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Saas Bahu Relationship : बहूओं को सास की कही ये 5 बातें लगती हैं सबसे कड़वी

Saas Bahu Relationship : शादी के बाद बहू के लिए सबसे मुश्किल काम होता है अपनी सास के साथ अच्छे से तालमेल बनाए रखना। लेकिन कई बार अनजाने में सास की कुछ बातें बहू को शर्मिंदा कर देती है। 

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Saas Bahu Relationship : बहूओं को सास की कही ये 5 बातें लगती हैं सबसे कड़वी

HR Breaking News, Digital Desk- शादी के बाद एक महिला के लिए सबसे ज्यादा चैलेंजिंग काम होता है, अपनी सास से अच्छे रिश्ते बनाना। एक तो शादी के पहले ही लड़की को सास के नाम पर 'संभलकर रहने' की हिदायत दे दी जाती है, ऊपर से विवाह के बाद जब वह ससुराल जाती है, तो सास की कही कुछ टिपिकल बातें उसे बुरी तरह हर्ट कर जाती हैं। चाहे ये बातें जानबूझकर कही गई हों या फिर अनजाने में, लेकिन एक बात तय है कि इनसे पहुंचा दुख भुला पाना किसी भी महिला के लिए आसान नहीं होता है। चलिए जानते हैं सास की कही उन 5 बातों के बारे में जो बहुओं को सबसे ज्यादा दुखी करती हैं।


मेरे बेटे को मेरे ही हाथ से बनी ये डिश पसंद है


'अरे बहू रहने दे, वो नहीं खाएगा, उसे मेरे ही हाथ की बनी यह सब्जी पसंद आती है।' यह एक ऐसी लाइन है जो अच्छे से अच्छी मास्टर शेफ बहू को भी शर्मिंदा कर दे। सब्जी लाने से लेकर, उसे काटने तक की पूरी तैयारी बहू करे और जैसे ही छोंकने का टाइम आए, तब सास की ओर से आया यह डायलॉग सुन बहू झुंझलाकर रह जाती है।

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माना कि हर बेटे को अपनी ही मां के हाथ का खाना ही सबसे अच्छा लगता है, लेकिन पत्नी भी मन से अपने पति और सभी के लिए कभी-कभी स्पेशल डिश बनाना चाहती है। प्रोत्साहन की जगह ऐसा डायलॉग सुनने को मिले तो भला कौन बहू इस बात को पचा सकेगी।

अभी तो घर गई थी


महिला चाहे कितनी ही इंडिपेंडेंट क्यों न हो, लेकिन शादी के बाद अगर उसे मायके जाना हो, तो इसके लिए पहले सास से परमिशन जरूर लेनी पड़ती है। वैसे तो अक्सर शादी के बाद बहू को अपनी जिम्मेदारियों के चलते पैरंट्स के पास जाने का कम ही मौका मिल पाता है, लेकिन अगर उसे घर की याद आए और वह 6 महीने में एक बार भी माता-पिता के पास जाना चाहे, तो अक्सर उसे 'अरे अभी तो गई थी' का डायलॉग दिया जाता है। सास की कही यह बात बहू को सबसे ज्यादा हर्ट करती है, क्योंकि यह भावनाओं से जुड़ा मामला होता है।

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सास ये भूल जाती हैं कि अगर उनका बेटा कहीं और बस जाए और उसे भी 6 महीने में एक बार तक घर आने का मौका न मिले तो उन्हें मां होने के नाते कैसा लगेगा। जिस तरह सास को दूर रह रही अपनी बेटी और बेटे की याद सताती है, वैसे ही बहू के पैरंट्स को भी उसकी याद आती ही है। सिर्फ शादी हो जाने का अर्थ ये नहीं है कि बहू अपने मायके जाना ही बंद कर दे और बस किसी शादी में बतौर मेहमान शरीक होने जाए।

अरे! मेरे बेटे से काम करवा रही हो


वैसे तो कहा जाता है कि पति-पत्नी को हर जिम्मेदारी बराबरी से निभानी चाहिए, लेकिन जब बात घर के काम की आती है, तो वो बाय डिफॉल्ट महिला के खाते में चला जाता है। न तो पुरुष खुद से पहल करते हैं और ना उनसे अपेक्षा की जाती है। ऐसे में अगर पत्नी गलती से पति से मदद करने को कह दे और वह किचन में हाथ बंटाने पहुंच जाए, तब सास का फुल टॉस बॉल की तरह आता डायलॉग 'अरे! मेरे बेटे से काम करवा रही हो' उन्हें इरिटेशन से भर देता है।

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तुम्हारी मां ने नहीं सिखाया


एक बात जो किसी बहू को सबसे ज्यादा तोड़ती है, वह है सास का हर बात में उसके पैरंट्स को बीच में लाना। चाहे बात खाने की हो या घर के किसी अन्य काम की, जब महिला को यह सुनने को मिलता है 'तुम्हारी मां ने नहीं सिखाया' तो वह गुस्से का कड़वा घूंट पीकर रह जाती है। चूंकि सास उम्र में बड़ी है इसलिए वह उनका लिहाज करते हुए भले ही जवाब ने दे, लेकिन यह बात तय है कि यह उसे ऐसा जख्म देगा कि वह कभी भी इसे भुला नहीं सकेगी। जाहिर सी बात है कि जब सवाल परवरिश पर उठाया जाए, तो भला उसे कोई कैसा बर्दाश्त कर सकता है?

ननद की सेवा

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ननद घर आए तो बहू का काम डबल नहीं ट्रिपल हो जाता है। अपनी शादीशुदा बेटी के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना, उसे आराम करने का मौका देना हर मां चाहेगी, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि यह भूल जाया जाए कि घर की बहू के पास वैसे ही बहुत काम हैं। उससे हर समय बेटी की फेवरिट चीजें बनवाते रहना या उसके साथ शॉपिंग के लिए जाने को कहना या उसकी पसंद की चीज लाने के लिए कहना, ये सब बहू को बुरी तरह से थका देता है।

अगर इस स्थिति में यह कहा जाए कि 'अरे! कुछ ही दिन के लिए तो बेटी आई है', तो भी यह स्थिति ठीक नहीं है, क्योंकि लगातार किचन या घर के काम में ही खटने पर एक दिन ही जबरदस्त मेंटल से लेकर इमोशनल स्ट्रेस क्रिएट करने के लिए काफी होता है।