home page

सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन के अधिकार पर Supreme Court का बड़ा फैसला

Supreme Court : अपनी आजीविका को सही ढंग से चलाने व बेहतर लाइफ स्टाइल पाने के लिए लाखों लोग नौकरी का रास्ता चुनते हैं। जॉब मिलने के बाद वे अच्छी तरह जॉब में सेट होने व रुतबे को बढ़ाने के लिए प्रमोशन (SC Decision on promotion) की चाह भी रखते हैं। कई कर्मचारी प्रमोशन पाना अपना अधिकार समझते हैं, इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है, आइये जानते हैं क्या कहा है सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में।
 | 
सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन के अधिकार पर Supreme Court का बड़ा फैसला

HR Breaking News - (govt promotion rules)। सरकारी नौकरी पाने का सपना अनेक युवाओं का होता है, वहीं नौकरी मिलने के बाद एक और सपना होता है प्रमोशन (promotion rules) पाने का। प्रमोशन को लेकर सभी नियमों के बारे में नौकरीपेशा लोगों को जानकारी नहीं होती, इसलिए अन्य मुद्दों की तरह प्रमोशन का मुद्दा भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो शीर्ष अदालत ने अहम फैसला (SC Decision in job promotion) सुना दिया। यह फैसला कर्मचारियों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। खबर में जानिये सुप्रीम कोर्ट ने क्या नियम कायदे गिनाए हैं। 

 

जिला जज का होना था चयन-

 


गुजरात राज्य के जिला न्यायाधीश के चयन से संबंधित एक मामला सुप्रीम कोर्ट में आया तो इसकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (chief justice of india)  की अध्‍यक्षता में तीन जजों की पीठ ने यह निर्णय सुनाया है। इस मामले में असली मुद्दा यह था कि सरकारी नौकरी में प्रमोशन (Decision on promotion) देने पर क्या कानून है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला देशभर के कर्मचारियों पर लागू होता है। 

प्रमोशन का अधिकार नहीं संवैधानिक -

किसी कर्मचारी को नौकरी में प्रमोशन (govt job promotion criteria) पाने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। न ही इसके लिए कर्मचारी की ओर से कोई दावा किया जा सकता है और कानून में प्रमोशन (constition on promotion) को लेकर कोई प्रावधान भी नहीं है। सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) के फैसल में यह साफ कहा गया है कि इस मामले में विधाय‍िका या फिर कार्यपालिका नियम बना सकती है। 

सरकार ले सकती है फैसला-


प्रमोशन के मामले में सीनियॉरिटी और मेरिट या पोस्ट को लेकर प्रमोशन (promtion Criteria in govt job) करना सरकार का काम है। यह सरकार पर निर्भर करता है कि इसके लिए क्या नियम और क्राइटेरिया अपनाए जाए। कानून (propmotion rules in law) में इसके लिए कोई क्राइटेरिया नहीं है, न ही कोई प्रावधान है। सरकार इस मामले में स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकती है।


सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यह केवल सरकार का काम-


सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन के मामले में कहा है कि यह केवल सरकार का काम है कि किस कर्मचारी से क्या करवाना है और उसे क्या लाभ देने हैं। इसलिए यह सब सरकार तय करेगी न कि कोर्ट। सरकार चाहे तो अपने हिसाब से नौकरी में प्रमोशन को लेकर नियमों के अलावा कानून भी बना सकती है। प्रमोशन (govt job rules) मामलों व इसके क्राइटेरिया की समीक्षा न्यायपालिका नहीं करेगी। 

कोर्ट नहीं कर सकता इस मामले में दखलंदाजी-


सरकार की ओर से अगर प्रमोशन के लिए नियम (govt job promotion rules) बनाए भी गए हैं तो कोर्ट उनकी समीक्षा नहीं करेगा। यह कोर्ट के अधीन नहीं आता क्योंकि इसके लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। इतना जरूर है कि नियम सबके लिए समान हों, ऐसा संविधान के अनुच्छेद 16 में भी कहा गया है कि सबको समानता का अधिकार मिलना चाहिए। समानता के अधिकार पर तो कोर्ट विचार कर सकता है कि नियम (promotion rules in india) सबके लिए बराबर होने चाहिए। लेकिन प्रमोशन के मामले में दखलंदाजी नहीं कर सकता।

प्रमोशन का क्या है क्राइटेरिया-


सामान्य तौर पर पदोन्नति का क्राइटेरिया (promotion Criteria) सीनियॉरिटी कम मेरिट और मेरिट कम सीनियॉरिटी होता है। प्रमोशन (promotion rules) के लिए किसी कंपनी या विभाग की कोई बाध्यता नहीं होती। प्राय: सीनियॉरिटी के आधार पर प्रमोशन इसलिए दिया जाता है क्योंकि कर्मचारी के पास अनुभव ज्यादा हो जाता है। दूसरी ओर टेस्ट या शानदार काम के आधार पर मेरिट पाने रखने वाले को मेरिट के जरिये प्रमोशन (SC Decision on promotion) दिया जाता है।