में किरायेदार आपकी प्रॉपर्टी (property rights of landlord) पर दावा कर सकता है। आइए जानते हैं मकान रेंट पर देने से पहले किन बातों का ध्यान देना चाहिए।

HR Breaking News - (Rules For Landlord) लगातर बढ़ रहे प्रॉपर्टी के रेटों की वजह से लोगों के लिए प्रॉपर्टी खरीदने के लिए राशि को जुटा पाना काफी मुश्किल हो जाता है, जिसकी वजह से वो दिन रात मेहतन करके प्रॉपर्टी (property Rights of owner) खरीदते हैं। ऐसे में कई बार माकान मालिक की एक छोटी सी भी भूल उनके लिए परेशानी खड़ी कर सकती है। अगर मकान मालिक इन बातों का ध्यान नहीं देते हैं तो किरायेदार मकानमालिक की प्रॉपर्टी पर कब्जा कर सकता है और उस संपत्ति पर दावा कर सकता है। खबर में जानिये मकान के कब्जे से जुड़े ये कानून।
संपत्ति पर कब्जे का रहता है रिस्क-
आमतौर पर लोग घर को बनाकर उसे किराये पर चढ़ा देते हैं। किराये पर घर (Rent House Rules) और दुकान देने की वजह से उनके पास इनकम का एक एक्स्ट्रा जरिया हो जाता है। खासतौर पर बड़े शहरों और महानगरों में तो हाउस रेंट की वजह से लोगों को काफी मोटी आमदनी मिल जाती है।
लेकिन, किराये के इस खेल में खतरे भी बहुत हैं, अगर इसमें से सबसे बड़ा रिस्क के बारे में बात करें तो ये रिस्क संपत्ति (property rules) पर कब्जे का है। दरअसल, कई मकान मालिक घर किराये पर देने के बाद पूरी तरह से ही बेफ्रिक हो जाते हैं, उनको लगता हैं कि किरायेदार से टाइम पर रेंट मिलता रहे फिर कोई टेंशन नहीं। लेकिन,ऐसे बिल्कुल भी नहीं है।
इतने साल बाद किया जा सकता है दावा-
भारत के कानून के हिसाब से बात करें तो यहां पर कोई भी किरायेदार अगर लगातार 12 वर् तक सेम प्रॉपर्टी पर ही रहता है तो ऐसे में वो इस प्रॉपर्टी पर अपने मालिकाना हक का दावा ठौक सकता है। इस दावे को संपत्ति पर प्रतिकूल कब्जा (Adverse possession rules in india) कहा जाता है।
प्रतिकूल कब्जे के हालात उस समय पैदा होते हैं जब संपत्ति पर पट्टा समाप्त हो जाता है या फिर मकान मालिक किराया समझौते की शर्तों पर चूक कर जाता है। लिमिटेशन एक्ट 1963 के मुताबिक निजी संपत्ति (property par Kabja) के स्वामित्व का दावा करने की अवधि 12 वर्ष है, वहीं अगर सार्वजनिक संपत्ती पर दावा करने की अवधि के बारे में बात करें तो ये 30 वर्ष तक है।
किरायेदार कर सकते हैं कोशिश-
आमतौर पर देखा जाता है कि कुछ किरायेदार मकान (rights of Tenant) के खिलाफ इस कानून का लाभ उठाने की कोशिश करते हैं। इस कानून के तहत उन्हें ये साबित करना होता है कि वो उस संपत्ति में काफी लंबे समय से रह रहे हैं। सबूत के तौर पर किरायेदार को प्रॉपर्टी पर कब्जा (foreclosure on property) करने के लिए टैक्स, रसीद, बिजली, पानी का बिल, गवाहों के एफिडेविट की जानकारी देनी होती है।
मकान मालिक रखें इन बातों का ध्यान-
मकान मालिक को ध्यान देना चाहिए कि जब भी वो मकान को किराये पर चढ़ा रहे हैं तो रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement ke rule) या लीज डीड को बनवाकर ही प्रॉपर्टी किराये पर दें। रेंट एग्रीमेंट में किराए से लेकर और भी कई तरीके की जानकारियां लिखी हुई होती है। रेंट एग्रीमेंट 11 महीने के लिए बनाया जाता है। इसके अलावा रेंट एग्रीमेंट को हर साल समय पर रिन्यूअल भी कराना होता है। रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement kya h) में छोटी-सी भूल भी भारी पड़ सकती है।