tenant landlord dispute : किराएदार और मकान मालिक के विवाद में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, किराए पर रहने वाले जरूर जान लें
tenant landlord rights :किराएदार और मकान मालिक का रिश्ता खट्टा मिठा होता है। कभी मकान मालिक और किराएदार (tenant landlord dispute) के रिश्ते सगे संबंधि जैसे हो जाते हैं तो कभी इनका विवाद कोर्टों में जा पहुंचता है। वहीं, कानून में किराएदार और मकान (tenant vs landlord) मालिक को कई अधिकार दिए गए हैं। ऐसा ही एक विवाद हाईकोर्ट में जा पहुंचा। हाईकोर्ट (high court) ने ऐसा फैसला दिया है, जिसको किराएदार और मकान मालि दोनों को ही जान लेना चाहिए।

HR Breaking News (tenant landlord dispute) - हाईकोर्ट में किराएदार और मकान मालिक से संबंधित एक मामला पहुंचा। इसमें एक परेशान दंपती ने अपील की थी। मकान मालिक (landlord) अपने मकान में रह रहे किरायेदार (tenant) से अपना मकान खाली करवाना चाह रहे थे।
दरअसल, 1989 किरायेदार ने उक्त मकान मालिक (tenant landlord rights) के घर में रहना शुरू किया था। वह 2003 तक वहां पर किराए पर ही था। ऐसे में एक समय बाद मकान मालिक ने किराएदार (tenant rights) को घर खाली करने के लिए कहा था। जो मालला हाईकोर्ट तक जा पहुंचा।
किराएदार ने नहीं किया घर खाली
जब मकान मालिक ने घर खाली करने को कहा तो किरायेदार ने घर नहीं खाली किया। जबकि मकान मालिक (tenant landlord) के अनुसार उनको बीमारी की वजह से अपने लिए नर्सिंग स्टाफ की घर में जरूरत है। साथ ही उनकी तलाकशुदा बेटी को भी वहीं रहने के लिए जगह चाहिए।
किराएदार ने कही ये बात
जब मकान मालिक (landlord) ने घर खाली करने को कहा तो किरायेदार की ओर से तर्क दिया गया कि उनके मकान में दूसरों के रहने के लिए भी पूरी जगह है। उन्होंने कहा कि बची हुई जगह में उनकी बेटी और स्टाफ नर्स (staff Nurse) आदि रह सकते हैं। वह इसके खिलाफ कोर्ट में भी चला गया।
अदालत से किराएदार ने जीता केस
मकान मालिक (landlord) को निचली अदालत से झटका लगा। निचली अदालत की ओर से मकान मालिक की दलीलों को नहीं माना गया। निचली अदालत ने किरायेदार (tenant) के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने चिकित्सा स्थिति के पेश के गए सबूतों को पर्याप्त नहीं माना।
हाईकोर्ट में जा पहुंचा विवाद
निचली अदालत के फैसले के खिलाफ मकान मालिक हाईकोर्ट (tenant landlord dispute) पहुंचे। हाईकोर्ट न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू ने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने मेडिकल रिकॉर्ड सहित मकान मालिक की अन्य दलीलों को सही माना। वहीं, बेटी के तलाक के कागज भी दिखाए गए।
हाईकोर्ट ने दी किराएदारों को नसीहत
हाईकोर्ट ने कहा कि यह तय करने का अधिकार किरायेदार (tenant landlord) को नहीं है कि मकान मालिक खुद की संपत्ति का इस्तेमाल कैसे करें। संपत्ति के प्रयो को लेकर मकान मालिक को किराएदार कोई निर्देश नहीं दे सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने किरायेदार को बेदखल करने के लिए दायर याचिका का निपटारा करते हुए फैसला मकान मालिक के पक्ष में सुनाया है।
किराएदार को दिया छह माह का समय
हाईकोर्ट की ओर से साफ किया गया कि किरायेदार (tenant and landlord dispute) मकान मालिक के लिए संपत्ति के प्रयोग की शर्तें तय नहीं कर सकता है। मकान मालिक को अपनी आवश्यकता सबसे अच्छे से पता है। यह अदालत का भी काम नहीं है कि अदालत तय करें कि मकान मालिक किस तरीके से रहे। हाईकोर्ट से किरायेदार (landlord rights) को संपत्ति खाली करने के लिए छह माह का टाइम दिया गया है।
सेना में रहे हैं मकान मालिक
रिपोर्ट्स के अनुसार याचिकाकर्ता की उम्र 80 साल है, और वह देश की सेना में थे। 1971 के युद्ध में वह योद्धा रहे हैं। वकील ने अदालत में कहा कि याचिकाकर्ता कई बीमारियों से ग्रसित है। वह बेड पर हैं, अपने दैनिक कामों हेतू दूसरों पर निर्भर रहता है। ऐसे में होईकोर्ट ने मकान मालिक (high court on tenant landlord dispute) के पक्ष में फैसला सुनाया है।