supreme court decision : सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
supreme court decision on government employees : सर्वोच्च अदालत ने सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमे के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के फैसले से सरकारी कर्मचारियों के केसेज पर असर पड़ेगा। अदालत ने ये बड़ा फैसला रिश्वत व अन्य आपराधिक मामलों से जुड़े मामलों पर दिया है। सरकारी कर्मचारियों (government employees) पर कई बार मुकदमा चलाने की नौबत आ जाती है। इसी प्रकार के मुकदमें में सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने फैसला सुनाया है।

Hr Breaking News (supreme court on government employees) : देश की शीर्ष अदालत ने सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ रिश्वत सहित अन्य आपराधिक मामलों में बड़ी बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा (supreme court case) चलाने की अनुमति से जुड़ी समय सीमा के बारे में टिप्पणी की है।
अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि किसी रिश्वत (Bribe) के केस में केस दर्ज होने में देरी से एक ऐसी संस्कृति उभरती है जिसमें लगने लगता है कि सजा नहीं दी जा रही है।
ये भी जानें : 8th Pay Commission : करोड़ों सरकारी कर्मचारियों की लगी लॉटरी, बेसिक सैलरी 18,000 से बढ़कर 51,480 रुपये
सुप्रीम कोर्ट ने केस चलाने को लेकर अनिवार्य किया ये प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भ्रष्ट व्यक्ति मुकदमा दर्ज करने में देरी होने पर दंडित नहीं किए जाने की संस्कृति पनपती है। सुप्रीम कोर्ट (supreme court order) ने रिश्वत लेने सहित आपराधिक केसेज में सरकारी अधिकारियों पर केस चलाने की अनुमति प्रदान करने के लिए चार माह के सांविधिक प्रावधान को अनिवार्य करार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने एक मामले में अहम फैसला दिया है। इसके अनुसार केस में देरी के लिए सक्षम प्राधिकार जिम्मेदार होगा। जिम्मेदार पर केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की तरफ से सीवीसी अधिनियम के अंडर कार्रवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोट ने सुनाया 30 पन्नों का फैसला
सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के जस्टिस बीआर गवई और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्ह की पीठ ने 30 पन्नों का फैसला सुनाया है। इसमें कहा गया है कि केस चलाने की आज्ञा देने में देरी पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में अपील की जा सकती है।
ये भी जानें : Income Tax : सैलरी क्लास और सीनियर सिटीजन को बड़ी राहत, इनकम टैक्स को लेकर 5 बड़े बदलाव
परंतु, यह सरकारी कर्मियों के विरूद्ध आपराधिक केसेज को निलंबित करने का आधार नहीं माना जाएगा। कोर्ट (supreme court decision) ने कहा कि अनुमति देने वाले को ध्यान में रखना चाहिए कि लोग कानून में विश्वास रखते हैं। कहा कि यहां पर कानून का शासन न्याय प्रशासन में दांव पर लग रहा है।
आरोप तय करने की प्रक्रिया में रुकावट
सुप्रीम कोर्ट (supreme court) की बैंच ने कहा कि केस चलाने की अनुमति में विचार करने में देरी करने वाला प्राधिकार कानूनी जांच को अनुपयोगी बनाता है। देरी करने से भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी के विरूद्ध आरोप तय करने की प्रक्रिया में रुकावट आती है। इससे दंडित नहीं किए जाने की संस्कृति ऊबरती है।
अदालत ने इसे सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार (Corruption) होने के प्रति इस प्रक्रिया को प्रणालीगत आत्मसमर्पण बताया है। इस प्रकार की केस पर विचार करने की देरी से भावी पीढ़ी भ्रष्टाचार को जीवन का हिस्सा मानते हुए इसकी आदी हो जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision) की बैंच ने विजय राजामोहन नामक सरकारी अधिकारी की मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में की गई अपील की सुनवाई की है।
बता दें कि, दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 197 और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम (Prevention of Corruption Act) की धारा 97 के अनुरूप लोक सेवकों को आपराधिक मामलों में आरोपी बनाने के लिए सीबीआई व दूसरी जांच एजेंसियों को तीन माह का समय दिया जाता है। इसमें कानूनी सलाह के लिए एक माह का विस्तार कर दिया गया है।