Property Knowledge : घर या जमीन किराये पर लेने से पहले बनवा लें ये दो इंपोर्टेंट डॉक्यूमेंट, वरना बाद में होगा पछतावा

HR Breaking News - (Rent and Lease Agreement)। किराए पर घर लेते समय चाहे वह घर हो, जमीन हो या दुकान इनके लिए रेंट एग्रीमेंट या लीज एग्रीमेंट बनवाना बेहद जरूरी होता है। इन दस्तावेजो से किराएदार और मकान मालिक दोनों के अधिकारों और जिम्मेदारियों का स्पष्टीकरण (rent and lease agreement) होता है, इन दस्तावेजो से भविष्य में किसी भी विवाद से बचने में मदद होती हैं।
आज भी कई लोगों को रेंट एग्रीमेंट व लीज एग्रीमेंट के बीच के फर्क की जानकारी नहीं हैं। इस वजह से रेंट एग्रीमेंट और लीज एग्रीमेंट के बीच का फर्क समझना किरायेदार और संपत्ति के मालिक दोनों के लिए जरूरी है।
क्या है रेंट और लीज एग्रीमेंट में अंतर -
वैसे तो रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement)और लीज एग्रीमेंट दोनों ही दस्तावेज किसी संपत्ति को किराए पर देने से पहले तैयार कराए जाते हैं। इन दस्तावेजो से किरायेदार और संपत्ति के मालिक के बीच एक कानूनी समझौता (rent agreement conditions ) होते है। इस एग्रीमेंट में किराए की अवधि, किराये की पेमेंट और अन्य जरूरी शर्तों को का विवरण करते हैं।
जानिए क्या होती है दोनो दस्तावेजों की शर्तें-
रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) एक साल या उससे कम की अवधि (Duration of rent agreement) के लिए बनता हैं। यह एक साधारण समझौता होता है। वहीं, लीज एग्रीमेंट लंबी अवधि के लिए जैसे कि पांच साल या उससे अधिक होता है। जहां एक ओर रेंट एग्रीमेंट में, संपत्ति के मालिक का अधिकार अधिक होता है और इसके तहत वह किरायेदार को किसी भी समय (Lease agreement conditions) संपत्ति से बाहर निकाल सकता है। वहीं, लीज एग्रीमेंट में किरायेदार को अधिक सुरक्षा होती है और इस एग्रीमेंट के तहत उसे संपत्ति में रहने का अधिकार होता है,जब तक कि वह लीज एग्रीमेंट की शर्तों का पालन करता है।
क्या चीजें होती है उल्लेखित -
दरअसल, आपको बता दें कि रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) एक कानूनी दस्तावेज है जो किरायेदार और मकान मालिक के बीच किराये के संबधों को दिखाता है। यह दस्तावेज किराये की अवधि, किराये की राशि, किरायेदार के अधिकार और जिम्मेदारियां, मकान मालिक के अधिकार (Landlord's rights in rent house)और जिम्मेदारियां, और अन्य महत्वपूर्ण शर्तों को स्पष्ट करता है। वहीं, मकान मालिकों के लिए भी यह बेस्ट ऑप्शन है, जो 1-2 साल में किरायेदार बदलना चाहते हैं।
रेंट एग्रीमेंट और लीज एग्रीमेंट किसके लिए सही -
अगर बात करें लीज एग्रीमेंट (Lease Agreement kya hai)की तो ये एक कानूनी दस्तावेज है जो किराएदार और संपत्ति के मालिक के बीच एक समझौता होता है। लीज एग्रीमेंट संपत्ति किस व्यक्ति को कितने समय के लिए लीज पर दी जा रही है। इन चीजों के बारे में लिखा होता है। यह अवधि वर्षों या दिनों में हो सकती है। लीज एग्रीमेंट में यह उल्लेखित होता है कि किरायेदार (tenants right in Lease Agreement) इस संपत्ति पर किसी भी तरह का अधिकार नहीं जमा सकता है।
किरायेदार को लीज एग्रीमेंट में दी गई शर्तों का पालन करना होता है। वहीं अगर किरायेदार लंबे समय के लिए घर या दुकान लेना चाहता है और मकान मालिक भी स्थिर किरायेदार चाहता है तो इसके लिए लीज एग्रीमेंट (Lease Agreement ke fayde) सही होता है। क्योंकि, इसे बार-बार रिन्यू कराने की जरूरत नहीं होती है।