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Supreme court ने कर दिया क्लियर, इतने सालों तक प्रॉपर्टी पर जिसका है कब्जा वहीं होगा मालिक

Supreme court Order : एक बार प्रोपर्टी विवाद में पड़ गई तो कई सालों तक कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ेंगे इसलिए अपनी प्रोपर्टी की देखभाल करना जरूरी है। अब सवाल ये है कि क्या जो प्रोपर्टी आपके नाम है उस पर कोई दूसरा व्यक्ति कब्जा कर सकता है। ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि जिसका प्रोपर्टी पर कब्जा है वो उसका मालिक बन सकता है। आईये नीचे विस्तार से जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बारे में और साथ ही आपको बाततें हैं कि अगर कोई आपकी प्रोपर्टी पर कब्जा कर ले तो उस कैसे छुड़ा सकते हैं।

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HR Breaking News, New Delhi : आपके पास भी अगर कोई प्रॉपर्टी है तो उसकी देखभाल करना आपकी जिम्मेवारी है क्योंकि आपको छोटी सी लापरवाही आपका बड़ा नुकसान करा देगी। आप उस नुकसान से पूरी उम्र उबर नहीं पाएंगे। भले ही आप अपनी प्रॉपर्टी को किराए पर दे रहे हों पर इससे पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।       

प्रॉपर्टी को किराए पर देने के बाद कई बार मकान मालिक अपनी प्रॉपर्टी की तरफ देखते भी नहीं है और प्रोपर्टी की पूरी देखभाल किरायेदार ही करता है पर ये देखभाल आपके लिए जी का जंजाल बन सकती है क्योंकि कोर्ट के फैसले के अनुसार जो व्यक्ति जिस प्रोपर्टी पर पिछले 12 साल से रह रहा है और वो प्रॉपर्टी की मालकियत के लिए दावा करता है उसे ही असली मालिक माना जाएगा।   

 

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कब किराएदार प्रॉप्रटी पर कब्जे का दावा कर सकता है?

Adverse Possession एक ऐसा कानून है जोकि किरायेदारों को प्रॉपर्टी का मालिक बनने का अधिकार देता है।  इस कानून के मुताबिक लगातार 12 साल तक रहने के बाद किराएदार उस प्रॉपर्टी पर कब्जे का दावा कर ठोक सकता है,लेकिन इसकी कुछ शर्तें भी हैं।  जैसे कि मकान मालिक ने इस 12 साल के दौरान कभी उस कब्जे को लेकर कोई रोक-टोक न की हो यानी प्रॉपर्टी पर किराएदार का कब्जा लगातार रहा हो इसमें कोई ब्रेक न हो। ऐसे मामले में किराएदार प्रॉपर्टी डीड,पानी बिल, बिजली बिल जैसी चीजें सबूत के तौर पर पेश कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने जमीन से जुड़े विवाद में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि 12 साल तक जमीन पर जिसका कब्जा होगा, वही अब जमीन का मालिक माना जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय की की बेंच ने कहा है कि अगर 12 साल तक उस जमीन पर कोई मालिकाना हक नहीं जताता तो है तो जिसने उस जमीन पर कब्जा किया है, उसे उसका मालिक माना जाएगा।  हालांकि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला निजी जमीन से जुड़ा है, सरकारी जमीन पर ये फैसला लागू नहीं होगा।    


कोर्ट ने 2014 में दिए फैसले को पलट दिया

सुप्रीम कोर्ट ने जमीन को लेकर साल 2014 में दिए अपने ही फैसले को पलट दिया। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने 2014 के फैसले को पलटते हुए कहा कि अगर कोई किसी जमीन पर दावा नहीं करता है और किराएदार 12 साल से लगातार उस जमीन पर रह रहा है तो वो उस जमीन का मालिक माना जाएगा। सिर्फ वसीयत या पावर ऑफ अटॉर्नी से आप किसी संपत्ति के मालिक नहीं माने जाएंगे।  

 

 

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2014 में ऐसे ही एक केस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि कोई भी कब्जाधारी किसी की प्रॉपर्टी पर ऐसे दावा नहीं कर सकता और अगर मकान मालिक प्रॉपर्टी को वापिस मांगे तो किरायेदार को उसे देना होगा पर अब कोर्ट ने अपने इस फैसले को बदल दिया है।

सर्वोच्च अदालत ने जमीन के कब्जे से जुड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि भारतीय कानून किसी व्यक्ति को 12 साल तक किसी जमीन पर अपना हक जताने का अधिकार देता है।  अगर कोई जमीन विवादित है तो व्यक्ति उस पर अपना अधिकार जताते हुए 12 साल के भीतर मुकदमा दायर कर सकता है और अदालत से उक्त प्रोपर्टी को वापस ले सकता है।  बता दें कि लिमिटेशन एक्ट, 1963 के तहत प्राइवेट प्रोपर्टी पर मालिकाना हक का दावा करने का समय 12 साल है, जबकि सरकारी जमीन पर ये समय सीमा 30 साल की है। अगर प्रोपर्टी बचानी है तो जबरन कब्जे की शिकायत 12 साल के अंदर करनी होगी।

 

प्रोपर्टी मालिक इन बातों का रखें ध्यान 

जैसे अपना घर या कोई दूसरी प्रोपर्टी किराए पर देते समय 11 महीने का ही रेंट एग्रीमेंट बनवाएं। हालांकि 11 महीने बाद रिन्यू किया जा सकता है। इससे फायदा ये होगा कि ब्रेक आ आएगा। ब्रेक आने पर किराएदार कब्जा का दावा नहीं सकता।

प्रोपर्टी पर कब्जा होने पर क्या करें


अगर आपकी जमीन पर किसी ने अवैध कब्जा (Possession of Property) कर लिया है तो आपको कई तरह से कानूनी मदद मिल सकती है। आपको बता दें कि भारतीय कानून (Indian law) में इस समस्या से निपटने के लिए संपूर्ण व्यवस्था दी गई है।   आईपीसी की धारा 420 के तहत अगर किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से आपराधिक बल मतलब कि डरा कर या धमका कर उसकी जमीन से बेदखल कर दिया है तो इस धारा को लागू किया जा सकता है। आप इस धारा के अंतर्गत पुलिस में इसकी शिकायत कर सकते हैं। फिर इस धारा के अंतर्गत कार्यवाही की जा सकती है। कोई भी व्यक्ति अपने इस अधिकार का उपयोग कर सकता है।


धोखे से प्रोपर्टी बेचने पर


कानून में आईपीसी की धारा 406 के मुताबिक यदि जमीन के मालिक (land Owner Rights) ने किसी दूसरे व्यक्ति को एक विश्वास पर अपनी संपत्ति या जमीन दी है और उस दूसरे व्यक्ति ने दी हुई संपत्ति का गलत इस्तेमाल किया है या प्रोपर्टी बेच दी हो इसके अलावा अगर जमीन के मालिक के मांगने पर भी दूसरे व्यक्ति ने संपत्ति को नहीं लौटाई हो तो आपको बता दें कि उसे कानून के हिसाब से 3 वर्ष की जेल हो सकती है या फिर उस व्यक्ति को भारी राशि भी चुकानी पड़ सकती है। आपके साथ भी अगर ऐसा हुआ है तो इस कानून के नियम से आपको मदद मिल सकती है।

 

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जानिये क्या कहती है आईपीसी की धारा 467 


वहीं IPC की धारा 467 के अनुसार अगर किसी भी व्यक्ति ने धोखाधड़ी करके प्रोपर्टी के नकली दस्तावेज बनाएं है या फिर संपत्ति को अपने कब्जे में करने के इरादे से मालिक को नुकसान या चोट पहुंचाता है या फिर धोखाधड़ी करता है तो वो व्यक्ति भारतीय कानून की धारा 463 के अनुसार जालसाजी का अपराधी माना जाएगा। इसके लिए आप पुलिस में शिकायत दे सकते हैं। 

स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट


ये एक सिविल कानून (Civil Law) है।  इसका इस्तेमाल खास परिस्थिति में किया जाता है। इसमें किसी तरह की धोखाधड़ी नहीं होती, न ही कोई फर्जी दस्तावेज बनाए जाते हैं। आरोपी व्यक्ति बस मनमर्जी से पीड़ित की संपत्ति पर जबरन कब्जा (Possession of Property) कर लेता है। 
इसकी धारा 6 के तहत पीड़ित को जल्दी और आसान न्याय देने का प्रयास होता है। हालांकि, इस कानून में एक पेंच ये है कि कब्जे के 6 महीने के अंदर ही इस कानून (Specific Relief Act) के तहत मुकदमा दर्ज हो जाना चाहिए। दूसरा पेंच यह कि इसके तहत सरकार के खिलाफ मुकदमा नहीं करवा सकते। 
इनमें से जो भी उपयुक्त हो, आप उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।  यदि आप गलत नहीं हैं तो सरकारी तंत्र आपकी हेल्प करेगा और आपकी जमीन अथवा प्रॉपर्टी आपको दिलाने में मदद करेगा।  हालांकि इस तरह के मामलों में आपको पेशेवर वकील से भी जानकारी ले लेनी चाहिए।