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Property Rights : क्या पति की मंजूरी के बिना पत्नी बेच सकती है प्रोपर्टी, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Property Rights - प्रोपर्टी से जुड़े नियमों और कानूनों को लेकर लोगों में जानकारी का अभाव होता है. इसी कड़ी में आज हम आपको अपनी इस खबर में बता दें कि आखिर क्या पति की मंजूरी के बिना पत्नी प्रोपर्टी बेच सकती है या नहीं...चलिए आइए नीचे खबर में जान लेते है कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से-

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Property Rights : क्या पति की मंजूरी के बिना पत्नी बेच सकती है प्रोपर्टी, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

HR Breaking News, Digital Desk- कलकत्ता हाईकोर्ट (calcutta highcourt) ने एक अहम फैसले में कहा है कि महिलाएं पति की अनुमति के बिना अपनी खुद की संपत्ति बेच सकती हैं, बशर्ते वह उनके नाम पर हो. जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस प्रसेनजीत बिस्वास की बेंच ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए स्पष्ट किया कि पत्नी को पति की संपत्ति की तरह नहीं माना जा सकता है, और न ही उनसे हर फैसले में पति की मंजूरी लेने की उम्मीद की जा सकती है.

हाईकोर्ट ने क्या-क्या कहा? 

कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों (पति और पत्नी) पढ़े-लिखे और समझदार व्यक्ति हैं. ऐसे में यदि अपनी पत्नी ऐसी प्रॉपर्टी जो उसके नाम पर है, पति की मंजूरी लिये बिना बेचने का निर्णय लेती है तो यह क्रूरता के दायरे में नहीं आता है’. Bar&Bench की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट (Highcourt) ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें लैंगिक गैर-बराबरी वाली अपनी मानसिकता भी बदलनी होगी. मौजूदा समाज किसी भी सूरत में महिलाओं के ऊपर पुरुषों का वर्चस्व स्वीकार नहीं करता है. संविधान से भी इसकी झलक नहीं मिलती है.

उच्च न्यायालय ने आगे कहा, ”यदि पति, अपनी पत्नी की सहमति या उसकी राय लिए बगैर कोई प्रॉपर्टी बेच सकता है तो पत्नी भी ऐसी संपत्ति, जो उसके नाम पर है, बिना पति की मंजूरी के बेच सकती है’.

ट्रायल कोर्ट के फैसले पर क्या कहा?

कलकत्ता हाईकोर्ट (calcutta highcourt) ने निचली अदालत के उस फैसले को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि पत्नी के पास आय न होने के कारण संपत्ति का भुगतान पति ने किया था. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को "न मानने लायक और न ही तार्किक" बताया. हाईकोर्ट ने जोर दिया कि भले ही पति ने भुगतान किया हो, संपत्ति पत्नी के नाम पर ही है, जो अहम है. यह फैसला संपत्ति के स्वामित्व पर महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है.

ट्रायल कोर्ट की डिक्री रद्द-

हाईकोर्ट (High court) ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट (trial court) ने इस मामले में जो आदेश और डिक्री पारित की थी वह बरकरार रखने लायक नहीं है. कोर्ट ने तलाक से जुड़ी डिक्री रद्द कर दी. आपको बता दें कि ट्रायल कोर्ट ने क्रूरता को आधार मानते हुए तलाक (divorce) से जुड़े मामले का पति के पक्ष में फैसला दिया था. महिला ने इसी फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.