किराएदार और मकान मालिक के विवाद में Supreme Court का बड़ा निर्णय, 2 साल से नहीं दिया था किराया
tenant's rights : किराएदारों व मकान मालिकों के बीच अक्सर विवाद होते ही रहते हैं। अधिकतर मामलों में मकान मालिक की ओर से मनमानी सामने आती है, लेकिन कई बार किराएदार भी मनमानी करने से बाज नहीं आते। ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट (SC Decision on property ) पहुंचा तो इसमें अहम फैसला सुना दिया। इस मामले में किराएदार ने 2 साल से मकान मालिक को किराया नहीं दिया था। आइये जानते हैं कोर्ट के इस फैसले के बारे में।

HR Breaking News - (tenancy law)। प्रोपर्टी पर अधिकारों को लेकर कानून में कई प्रावधान बने हुए हैं। प्रोपर्टी मालिक व किराएदारों के भी अधिकार (tenant landlord rights) कानून ने तय किए हैं। इनमें से कोई भी कानून से परे होकर मनमानी करता है तो दोनों को ही कोर्ट जाने का अधिकार है। प्रोपर्टी मालिक व किराएदार का एक मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा तो कोर्ट ने बड़ा निर्णय सुनाया है। इस मामले में किराएदार मकान मालिक को किराया देने में आनाकानी कर रहा था और 2 साल से किराएदार को किराया नहीं दिया था।
यह था मामला-
किराएदार ने एक मामले में पोपर्टी मालिक की प्रोपर्टी (Tenant and property owner rights) खाली करने से मना करते हुए किराया देने से भी मना किया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिना कोई राहत दिए किराएदार को तुरंत किराया देने व मकान खाली करने के आदेश दिए हैं।
किराएदार को नहीं मिली यह मोहलत-
सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्यीय पीठ ने इस मामले में किराएदार को प्रोपर्टी (property disputes) खाली करने के आदेश दिए व बिना कोई समय की राहत दिए बकाया किराया राशि जमा कराने के लिए कहा। किराएदार के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट से किराया जमा करने के लिए समय की मोहलत मांगी थी। शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने समय देने से साफ मना कर दिया।
किराएदार कर रहा था यह मनमानी-
इस मामले में किराएदार ने मकान मालिक को 2 साल से किराया नहीं दिया था। इस पर जब मकान मालिक ने प्रोपर्टी (property knowledge) खाली करने को कहा तो किराएदार की नीयत सही नहीं थी और वह प्रोपर्टी खाली भी नहीं करना चाहता (tenant property owner SC case) था। इसके बाद मकान मालिक निचली अदालत में गया। निचली अदालत ने किराएदार को प्रोपर्टी खाली करने व किराया देने के आदेश दिए। इसे किराएदार ने नहीं माना और मामला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP high court) पहुंच गया।
हाई कोर्ट ने भी सुनाया किराएदार के विरुद्ध फैसला-
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी किराएदार (kirayedar ke adhikar) के विरुद्ध फैसला सुनाते हुए कहा था कि वह मकान मालिक को किराए की बकाया राशि चार माह में अदा करे। किराएदार हाई कोर्ट के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो यहां किराएदार की याचिका ही खारिज हो गई। इस तरह से सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी मकान मालिक के हक (property rights) में ही गया।