supreme court decision : अब इन बेटियों को नहीं मिलेगा पिता की संपत्ति में हिस्सा, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया सुप्रीम फैसला
Daughters' rights in father's property : आमतौर पर माता पिता के बाद उनकी संपत्ति का उत्तराधिकारी बेटे को ही माना जाता है लेकिन भारतीय कानून में संपत्ति के बंटवारे को लेकर कई कानून बनाए गए हैं। इनके मुताबिक, पिता की संपत्ति में सिर्फ बेटे का ही अधिकार नहीं होता है, इसपर बेटी का भी बराबर का हक होता है। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि अब इन बेटियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा। आईये नीचे खबर में जानते हैं
HR Breaking News - (Property Rights)। भारत में बेटियों के हक में कई कानून बने हैं और इस बात में भी कोई दौराय नहीं है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार, बेटियों को संपत्ति में बेटों के बराबर का अधिकार दिया गया है। लेकिन फिर भी जमीन-जायदाद के बंटवारे से जुड़े वाद विवाद (property dispute) के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसके तहत अब इन बेटियों को पिता की संपत्ति में अधिकार नहीं मिलेगा। चलिए नीचे खबर में विस्तार से समझते हैं -
ये भी पढ़ें - 8th Pay Commission pension : केंद्रीय कर्मचारियों के आठवें वेतन और पेंशन पर आया बड़ा अपडेट, 1 जनवरी से लागू
इन बेटियों को नहीं मिलेगा पिता की संपत्ति में अधिकार
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision) ने शादीशुदा जोड़े के तलाक की सुनवाई के दौरान फैसला सुनाते हुए कहा कि, जो बेटी अपने पिता से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती, उस बेटी का अपने पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमएम सुंदरेश (SC Justice MM Sundaresh) और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच तलाक के मामले की सुनवाई कर रही थी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पति-पत्नी और पिता-पुत्री के रिश्तों में सुलह की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनने पर ये फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने की ये अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने तलाक से जुड़े एक मामले की सुनवाई में अहम टिप्पणी की। अदालत की दो जजों की बेंच ने कहा कि अगर कोई बेटी अपने पिता से कोई संबंध नही रखना चाहती, तो उसे अपने पिता की जमीन-जायदाद पर कोई अधिकार नहीं मिलेगा। इसके साथ ही, बेटी अपनी पढ़ाई और शादी के लिए भी पिता से किसी भी प्रकार की कोई आर्थिक सहायता नहीं मांग सकती है।
क्या है पूरा मामला
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) में पति ने अपने वैवाहिक अधिकारों को लेकर याचिका दायर की थी। जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद पति ने सुप्रीम कोर्ट में तलाक की याचिका लगाई। जिसपर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की बेंच ने पति-पत्नी और पिता-पुत्री के रिश्तों में दरार ना आए इसके लिए समझौता कराने की कोशिश की। लेकिने दोनों ही पक्षों ने सुलह करने से इनकार कर दिया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मामले में बेटी जन्म से ही अपनी मां के साथ रहती है और अब 20 साल की हो चुकी है। एसे में उसने अब अपने पिता को देखने या उनसे मिलने तक से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कही बड़ी बात
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court News) जज जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि, बेटी बालिग है और उसकी उम्र 20 साल की है और अपना फैसला लेने में लिए स्वतंत्र है। ऐसे में अगर बेटी अपने पिता से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती तो वह अपने पिता की जमीन-जायदाद और पैसे की भी हकदार नहीं होगी। और ना ही किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता की मांग कर सकती है। इसके साथ ही SC की बेंच ने पति को पत्नी को गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया। पति को पत्नी को 8 हजार रुपये मासिक या एकमुश्त 10 लाख रुपये का गुजारा भत्ता देना होगा।
पिता-पुत्री के रिश्ते पर कानून
ये भी पढ़ें - लोन की EMI नहीं चुकाने वालों के लिए बड़ी खबर, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला
2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 (Hindu Succession Act 1956 Update) में बदलाव करके बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबर का हक दिया गया था। लेकिन कानून के मुताबिक, अगर बेटी अपने पिता से कोई संबंध नहीं रखती है तो उसको संपत्ति और पैसे में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा, और ना ही वह इसका कोई दावा कर सकती है। वहीं, पिता अपनी बेटी से रिश्ता नहीं तोड़ सकता और अपनी जिम्मेदारियों से दूर नहीं भाग सकता है।