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supreme court decision : क्या आपकी प्राइवेट प्रोपर्टी पर भी है सरकार का हक, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया साफ

property rights : हमारे इर्द गिर्द बहुत सी सरकारी संपत्तियां ऐसी भी होती हैं, जिसका उपयोग हम डेली यूज करते हैं। सरकारी संपत्ति जनता के लिए होती है, ऐसे में यह भी सवाल मन में आता है कि किसी की प्राइवेट प्रोपर्टी पर सरकार का भी हक (govt rights on private property) होता है या नहीं? इस कंफ्यूजन को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में दूर कर दिया है। आइये जानते हैं क्या कहा है सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में।

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supreme court decision : क्या आपकी प्राइवेट प्रोपर्टी पर भी है सरकार का हक, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया साफ

HR Breaking News - (property news)। सरकार जनता की भलाई के लिए कई कार्य करती है, इसके लिए वह कई बड़े फैसले भी लेती है। इनमें जमीन व प्रोपर्टी (property knowldege) से जुड़े फैसले भी शामिल होते हैं। ऐसे में यह भी मुद्दा सामने आता है कि क्या किसी की निजी संपत्ति पर भी सरकार का हक होता है।

इस पर बहुत से लोगों को कंफ्यूजन बनी रहती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सभी बातें अपने एक फैसले में क्लियर कर दी हैं। प्राइवेट प्रोपर्टी (property acquisition rules) पर सरकार के हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कई खास टिप्पणी भी की हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की पीठ ने सुनाया फैसला-


पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 9 जजों की संविधान पीठ ने निजी संपत्ति पर सरकार के हक पर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रत्येक निजी संपत्ति पर सरकार का अधिकार नहीं होता। ऐसे ही किसी की निजी प्रोपर्टी को सरकार कब्जे (govt possession on private property) में नहीं ले सकती है।

राज्य कुछ मामलों में निजी संपत्तियों पर दावा कर सकते हैं। कोर्ट ने यह निर्णय सुनाने के साथ ही सरकार का निजी संपत्ति पर कब्जा (proerty possession) करने का अधिकार खत्म कर दिया है। साल 1978 में दिए गए एक फैसले को भी कोर्ट ने पलट दिया है। 

इस धारा से जुड़ा था मामला-


संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट (supreme court news) ने यह फैसला सुनाया है। इसमें  ‘सार्वजनिक भलाई’ के लिए किसी की निजी संपत्ति का सरकार की ओर से अधिग्रहण किए जाने संबंधी प्रावधान दिया गया है। ऐसी प्रोपर्टी (govt rights on private property) के पुनर्वितरण पर राज्य सरकारों की पावर को लेकर भी इस धारा में बताया गया है। 

इस हिसाब से बन रही थी फैसले पर सहमति-


 9 जजों की पीठ ने यह फैसला 7:2 के अनुपातीय बहुमत से सुनाया है यानी इसमें दो जज आंशिक व पूर्ण रूप से इस फैसले (private property decision) से सहमत नहीं थे। जस्टिस बीवी नागरत्ना इस फैसले से कुछ असहमत थे, जबकि जस्टिस सुधांशु धूलिया पूर्ण रूप से असहमत थे। पूर्व सीजेआई व 6 जजों की इस फैसले पर पूर्ण सहमति बनी। 

पहले कोर्ट ने सुनाया था यह फैसला-


करीब 47 साल पहले 1978 में  धारा 39 बी से जुड़े मामले सुनाए गए कोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। उस फैसले में जस्टिस अय्यर (Justice Iyer decision in property) ने कहा था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को वितरण के लिए राज्य अधिग्रहित कर सकती है। अब सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision) की ओर से सुनाए गए फैसले में कहा गया है कि निजी सम्पति समुदाय का भौतिक ससाधन नहीं कही जा सकती। कुछ ही संपत्ति भौतिक संसाधन हो सकती हैं।

इतनी याचिकाओं का किया निपटान - 


पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (Former CJI DY Chandrachud) ने सात जजों का एकमत निर्णय सुनाते हुए कहा कि संविधान में 42वें संशोधन की धारा 4 का उद्देश्य अनुच्छेद 39(बी) (Article 39(b)) को निरस्त करना और उसी समय प्रतिस्थापित करना था। हालांकि असंशोधित अनुच्छेद 31सी लागू रहेगा।  सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला निजी संपत्ति (private property rights) से जुड़ी 16 याचिकाओं का निपटान करते हुए सुनाया है। इनमें मुंबई के प्रोपर्टी मालिकों की याचिका भी शामिल थी।

मुंबई के प्रोपर्टी मालिकों ने भी लगाई थी याचिका- 


बता दें कि साल 1986 में महाराष्ट्र में कानून में संशोधन (Amendment in law in Maharashtra) हुआ था कि सरकार को प्राइवेट बिल्डिंग को मरम्मत और सुरक्षा के लिए अपने कब्जे में लेने का अधिकार है। इसी कानूनी संशोधन पर मुंबई के प्रोपर्टी मालिकों ने याचिका (mumbai property owners petition) लगाई गई थी और याचियों ने कहा था कि यह संशोधन भेदभाव से भरा है।

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