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Supreme Court : किराएदार मकान मालिक के विवाद में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, 64 साल से कर रखा था कब्जा

Supreme Court : किराएदार मकान मालिक के विवाद में सुप्रीम कोर्ट का एक ऐतिहासिक फैसला आया है। आपको बता दें कि यह एक ऐसी कानूनी जंग है जिसे पीढ़ियों से लड़ा जा रहा है। पहले पिता ने संघर्ष किया, और अब उनके बेटे इस लड़ाई को जारी रखे हुए हैं... कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से जानने के लिए खबर को पूरा पढ़ लें-

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Supreme Court : किराएदार मकान मालिक के विवाद में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, 64 साल से कर रखा था कब्जा

HR Breaking News, Digital Desk- (Supreme Court) जरा सोचिए आपके पास शहर के पॉश इलाके में एक कीमती प्रॉपर्टी है, लेकिन 63 सालों से एक किरायेदार ने उस पर कब्ज़ा कर रखा है। वह न तो किराया देता है और न ही प्रॉपर्टी खाली (property vacant) करता है। यह एक ऐसी कानूनी जंग है जिसे पीढ़ियों से लड़ा जा रहा है। पहले पिता ने संघर्ष किया, और अब उनके बेटे इस लड़ाई को जारी रखे हुए हैं। 

लेकिन अजीब बात है कि अपना ही घर पाने में 63 साल का समय बीत गया। एक परिवार की 2 जेनरेशन घर पाने की लड़ाई में ही लगी रह गई। किरायेदार ने आराम से इतने साल एक पॉश एरिया (posh area) के घर में निकाल दिये। ऐसा ही एक मामला 63 साल तक अदालत में चलता और आखिरकार अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने प्रॉपर्टी मालिक के बच्चों को वह प्रॉपर्टी दे दी।

कब शुरू हुई कानूनी लड़ाई?

यह मामला 1952 में शुरू हुआ जब व्यक्ति (A) ने अपनी संपत्ति 10 साल के लिए (B) को किराए पर दी। 1962 में संपत्ति (C) को बेच दी गई।  1965 में नए मालिक (C) ने देखा कि किराएदार बिना अनुमति के जमीन पर कब्जा किए बैठे हैं, तो उन्होंने अदालत में बेदखली का केस दायर किया। लेकिन 1974 में यह केस सुप्रीम कोर्ट में हार गए।

हार के बाद भी नहीं रुके-

1975 में मालिक (C) ने फिर से जिला अदालत में केस दाखिल किया। यह मामला 1999 में हाई कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन 2013 में वहां से भी हार मिली। इस दौरान मालिक की मृत्यु हो गई और उनके बच्चों ने कानूनी लड़ाई जारी रखी। आखिरकार 24 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला मालिक के बच्चों के पक्ष में सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

किराएदारों के वकील ने तर्क दिया कि मालिक की मृत्यु के बाद उनके बच्चे पुराने केस को आगे नहीं बढ़ा सकते क्योंकि यह केस उनके पिता की जरूरत के आधार पर दायर किया गया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision) ने कहा कि बोनाफाइड (bonafide) आवश्यकता को बड़े स्तर पर समझने की जरूरत है और इसमें परिवार के सदस्यों की जरूरतें भी शामिल होती हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश शहरी भवन (नियमन अधिनियम) 1972 की धारा 21(7) के अनुसार, मालिक की मृत्यु के बाद भी उनके वैलिड उत्तराधिकारी (बच्चे) केस को आगे बढ़ा सकते हैं।

किराएदारों पर कोर्ट हुई सख्त-

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह किराएदार 73 साल से इस प्रॉपर्टी (property) में हैं, जिसमें से 63 साल बिना कानूनी अधिकार के हैं। उन्होंने इतने सालों में कोई वैकल्पिक व्यवस्था (alternative arrangement) करने की कोशिश नहीं की। यह साफ है कि उन्होंने जानबूझकर प्रॉपर्टी पर कब्जा (possession of property) जमाए रखा।

अब क्या होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने किरायेदारों को 31 दिसंबर 2025 तक प्रॉपर्टी खाली करने का आदेश दिया है। यदि किराया बकाया है, तो उसे चुकाना होगा। यह ऐतिहासिक फैसला संपत्ति मालिकों और उनके वैध उत्तराधिकारियों के अधिकारों (rights of legitimate heirs) की पुष्टि करता है, जिससे उन्हें अदालत में न्याय मिल सके।