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Supreme Court : लोन नहीं भरने वालों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया तगड़ा झटका, सुनाया अहम फैसला

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्तवपूर्ण फैसले में कहा है कि ऋण चूककर्ता को ‘किसी भी समय’ बकाया चुकाने पर वित्तीय संस्थानों द्वारा गिरवी संपत्ति की नीलामी रोकने की इजाजत नहीं दी जा सकती... कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से जानने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ लें-

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Supreme Court : लोन नहीं भरने वालों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया तगड़ा झटका, सुनाया अहम फैसला

HR Breaking News, Digital Desk- सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि ऋण चूककर्ता को ‘किसी भी समय’ बकाया चुकाने पर वित्तीय संस्थानों द्वारा गिरवी संपत्ति की नीलामी रोकने की इजाजत नहीं दी जा सकती. शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यदि कर्जदार गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) की वसूली से जुड़े कानून के तहत नीलामी नोटिस से पहले बकाया नहीं चुकाता, तो वह अपनी गिरवी संपत्ति को छुड़ाने का अनुरोध नहीं कर सकता.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने नीलामी प्रक्रिया की शुचिता पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘यह अदालतों का कर्तव्य है कि वे पूर्व में हुई नीलामी की शुचिता का संरक्षण करें. अदालतों (court) को नीलामी में हस्तक्षेप करने से गुरेज करना चाहिए, अन्यथा यह नीलामी के मूल उद्देश्य को विफल कर देगा और इसमें जनता के भरोसे एवं भागीदारी को बाधित करेगा.’ शीर्ष अदालत वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्संरचना और सुरक्षा हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (सरफेसी अधिनियम) के एक प्रावधान से निपट रही थी.

जस्टिस पारदीवाला ने 111 पन्नों का लिखा फैसला-
अधिनियम की धारा 13(8) में प्रावधान है कि कोई भी कर्जदार सार्वजनिक नीलामी के लिए नोटिस के प्रकाशन की तारीख से पहले या गिरवी संपत्तियों की पट्टे या बिक्री के माध्यम से हस्तांतरण के लिए निविदा आमंत्रित करने से पहले संपूर्ण देय राशि का भुगतान करके वित्तीय संस्थानों से अपनी गिरवी संपत्ति किसी भी समय वापस मांग सकता है. पीठ की ओर से जस्टिस पारदीवाला ने 111 पन्नों का फैसला लिखा.

… उसका अपनी गिरवी संपत्ति छुड़ाने का अधिकार समाप्त हो जाएगा-
उन्होंने इसमें कहा है, ‘हमारा मानना है कि सरफेसी अधिनियम की संशोधित धारा 13(8) के अनुसार, एक बार जब कर्जदार नीलामी नोटिस के प्रकाशन से पहले ऋणदाता को प्रभार और शुल्क के साथ बकाया राशि की पूरी राशि देने में विफल रहता है तो 2002 के नियमों के नियम-आठ के अनुसार समाचार पत्र में नीलामी नोटिस (notice) के प्रकाशन की तिथि पर उसका अपनी गिरवी संपत्ति छुड़ाने का अधिकार समाप्त हो जाएगा.’

यह फैसला बम्बई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) के आदेश को चुनौती देने वाली सेलिर एलएलपी की अपील पर आया. उच्च न्यायालय ने एक अन्य कंपनी बाफना मोटर्स (मुंबई) प्राइवेट लिमिटेड को बैंक को बकाया भुगतान पर अपनी गिरवी रखी संपत्ति (property) छुड़ाने की अनुमति दी थी.