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property rights : पति की प्रॉपर्टी पर पत्नी का कितना हक, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया क्लियर

Property rights of wife : यूं तो आज के समय में महिलाओं को समाज में बराबर का अधिकार दिया जाता है लेकिन कई मामलों में देखने को मिल जाता है कि आज भी महिलाओं को अपने हितों के लिए लड़ना पड़ता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं (women rights) के अधिकारों को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। आइए विस्तार से जानते हैं पति की प्रॉपर्टी में पत्नी का कितना अधिकको संपत्ति में पूरा अधिकार दिया जाता है। 

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property rights : पति की प्रॉपर्टी पर पत्नी का कितना हक, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया क्लियर 

HR Breaking News - (wife property rights)। आए दिन पत्नी को कोर्ट में अपने अधिकारों के लिए लड़ता देखने को मिल जाता है। अधिकतर लोग इस बात को लेकर कनफ्यूज रहते हैं कि पति की संपत्ति में पत्नी (wife rights on husband property) के क्या अधिकार होते हैं। 
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी के अधिकारों को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की वजह से देशभर की करोड़ो महिलाओं को उनके अधिकार मिले हैं। खबर में जानिये सुप्रीम कोर्ट के इस बड़े फैसले के बारे में। 

 

लाखों हिंदू महिलाओं के हित में सुनाया फैसला-

 

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस मामले में एक फैसला सुनाया है इस मामले को एक बड़े बेंच (SC bench decision) के पास भेजने का फैसला लिया, ताकि इस मुद्दे का समाधान हमेशा के लिए किया जा सके। कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा हर हिंदू महिला, उसके परिवार और देशभर की कई कोर्ट में लंबित मामलों के अधिकारों से जुड़ा है। यह सवाल केवल कानूनी बारीकियों का नहीं है, बल्कि लाखों हिंदू महिलाओं (hindu mahila ke adhikar) पर इस फैसले का गहरा प्रभाव पड़ेगा। 

जानिये क्या है पूरा मामला-

जानकारी के लिए बता दें कि ये मामलरा कोर्ट में आज से लगभग छह दशक पुरानी है। कोर्ट (SC latest decision) में ये मामला 1965 में कंवर भान नामक व्यक्ति की वसीयत से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी को एक जमीन के टुड़के पर जीवनभर का अधिकार दे दिया था, लेकिन इसको लेकर उन्होंने एक शर्त रखी थी। 


उन्होंने बताया कि पत्नी (Property rights for wife) की मृत्यु हो जाने के बाद संपत्ति उनके उत्तराधिकारियों को वापस दे दी जाएगी। कुछ सालों बाद पत्नी ने उस जमीन को बेच दिया। उसने खुद को उस संपत्ति का पूरा मालिक बना दिया। इसके बाद बेटे और पोते ने इस बिक्री को चुनौती दी और मामला अदालतों में पहुंचा दिया। मामले में हर स्तर पर विरोधाभासी फैसले आए।

निचली अदालत में की अपील-

निचली अदालत और अपीलीय अदालत ने 1977 के सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision on property rights) के फैसले में उन्होंने तुलसम्मा बनाम शेष रेड्डी का हवाला देते हुए पत्नी के पक्ष में ही फैसले को सुनाया। इस फैसले में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 14(1) का व्यापक रूप से अर्थ लगाया गया था, 


इसकी वजह से हिंदू महिलाओं को संपत्ति (Property Knowledge) पर पूर्ण स्वामित्व के अधिकार दिये जाते थे। हालांकि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इससे असहमती जताते हुए 1972 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले कर्मी बनाम अमरु का हवाला दिया, जिसमें वसीत में रखी गई शर्तों को संपत्ति के अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने वाला बताया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला-

इस ममाले को चुनौती देते हुए विवाद अब सप्रीम कोर्ट (SC decision on property) में पहुंच गया है। यहां पर जस्टिस ने फैसले देते हुए बताया कि धारा 14 के कानूनी मसौदे को वकीलों के लिए स्वर्ग और वादियों के लिए अंतहीन उलझन को बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर स्पष्टता देते हुए बताया कि इस विषय पर कानूनी स्थिति को स्पष्ट करना काफी ज्यादा जरूरी है। अब एक बड़ी बेंच को यह फैसला लेना होगा कि क्या वसीयत में दी गई शर्तें हिंदू महिलाओं के संपत्ति (property owner rights) अधिकारों को धारा 14(1) के तहत सीमित कर सकती हैं या नहीं।