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supreme court decision on property : शादीशुदा बहन की प्रोपर्टी में भाई का कितना अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ

supreme court property decision : प्रोपर्टी का बंटवारा सुनने में तो बड़ा सिंपल सा कार्य लगता है, लेकन प्रोपर्टी को लेकर नाजाने कितने ही केस कोर्टों में चल रहे हैं। प्रोपर्टी में अधिकार को लेकर देश में कई कानून है, जो अलग अलग व्यक्ति के प्रोपर्टी के अधिकारों (property rights) को डिफाइन करते हैं। शादीशुदा बहन की प्रोपर्टी में भाई के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने साफ कर दिया है। आइए जानते हैं शादीशुदा बहन के प्रोपर्टी में क्या अधिकार होते हैं। 

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supreme court decision on property : शादीशुदा बहन की प्रोपर्टी में भाई का कितना अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ

Hr Breaking News (supreme court on property) : प्रोपर्टी को लेकर ना जाने कितने केस कोर्टों में चल रहे हैं। वहीं समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के फैसले भी प्रोपर्टी विवादों आते रहते हैं। जब प्रोपर्टी का बंटवारा होता है तो आम तौर पर देखने को मिलता है कि मां-बाप अपनी संतान को प्रोपर्टी ट्रांसफर (property transfer) कर देते हैं।

पहले प्रोपर्टी केवल बेटे को ही ट्रांसफर की जाती थी और बेटी को शादि के बाद प्रोपर्टी में हिस्सा नहीं मिलता था, लेकिन अब बहन को प्रोपर्टी में पूरा आधा हिस्सा मिलता है। वहीं, कई बार मामला कोर्टों (supreme court property case) में भी पहुंच जाता है। 

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बहन की प्रोपर्टी में हिस्से को लेकर किया सुप्रीम ने साफ 


रितिरिवजों के अनुसार तो बहन और मां बाप पूरी प्रोपर्टी लड़के के नाम ही कर देते हैं, लेकिन कानूनी तौर पर लड़की प्रोपर्टी (Property rights) पर आधा अधिकार रखती है। वहीं, भाई शादीशुदा बहन की प्रोपर्टी में हिस्सेदार है या नहीं? इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने साफ कर दिया है। आइए आर्टिकल में जानते हैं। 

 

सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात


शीर्ष अदालत ने बोला है कि कोई भी व्यक्ति बहन की उस प्रोपर्टी (sister's property) में कोई दावा नहीं कर सकता जो उसे ससुराल से या पति से मिली है। भाई बहन की संपत्ति का वारिस नहीं होता है न ही बहन के परिवार का सदस्य होता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के एक प्रावधान का हवाला सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision) ने दिया है। 

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क्या कहता है कानून


हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत कोई कानूनन वसीयत न बनाने वाली महिला की मौत पर  उसकी संपत्ति में भाई उत्तराधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के जज (Supreme Court Justice) दीपक मिश्रा और जज भानुमति की बैंच ने बोला कि महिला को ससुराल पक्ष से मिली संपत्ति पति या ससुराल पक्ष को ही ट्रांसफर होगी।  

 

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था ये मामला


सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) में एक व्यक्ति ने याचिका लगाई थी। इस याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने बहन की संपत्ति पर रुख साफ कर दिया है। मार्च 2015 के उत्तराखंड हाईकोर्ट (court decision) के आदेश को याचिका लगाकर व्यक्ति ने चुनौदी दी थी। हाईकोर्ट (High Court) ने भी व्यक्ति को विवाहित बहन की प्रोपर्टी में अनाधिकृत निवासी बताया था। 

 

किराए पर रहती थी बहन


एक घर में याचिकाकर्ता की बहन किराए पर रहती थी। जिकसी मौत हो गई थी। यह प्रोपर्टी (property rights) साल 1940 में याचिकाकर्ता की बहन के ससुर ने किराये पर ली थी। उसके बाद पति को किराए पर मिली। फिर पति की भी मौत हो गई तो महिला को संपत्ति की किराएदार बनाया गया।  

 

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले से जताई सहमति


सुप्रीम कोर्ट (supreme court) की पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले पर सहमति जताई है। कोर्ट ने कहा कि कानूनी तोर पर अपील करने वाला कानूनी वारिस नहीं है। वह महिला के परिवार का सदस्य भी नहीं है। बहन का कोई बच्चा भी नहीं है तो भी हिंदू उत्तराधिकार कानून अनुसार किरायेदारी ससुराल पक्ष के वारिश को ही जाएगी।