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व्हाट्सएप यूजर्स के लिए Supreme Court ने जारी की चेतावनी

Supreme Court - सुप्रीम कोर्ट ने व्हाट्सऐप यूजर्स को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आप चाहते हैं कि आपके मोबाइल नंबर और डेटा का गलत इस्तेमाल ना हो तो जिम्मेदारी लीजिए। यूजर्स को समय रहते हुए खुद इस डेटा को डिलीट कर देना चाहिए। आइए नीचे खबर में जान लेते है कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से। 
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HR Breaking News, Digital Desk- Supreme court on WhatsApp: सुप्रीम कोर्ट ने इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप WhatsApp से जुड़ा एक बड़ा फैसला दिया है। सर्वोच्च अदालत ने व्हाट्सऐप यूजर्स (खासतौर पर प्रीपेड ग्राहकों) के लिए चेतावनी जारी की है। कोर्ट ने यूजर्स से कहा है कि वह अपना फोन नंबर डीएक्टिवेट करने से पहले सारा डेटा व्हाट्सऐप से डिलीट कर दें।

बता दें कि बड़ी टेलिकॉम कंपनियां रिलायंस जियो (Reliance Jio), एयरटेल (Airtel) और Vi की तरफ से कोर्ट में डीएक्टिवेट हो चुके मोबाइल नंबर को ट्रांसफर करने की छूट मांगी गई थी। इस याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों को डीएक्टिवेट मोबाइल नंबर, नए ग्राहकों को एलोकेट करने की मांग को मान लिया है। यानी अब टेलिकॉम आपका बंद पड़ा मोबाइल नंबर किसी दूसरे यूजर को दे सकती हैं। अगर आपका भी कोई पुराना नंबर है जो आपने बंद कर दिया है लेकिन उसके व्हाट्सऐप डेटा को कभी डिलीट नहीं किया तो आप मुसीबत में पड़ सकते हैं।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की तरफ से व्हाट्सऐप डेटा को लेकर यह एडवाजरी जारी की गई। अगर आप भी अपना मोबाइल नंबर बदलने की सोच रहे हैं तो सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दी गई सलाह के बारे में जान लें सबकुछ…

क्या है मामला?

आपको बता दें कि डीएक्टिवेट मोबाइल नंबर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना नजरिया साफ कर दिया है। एडवोकेट राजेश्वरी ने एक याचिका दायर कर मांग की थी कि टेलिकॉम रेगुलरेटरी अथॉरिटी (TRAI) को डीएक्टिवेट हो चुके फोन नंबर किसी दूसरे यूजर को देने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। लेकिन शीर्ष अदालत ने उनकी मांग को खारिज कर दिया। और फैसला सुनाया कि टेलिकॉम कंपनियां अब बंद हो चुके मोबाइल नंबर, दूसरे ग्राहकों को दे सकती हैं।

WhatsApp Users को लेनी होगी जिम्मेदारी-

सुप्रीम कोर्ट ने व्हाट्सऐप यूजर्स को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आप चाहते हैं कि आपके मोबाइल नंबर और डेटा का गलत इस्तेमाल ना हो तो जिम्मेदारी लीजिए। यूजर्स को समय रहते हुए खुद इस डेटा को डिलीट कर देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अपने डेटा के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए यूजर्स को अपनी प्राइवेसी पर ध्यान देना होगा।

अभी क्या है नियम?

बता दें कि दूरसंचार विभाग के नियम के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति का मोबाइल नंबर रिचार्ज ना होने के चलते डीएक्टिवेट हो जाता है तो कम से कम 90 दिनों तक वह नंबर किसी और को नहीं दिया जा सकता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि टेलिकॉम कंपनियों को कोई भी मोबाइल नंबर किसी दूसरे यूजर को तुरंत ट्रांसफर नहीं करना चाहिए।