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Supreme Court : सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने के लिए किसकी अनुमति लेना जरूरी, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला

Govt employees news : सरकारी महकमों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों (Trial rules for govt employees) पर केस चलाने के मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी सरकारी कर्मी पर मुकदमा (Trial rules) चलाना है तो इसके लिए अनुमति लेनी होगी, यह अनुमति किससे लेनी है और कौन देगा, जानिये इस खबर में।
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Supreme Court : सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने के लिए किसकी अनुमति लेना जरूरी, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला

HR Breaking News - (supreme court news)। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारी से जुड़े हाईकोर्ट से आए एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। यह फैसला अब चारों और सुर्खियों में तो है ही, कर्मचारियों (SC decision for govt employees) के बीच भी चर्चा का विषय बना हुआ है। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी सरकारी कर्मचारी पर यूं ही केस नहीं चलाया जा सकता, इसके लिए पहले अनुमति ली जानी आवश्यक है। इसके बाद की कोर्ट उस मामले में कोई संज्ञान लेगी। आइये जानते हैं सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision) के इस फैसले के बारे में।

धारा 197 का दिया हवाला-

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता (code of criminal procedure) की धारा 197 में प्रावधान है कि किसी कर्मचारी पर मुकदमा चलाने के लिए सक्षम प्राधिकार की पूर्व अनुमति नहीं ली गई है तो कोर्ट की ओर से कर्मचारी पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता। यह धारा एक्शन लेने से रोकती है। कोर्ट ने कहा है कि अपना आधिकारिक दायित्व निभाते समय किए गए आपराधिक के लिए मुकदमा चलाना है तो धारा 197 (section 197 provisions) के तहत दिए गए प्रावधान अनुसार सक्षम प्राधिकार की पूर्व अनुमति होनी चाहिए। 

राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को रखा बरकरार-

उच्चतम न्यायालय ( Supreme Court) ने भूमि से जुड़े मामले में एक सरकारी क्लर्क को संरक्षण प्रदान करने के राजस्थान उच्च न्यायालय (rajasthan high court) के निर्णय को बरकरार रखा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कई तरह की टिप्पणी भी की हैं।

दुर्भावना से किए मुकदमे से बचाने की बात कही-

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों (govt employees news) को दुर्भावनापूर्ण किए गए मुकदमे से बचाने के लिए खास श्रेणी में रखने की बात कही है। हालांकि भ्रष्ट अधिकारियों को इस श्रेणी में न रखने की बात भी कही है। सुप्रीम कोर्ट (supreme court news) की पीठ ने कहा कि धोखाधड़ी, रिकॉर्ड में छेड़छाड़ या गबन को आधिकारिक दायित्व निभाते समय किया गया अपराध नहीं कहा जा सकता। यह गैर दायित्व में किए गए अपराध हैं। 

आधिकारिक दायित्व के साथ इस तरह जोड़ा अपराध को-

शीर्ष अदालत ने कहा है कि सबसे पहले तो यह देखने के लिए मानदंडों का अनुपालन जरूरी है कि किसी कर्मचारी द्वारा किया गया अपराध आधिकारिक दायित्व (case during official responsibility) निभाते समय किया गया है या नहीं। आधिकारिक दायित्व निभाते समय किए गए अपराध के मानदंड अलग हैं। 


इनकी कसौटी पर उस अपराध को परखा जाना चाहिए। अगर आधिकारिक दायित्व निभाते समय अपराध किया गया है या हुआ है तो संबंधित अथॉरिटी से मुकदमे की अनुमति (FIR rules for govt employees) लेना जरूरी है।

यह लगाया गया था आरोप-

सर्वोच्च न्यायालय (supreme court news) ने कहा कि जिस मामले में सुनवाई की गई है, वह भूमि संबंधित मामला है। इसमें  बड़े अधिकारियों को तो संरक्षण प्राप्त हो गया पर इस प्रकरण में शामिल क्लर्क को निचली अदालत से कोई संरक्षण (govt employees rights) नहीं मिला, वह इस मामले में दूसरा प्रतिवादी है जो कागजी कार्य करने में शामिल रहा है।


 यह मामला राजस्थान (rajasthan news) से जुड़ा हुआ है, जिसमें एक महिला ने अपील की थी कि आरोपियों ने अनुसूचित जाति की महिला, कैंसर से पीड़ित उनके पति और परिवार के अन्य सदस्यों को बेघर करने का फर्जीवाड़ा किया है, जो बड़ा अपराध है।

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