Ancestral Property Act : पैतृक संपत्ति बेचने के लिए किसी सहमति लेना जरूरी, जानिये क्या कहता है कानून
Ancestral Property Rules : देश भर में छोटी फैमिली और बड़ी फैमिली सदियों से एक साथ रहते हैं और कई बार इन्हीं परिवारों में प्रॉपर्टी पर अपने हिस्सों को लेकर कई वाद-विवाद सामने आते हैं। प्रापर्टी को लेकर वाद-विवाद काफी संवेदनशील होते जा रहे हैं। खासतौर पर तो पैतृक संपत्ति को लेकर हर दूसरे दिन मामले देखने को मिलते हैं, ऐसा इसलिए है , क्योंकि लोग पैतृक संपत्ति के कानूनी प्रावधानों ( law of ancestral property) से वाकिफ नहीं है। आइए खबर के माध्यम से जानते हैं पैतृक संपत्ति के बारे में।

HR Breaking News - (Ancestral Property) । अब धीरे-धीरे समय बदल रहा है और आज के वक्त में घरों में छोटी फैंमिली ही नजर आती है। प्रोपर्टी को लेकर लड़ाई-झगड़े हर दूसरे घर में देखने को मिल जाते हैं। कई बार तो वाद-विवाद इतने बढ़ जाते हैं कि कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ जाते हैं। ऐसा ही एक मामला पैतृक संपत्ति को लेकर सुनने में पड़ता है, जिसको लेकर लोग कानूनी प्रावधानों (Property News legal provisions) के बारे में नहीं जानते हैं और न ही इसके बेचने के नियमों से वाकिफ है। आइए खबर के माध्यम से जानते हैं कि पैतृक संपत्ति को कैसे और किसकी सहमति से सेल किया जाता सकता है और इसको लेकर क्या कानून है।
पैतृक संपत्ति को लेकर प्रावधान-
आमतौर पर दो तरह की प्रोपर्टी होती है, जिसमे से एक को स्वयं अर्जित की हुई संपत्ति कहा जाता है। स्वयं अर्जित संपत्ति (self acquired property) को खुद से खरीदी संपत्ति कहा जाता है या उपहार,दान या किसी के द्वारा हक त्याग आदि से प्राप्त की संपत्ति कहा जाता है। वहीं, दूसरी पैतृक संपत्ति वह होती है, जो आपके पिता ने अपने पूर्वजों से प्राप्त की है। इससे जो संपत्ति अर्जित की जाती है, उस संपत्ति को पैतृक संपत्ति (ancestral property Rules) की श्रेणी में रखते हैं। पैतृक संपत्ति को बेचने को लेकर कानून खुद से खरीदी गई संपत्ति की तुलना में थोड़े कठोर है।
किस तरह से बेची जा सकती है पैतृक संपत्ति-
पैतृक संपत्ति (ancestral property kya hai) वह संपत्ति होती है, जो चार पीढ़ियों की अविभाजित संपत्ति होती है। अगर इस संपत्ति को बेचना है तो इस संपत्ति (ancestral property meaning ) को किसी एक व्यक्ति की व्यक्तिगत रजामंदी के आधार पर नहीं बेचा जा सकता है और ना ही पैतृक संपत्ति की बिक्री आंशिक मालिकों के निर्णय के आधार पर होती है।अगर व्यक्ति पैतृक संपत्ति को बेचना चाहता है तो इस संपत्ति को बेचने के लिए व्यक्ति को इससे जुड़े हर एक हितधारक की रजामंदी लेनी जरूरी है। जब इस संपत्ति को बेचने के लिए सभी पक्ष सहमत होंगे तो ही कानूनी (ancestral property under hindu law )प्रक्रियाओं के मुताबिक पैतृक संपत्ति को बेचा जा सकता है।
बिना सहमति बेचने होगी कानूनी कार्रवाई-
बिना सभी पक्षकारों की रजामंदी और परामर्श लिए पैतृक संपत्ति को नहीं बेचा जा सकता है। अगर पैतृक संपत्ति (ancestral property ke adhikar) को इससे जुड़े पक्षों की सहमति के बीना बेचा जाता है तो इससे लेकर अन्य संबंधित पक्ष कानून (legal provisions selling ancestral property) का दरवाजा खटखटा सकते हैं और कोर्ट द्वारा बेचने वाले व्यक्ति के पास कानूनी नोटिस आ सकता है। नियमों के अनुसार ऐसा करने पर संपत्ति की बिक्री पर स्टे लग सकता है या फिर बिक्री रद्द तका हो सकती है।