Supreme Court Decision : पति से गुजारा भत्ते के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पहले पति से तलाक लिए बिना दूसरे से गुजारा भत्ता मांग रही थी महिला
HR Breaking News - (supreme court)। कई बार ऐसे मामले भी सामने आते हैं, जिसमे पति-पत्नी आपसी सहमति से अलग होते हैं और वह कानूनी तलाक के बिना दूसरे पति के साथ शादी कर लेती है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या महिला बिना कानूनी तलाक के दूसरे पति से भरण-पोषण का दावा कर सकती है।अब हाल ही में कोर्ट में एक ऐसा केस सामने आया है, जिसमे महिला को भत्ता कौन देगा इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court News) ने बड़ा फैसला आया है।
जानिए क्या है पूरा मामला-
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Judgement) का कहना है कि महिला अपने दूसरे पति से भी गुजारा भत्ता मांगने की हक रखती है। कोर्ट के आदेशानुसार एक महिला अपने दूसरे पति से दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) (CrPC) की धारा 125 के तहत भरण-पोषण का दावा करने का अधिकार रखती है। ऐसा जरूरी नहीं कि उस महिला की पहली शादी कानूनी तौर पर खत्म नहीं हुई हो।न्यायमूर्ति ने इस बारे में 20 जनवरी को फैसला सुनाया और कहा कि धारा 125 सीआरपीसी के तहत भरण-पोषण (SC Decison on alimony) का अधिकार पत्नी द्वारा प्राप्त लाभ नहीं है, बल्कि यह पति का कानूनी कर्त्तव्य है।
हाईकोर्ट का फैसला-
मामले पर गौर करें तो मामला यह था कि एक महिला ने अपने पहले पति से कानूनी रूप से तलाक न मिलने के बावजूद दूसरे पति से विवाह किया था। महिला के दूसरे पति (Court Decison on alimony) को को अपीलकर्ता यानी महिला की पहली शादी के बारे में पता था। महिला और उसका पहला पति साथ रहते थे, उन दोनों की एक संतान भी थी, लेकिन बाद में वैवाहिक विवादों के कारण वे अलग हो गए।
उसके बाद महिला ने 1 ने तब धारा 125 Cr.P.C के तहत भरण-पोषण की मांग की, जिसे शुरू में फैमिली कोर्ट ने कर लिया था, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने CrPC की धारा 125 के तहत (High Court under Section 125 of CrPC) महिला को दूसरे पति से गुजारा भत्ता नहीं लेने का फैसला सुनाया। कारण यह बताया गया कि महिला की पहली शादी अभी अस्तित्व में थी जिस वजह से दूसरी शादी अमान्य थी क्योंकि यह कानूनी रूप से भंग नहीं हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला-
महिला ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court New Decision) में अपील की और सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई, 2012 को पारिवारिक न्यायालय द्वारा दिए गए भरण-पोषण को बहाल कर दिया। न्यायमूर्ति ने बताया कि तलाक का औपचारिक आदेश जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर महिला और उसके पहले पति के बीच आपसी सहमति से अलग होने का निर्णय लिया गया है, तो कानूनी तलाक न होने के बावजूद वह अपने दुसरे पति से गुजारा भत्ता (S C alimony update News) ले सकती है।
भरण-पोषण देना है नैतिक जिम्मेदारी -
कोर्ट में महिला ने इस कंडीशन में CrPC के एक्ट 125 के तहत भत्ते की मांग की थी, जिसे कार्ट में स्वीकार भी किया गया। पीठ ने कहा कि सामाजिक न्याय उद्देश्य को इस मामले की विशेष परिस्थितियों में ध्यान में रखा जाता है, तो सुचारू रूप से चलने के लिए दूसरा पति पत्नी को भरण-पोषण (Alimony Rights) देने से इनकार नहीं कर सकता है।
अदालत ने यह भी कहा की समाज से जुड़े इन कानूनों को ठीक प्रकार से समझा जाना चाहिए और इस मामले को भरण-पोषण के मामलों में भी लागू किया गया है। कोर्ट ने इस बारे में स्पष्ट फैसला लिया कि पत्नी को गुजारा भत्ता (Supreme Court Alimony news) देना पति की कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी है।
