Supreme court judgement : शादीशुदा बहन की प्रोपर्टी में भाई के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
supreme court Decision :अक्सर प्रॉपर्टी के कई वाद-विवाद कोर्ट के सामने आते हैं। अब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने शादीशुदा बहन की प्रोपर्टी में भाई के अधिकार को लेकर बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कोई भी भाई (Brother Property Rights) अपनी विवाहित बहन की प्रॉपर्टी पर हक नहीं जता सकता है। हाल ही में आए एक मामले को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह फैसला लिया गया है।

HR Breaking News - (Property News)। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्रोपर्टी को लेकर भाई और बहन के अधिकारों को स्पष्ट किया है। सुप्रीम कोर्ट ने विवाहित बहन की संपत्ति पर भाई के अधिकार को लेकर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी विवाहित बहन की संपत्ति पर जो उसे उसके पति या ससुर से विरासत में मिली हो, हक नहीं जता सकता है।हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) में इसके लिए कुछ प्रावधान भी है। आइए जानते हैं इस बारे में।
संपत्ति के उत्तराधिकार से जुड़ा था मामला
हाल ही में कोर्ट में एक केस सामने आया। जिसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया। यह मामला एक ऐसी महिला से जुड़ा हुआ था जिसने कानूनन वसीयत नहीं बनवाया था और उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति के उत्तराधिकार (property inheritance) से जुड़ा है।
इस नियम के लागू होने के बाद महिला की मौत हुई। न्यायमूर्ति ने इस बारे में कहा कि शादीशुदा बहन की प्रोपर्टी (Married sister's property Rights) पर भाई का कोई अधिकार नहीं है। इसके लिए कुछ प्रावधान है। प्रावधानों के तहत‘अनुच्छेद (provisions of the Article)(15) के अनुसार महिला को पति या ससुर अथवा ससुराल पक्ष से प्राप्त संपत्ति कानूनन वसीयत नहीं होने पर पति या ससुर के वारिसों को ही मिलेगी।
हाई कोर्ट के आदेश-
कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए बताया कि इस मामले में याचिकाकर्ता ने मार्च 2015 के उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश(High Court orders) को चुनौती दी थी जिसमें याचिकाकर्ता को उसकी शादीशुदा बहन के देहरादून स्थित संपत्ति में अस्थायी निवासी बताया गया था। इस संपत्ति को वर्ष 1940 में व्यक्ति की बहन (Sister Right In property) के ससुर ने किराए पर लिया था और बाद में महिला का पति यहां का किराएदार बन गया।
उसके बाद पति की मृत्यु हो गई और पति की मृत्यु के बाद संपत्ति की किराएदार महिला बन गई। देहरादून की इस अस्थायी संपत्ति में उसकी बहन (Sister Property Rights)किराये पर रहती थी और बाद में उसकी उसकी भी मृत्यु हो गई थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला-
सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court Decision) ने इस मामले में अपीली अदालत और उच्च न्यायालय का पक्ष लिया और कहा है कि हाई कोर्ट (High Court DEcision)की ओर से लिया गया यह फैसला सही है कि अपीलकर्ता यानी की शादीशुदा बहन का भाई कानून के तहत ना तो वारिस है और ना ही परिवार है। ललिता जो कि उसकी बहन थी उसकी मौत के बाद अगर बहन का कोई बच्चा नहीं है तो हिंदू उत्तराधिकार कानून (Hindu Succession Law) की धारा 15:2(B) लागू होगी।
इस कानून के तहत किरायेदारी महिला के भाई के पास न जाकर उनके पति के वारिस के पास ट्रांस्फर हो जाएगी। कोर्ट के इस फैसल के बाद उसके पति और ससुर से मिली संपत्ति (Property Rights) पर केवल पति और ससुर के उत्तराधिकारियों का ही हक होगा।