supreme court decision : ससुराल वाले नहीं छीन सकते बहू का ये अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाईकोर्ट का निर्णय

HR Breaking News - (property rights)। अधिकतर देखने सुनने में आता है कि आज भी एक बेटी को अपने पिता के घर जितने अधिकार ससुराल में नहीं मिल पाते। कहीं न कहीं ससुराल में वह किसी न किसी अधिकार से वंचित रह ही जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट (high court decision) के फैसला पलटते हुए अब कहा है कि बहू का ससुराल में यह अधिकार नहीं छीना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय में महिला अधिकारों (women property rights) को अधिक विस्तार से स्पष्ट किया है।
यह टिप्पणी की सुप्रीम कोर्ट ने -
सास ससुर और बहू के बीच चले आ रहे संपत्ति विवाद में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने ससुराल में साझे घर में बहू के अधिकारों को स्पष्ट करते हुए कहा कि बहू को ससुराल के साझे घर में रहने का पूरा हक होता है और उस हक को छीना नहीं जा सकता। सुप्रीम कोर्ट (SC decision onproperty) ने यह भी टिप्पणी है कि वरिष्ठ नागरिक कानून, 2007 के तहत त्वरित प्रक्रिया अपनाकर किसी बहू को उसके ससुराल के साझे घर से निकालने का निर्णय नहीं लिया जा सकता।
जानिये क्या था हाईकोर्ट का फैसला-
हाईकोर्ट ने इस मामले में महिला को ससुराल का घर खाली करने के आदेश सुनाए थे। हाईकोर्ट ने 2019 में सुनाए एक फैसले में कहा था कि जिस संपत्ति पर विवाद (property disputes) व केस चल रहा है, वह महिला की सास की है। कोर्ट ने कहा था किए एक बहू के भरण पोषण व आश्रय देने का जिम्मा पति का है, न कि उसकी सास का। इसलिए बहू प्रोपर्टी में अधिकार (property rights) नहीं जता सकती। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनाया फैसला-
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि साझे घर में रहने के किसी महिला के अधिकार (women's rights) को इसलिए नहीं छीना जा सकता है कि वरिष्ठ नागरिक कानून 2007 के अनुसार त्वरित प्रक्रिया में खाली कराने का आदेश पहले ही मिल गया है। कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) आदेश के खिलाफ एक महिला द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था। सास और ससुर ने इस मामले में अपने बेटे की बहू को उत्तर बैंगलुरु स्थित अपने आवास से निकालने का आग्रह किया था।
सास ससुर की संपत्ति में बहू का हक-
जहां तक सास-ससुर की स्वअर्जित संपत्ति (property of mother-in-law and father-in-law) की बात है तो वह इस पर अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकती। दूसरी ओर माता पिता की स्वअर्जित संपत्ति (Self Acquired Property rights) पर बेटों व बेटियों का वैसे तो समान अधिकार होता है लेकिन इसमें माता पिता की मर्जी भी हो सकती है कि वे यह संपत्ति किसे दें और किसे न दें।
पति की पैतृक संपत्ति में अधिकार-
पति की पैतृक संपत्ति (ancestral property) पर पत्नी का कोई अधिकार नहीं होता, लेकिन दो स्थितियों में उसे अधिकार मिल सकता है। पहली स्थिति में तब जब पति अपनी संपत्ति का अधिकार पत्नी को ट्रांसफर कर दे और दूसरी स्थिति में तब जब पति का निधन होने पर पत्नी को इस संपत्ति पर अधिकार (ancestral property rights) प्राप्त होता है।
स्वअर्जित संपत्ति में ऐसे बदलती है पैतृक संपत्ति-
बता दें कि पूर्वजों से मिलने वाली संपत्ति पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) होती है। यह कई पीढ़ियों से हस्तांतरित होकर आती है, बंटवारा होने के बाद यह पैतृक संपत्ति स्वअर्जित संपत्ति (self acquired property) में बदल जाती है।