Taj Mahal : ताजमहल बनाने के लिए कहां से आए थे मजदूर और कितना आया था खर्च
ताजमहल दुनिया का एक ऐसा अजूबा है। जिसे दुनिया के कोने कोने से लोग देखने के लिए आते हैं। आपने ये तो सुना ही होगा की ताजमहल बनवाने के बाद मजदूरों के हाथ कटवा दिए गए थे। आइए जानते हैं ये कहां से आए थे और ताजमहल बनवाने में कितने खर्च हुए थे।

HR Breaking News : जैसा कि आप सभी जानते हैं शाहजहां ने ताजमहल मुमताज की याद में बनवाया था। दुनिया के सात अजूबों में शामिल इस मकबरे को बनाने के लिए करीबन 20 हजार मजदूरों का इस्तेमाल किया गया था। लेकिन कभी मन में ये सवाल आया है आखिर ये मजदूर आए कहां से थे या इन्हें कहां से बुलाया गया था। चलिए आपके इसी सवाल का जवाब इस लेख के जरिए देते हैं।
ताजमहल बनाने में इन पत्थरों का हुआ इस्तेमाल
यूपी के आगरा में स्थित ताजमहल भारत की सबसे खूबसूरत इमारतों में आता है, जिसे बनाने के लिए लाल पत्थर और सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया था। बता दें, इमारत 7 अजूबों में से एक है।
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दुनियाभर से आते हैं लोग
इसे देखने वाले ना केवल देश से आते हैं बल्कि विदेश से भी आते हैं। यहां आने वाला हर पर्यटक की इस सफेद सफेद इमारत को देख आंखें फटी की फटी रह जाती हैं। ताजमहल दुनिया के सबसे चर्चित स्थलों में से एक है।
मुगल सम्राज्य के शासक ने बनवाया था
5वें मुगल सम्राज्य के शासक ने इस इमारत का निर्माण करवाया था, जिन्होंने 1526 से साल 1761 तक देश में राज किया था। इसी बीच उन्होंने ताजमहल का निर्माण शुरू करवाया, जो वर्ष 1653 में बनकर तैयार हुआ था।
ताजमहल को बनाने में खर्च हुए थे इतने पैसे
ताजमहल के निर्माण में 20 हजार से भी अधिक मजदूरों की मदद ली गई थी, इमारत को बनाने में करीबन 3.2 करोड़ रुपए का खर्च आया था। बेशकीमती पत्थरों को अफगानिस्तान, मिस्र, रूस, तिब्बत, ईरान जैसे देशों से लाया गया था।
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कन्नौज से आए थे मजदूर
BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर मजदूर कन्नौज के हिंदू थे। वहीं इनमें राजमिस्त्री, पत्थर काटने वाले, बढ़ई, चित्रकार और अन्य कारीगरों को मुगल सम्राज्य, मध्य एशिया और ईरान से बुलाया था।
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फूलों की नक्काशी के लिए यहां से आए थे मजदूर
वहीं फूलों की नक्काशी के लिए मजदूरों को पोखरा से बुलाया था, यही नहीं इमारत के मुख्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी थे। साथ ही बगीचे बनाने वाले के लिए कश्मीर के राम लाल को बगीचे बनाने की जिम्मेदारी दी थी।