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Supreme Court : पैतृक कृषि भूमि बेचने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पैतृक संपत्ति वाले जरूर जान लें कोर्ट का निर्णय

Supreme court decision on agricultural land : हर तरह की संपत्ति के बेचने को लेकर कानून में अलग-अलग प्रावधान हैं, जिसके चलते सभी तरह की भूमि का सौदा किया जाता है। इसमें पैतृक कृषि भूमि को लेकर भी कई अहम प्रावधान किए हुए हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पैतृक कृषि भूमि बेचने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। आइये इस फैसले के अनुसार जानते हैं कि कृषि भूमि किसे बेच सकते हैं और किसे नहीं। 

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Supreme Court : पैतृक कृषि भूमि बेचने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पैतृक संपत्ति वाले जरूर जान लें कोर्ट का निर्णय

HR Breaking News (ब्यूरो)। पैतृक कृषि भूमि बेचने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court decision) का बड़ा फैसला आया है। इस निर्णय के बाद यह साफ हो गया है कि अब कोई खेत वाली भूमि किसे बेचना संभव है और किसे नहीं। यह फैसला किसानों के लिए अहम है, क्योंकि इससे उनके खेत की जमीन को लेकर खरीद-फरोख्त के अधिकारों (ancestral agricultural land selling rights) की स्पष्टता के बारे में पता चलता है। इसलिए इस निर्णय को जानना बेहद जरूरी है।

 

कृषि भूमि बेचते समय किसे देनी होगी प्राथमिकता -

 

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भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया, जिसमें कहा गया कि यदि किसी हिन्दू परिवार का सदस्य कृषि भूमि (krishi bhumi bechne ke rule) को बेचना चाहता है, तो उसे सबसे पहले अपने घर के अन्य सदस्य को इसे बेचने का अवसर देना होगा। यह आदेश हिमाचल प्रदेश से संबंधित एक मामले में दिया गया। अदालत ने इस मामले में निर्णय लिया कि भूमि के विक्रय की प्रक्रिया में परिवार के सदस्यों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।  बता दें कि इस मामले में यह पूछा गया था कि क्या कृषि भूमि विशेष कानूनी धारा 22 के प्रावधानों (ancestral agricultural land law) के अंतर्गत आती है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से इस सवाल का जवाब भी साफ हो गया है।

 

कब मिलता है कृषि भूमि पर परिवार के सदस्यों काे हक -

कानूनी प्रावधान (selling rules for agriculture land in law) के तहत, यदि किसी व्यक्ति का बिना वसीयत लिखे निधन हो जाता है, तो उसकी संपत्ति स्वाभाविक रूप से उसके परिवार के अन्य सदस्य को मिलती है। यदि परिवार का कोई सदस्य अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहता है, तो उसे पहले अपने परिवार के बाकी सदस्यों को इसका प्रस्ताव देना होगा। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि संपत्ति (selling rules for agriculture land) पहले परिवार के भीतर ही रहे, जिससे बाहरी व्यक्तियों को संपत्ति में हिस्सा देने से बचा जा सके।

कृषि भूमि किस प्रावधान के अधीन बंटेगी -

अदालत ने स्पष्ट किया है कि कृषि भूमि भी विशेष कानूनी धारा 22 के प्रावधानों (provisions of legal section 22) के अधीन होगी। जब किसी को अपनी हिस्सेदारी बेचनी हो, तो उसे पहले अपने परिवार के सदस्य को ही प्राथमिकता देनी होगी। पीठ ने यह भी कहा कि पुराने प्रावधान धारा 4 (2) के समाप्त होने से यह नियम प्रभावित नहीं होगा, क्योंकि यह प्रावधान भूमि पर अधिकारों से जुड़ा था। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परिवार की संपत्ति (ancestral agricultural land selling rules) केवल परिवार के भीतर ही रहे, और बाहरी व्यक्ति इसमें भागीदार न हो।


यह है पूरा मामला -

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इस मामले में एक व्यक्ति, जिसका नाम लाजपत है। उसने एक संपत्ति खरीदी थी, उसके दो बेटे, जिनका नाम संतोष और नाथू है। लाजपत के देहांत के बाद वह संपत्ति उसके दो बेटों को मिली। जिसके बाद संतोष ने अपनी संपत्ति (property selling rules) बाहरी व्यक्ति को बेच दी और दूसरे बेटे यानी नाथू ने इसका विरोध किया और इसके खिलाफ अदालत में एक याचिका दायर की, यह कहते हुए कि उसे कानूनी अधिकार धारा 22 के तहत  संपत्ति पर पहले अधिकार (property selling rights in law) होना चाहिए। निचली अदालत ने याचिका पर निर्णय लिया और मामले को उसके पक्ष में फैसला किया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी समर्थन किया। इससे स्पष्ट हो गया है कि खेती की भूमि बेचते समय सबसे पहले अपने ही परिवार के व्यक्ति को मौका देना होगा।