supreme court : किराएदारों के हक में सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, अब किराए की नो टेंशन
supreme court : मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद के अक्सर मामले सामने आते रहते हैं। मकान मालिक और किराएदार के कई बार विवाद इतने बढ़ जाते हैं कि यह कोर्ट तक पहुंच जाते हैं। फिर ऐसे मामलों में कोर्ट के मामले भी काफी दिलचस्प होते हैं। यह फैसला काफी ऐतिहासिक साबित होते हैं। ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट (supreme court) की ओर से किराएदारों के हक में बड़ा फैसला आया है। इसमें किराएदारों के लिए किराए की टेंशन खत्म हो गई है।

HR Breaking News (supreme court) देश में न जाने कितने मामले कोर्ट में चल रहे हैं। निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक केसेस पेंडिंग हैं। इनमें बहुत सारे मामले प्रॉपर्टी से जुड़े हैं तो अनेकों मामले किराएदार और मकान मालिक के अधिकारियों से भी जुड़े हैं।
ऐसे मामलों में कई बार देखने को मिलता है कि यह मामले सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट भी ऐसे मामलों में ऐतिहासिक फैसला देता है।
किराएदारों के काम की है खबर
अकसर लोग काम की तलाश में दूसरे शहरों में रहने लगते हैं। प्रोपर्टी इतनी महंगी है कि किराए पर रहना मजबूरी है। आप भी किराए पर रहते हैं तो आपके काम की खबर है। केवल किराएदार ही नहीं, इस खबर का मकान मालिक को भी पता होना चाहिए।
किराया न चुका पाना अपराध नहीं
कई बार लोगों के सामने मजबूरी हो जाती है कि वह किराया नहीं चुका पाते। ऐसी मजबूरी में मकान मालिक अपना जोर चलाता है, वह थाने तक पहुंचने की कहता है। परंतु, सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) की ओर से एक फैसला आया है।
इसके अनुसार अगर किराएदार किसी मजबूरी के चलते किराया नहीं चुका पा रहा है तो यह क्राइम नहीं माना जा सकता। फैसले के अनुसार किराया न चुका पाने के लिए आईपीसी में कोई सजा मुकर्रर नहीं की गई है। ऐसे में किराएदार पर आईपीसी के तहत केस भी दर्ज नहीं हो सकता है।
किराएदार पर किया था केस
दरअसल एक मकान मालिक की ओर से किराएदार के खिलाफ केस किया गया था। इसपर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने टिप्पणी की है। कोर्ट में केस की सुनवाई चल रही थी। जिसपर कोर्ट ने ये बात कही है।
कोर्ट ने कर दिया केस खारिज
सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि किराएदार को अपराधी मान उसपर मामला नहीं दर्ज किया जा सकता। ऐसे में कोर्ट ने केस को खारिज कर दिया है। यह मामला नीतू सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य की याचिका का है। इसमें जस्टिस संजीव खन्ना व जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच की ओर से सुनवाई की गई है।
कानूनी कार्रवाई के हैं अन्य विकल्प
बैंच की ओर से कहा गया कि मजबूरी में किराया न चुका पाना कोई क्राइम नहीं है। शिकायतकर्ता के फैक्ट सही हो सकते हैं। किराया नहीं चुका पाए तो कानूनी कार्रवाई के दूसरे विकल्प हैं।
आईपीसी के तहत केस दर्ज नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस में धारा 415 और धारा 403 साबित करने वाली जरूरी बातें गायब हैं। कोर्ट ने मामले से जुड़ी एफआईआर रद्द कर दी है।
इलाहबाद हाईकोर्ट ने नहीं किया था केस रद्द
सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले मामला इलाहबाद हाईकोर्ट में पहुंचा था। इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से एफआईआर को रद्द करने से मना कर दिया गया था। एफआईआर रद्द करने का फैसला अब सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने दिया है।
किराया वसूल करने का खोला रास्ता
सुप्रीम कोर्ट की ओर से मकान मालिक को किराया वसूलने का भी रास्ता दिया गया है। किराया न दे पाने को क्रिमिनल केस न मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिविल रेमेडीज के तहत मामला सूलझाने को कहा है।
इसकी इजाजत सुप्रीम कोर्ट की ओर से दे दी गई है। शिकायतकर्ता की ओर से कोर्ट में समस्या रखी गई थी कि काफी रुपए बकाया है।