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property possession : कितने साल में किराएदार का हो जाता है मकान, 90 प्रतिशत लोग नहीं जानते प्रोपर्टी से जुड़ा ये कानून

property possession rules : अक्सर लोग यही कहते हैं कि प्रोपर्टी में पैसा लगाना सही है क्योंकि प्रोपर्टी (property knowldege) पूरी तरह सेफ होती है। यह सोचना अब गलत साबित हो सकता है। कानून में भी यह प्रावधान किया गया है कि कुछ सालों बाद किराएदार (tenant's rights) ही उस मकान का मालिक बन जाता है। इस कानून से अधिकतर लोग अनजान हैं। आइये जानते हैं कोई किराएदार कितने साल बाद किसी मकान का मालिक बन सकता है।

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property possession : कितने साल में किराएदार का हो जाता है मकान, 90 प्रतिशत लोग नहीं जानते प्रोपर्टी से जुड़ा ये कानून

HR Breaking News - (property rights)। प्रोपर्टी पर अधिकारों को लेकर भारतीय कानून में अलग अलग प्रावधान हैं। किस तरह की प्रोपर्टी (property disputes) पर किसका कितना अधिकार होगा, इस बारे में भी स्पष्ट रूप से बताया गया है।

कानून के अनुसार एक निश्चित समय बाद किराएदार ही उस मकान का मालिक बन जाता है, जिसमें वह कुछ सालों तक किराए पर रहता है। 90 प्रतिशत मकान मालिकों (landlord's rights) को भी इस बारे में जानकारी नहीं है। प्रोपर्टी मालिकों को अपना मकान किराए पर देने से पहले इस कानूनी नियम को जरूर जान लेना चाहिए, नहीं तो आप अपनी प्रोपर्टी को गंवा भी सकते हैं।

इतने साल में किराएदार होगा प्रोपर्टी का मालिक-


अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देने वालों को यह ध्यान रखना चाहिए कि तय सीमा से ज्यादा कोई आपकी प्रॉपर्टी या मकान में रहता है तो वह उस पर अपना मालिकाना हक (tenant's property rights) जमा सकता है। ऐसा होने पर कानूनी रूप से आप अपनी प्रॉपर्टी से मालिकाना हक खो सकते हैं और कोई दूसरा शख्स आपकी प्रॉपर्टी (property rights in law) का मालिक बन सकता है। इसके लिए 12 साल की समय सीमा तय की गई है।

एडवर्स पजेशन का नियम-


लिमिटेशन एक्ट 1963 की धारा 65 में एडवर्स पजेशन (Adverse Possession) यानी प्रतिकूल कब्जे (property possession) का नियम दिया गया है। इसके अनुसार कोई किराएदार लगातार 12 साल तक बिना रोकटोक एक ही मकान में रहता है तो वह अपना मालिकाना हक (property ownership) जमा सकता है। हालांकि उसे बिजली पानी जैसे बिल भी सबूतों के तौर पर दिखाने होंगे।

ऐसे करें प्रोपर्टी की रक्षा-


अपनी प्रोपर्टी को सुरक्षित रखना है तो बेहतर है कि प्रोपर्टी मालिक पहले ही प्रतिकूल कब्जे (Adverse Possession rights) के बारे में अच्छी तरह जान लें। इसके अलावा जब भी प्रोपर्टी को किराए पर दें तो रेंट एग्रीमेंट (rent agrement) बनवा लें। रेंट एग्रीमेंट से किराएदार और मकान मालिक दोनों के ही हितों की रक्षा होती है। 

प्रोपर्टी के कागजात हमेशा रखें पास-


किसी प्रोपर्टी के कागजात (property documents) न होने पर तो किराएदार के लिए कब्जा करना और भी आसान हो जाता है। इसलिए प्रोपर्टी से जुड़े सभी कागजात अपने पास रखें। अगर आपने 12 साल तक किसी किराएदार को नहीं टोका और किराएदार (kirayedar ke adhikar) ने मकान पर हक होने का दावा कर दिया तो उसके बाद उसे बिना कानूनी प्रक्रिया के आप वहां से हटाया नहीं जा सकता। 

कोर्ट जा सकता है किराएदार -


12 साल बाद किसी किराएदार या कब्जाधारी को जबरदस्ती किसी प्रोपर्टी (property knowledge) से हटाते हैं तो वह कोर्ट भी जा सकता है। किराएदार आपकी जमीन पर मालिकाना हक के लिए प्रतिकूल कब्जे (Adverse Possession) के कानून के तहत दावा कर सकता है। इस स्थिति में किराएदार इस कानून का लाभ लेकर मालिकाना हक खुद प्राप्त कर सकता है।

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