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Tenant Rights : किराएदारों को मिले 5 कानूनी अधिकार, अब मकान मालिक की नहीं चलेगी मनमानी

Tenancy law : मकान मालिकों और किराएदारों के बीच विवाद आमतौर पर कहीं न कहीं देखने को मिल ही जाते हैं। अधिकतर मामलों में मकान मालिक (landlord's rights) की मनमानी ही विवाद का कारण बनती है और विवाद कोर्ट तक भी पहुंच जाते हैं। इस तरह की स्थितियों को देखते हुए कानून ने किराएदारों को 5 खास कानूनी अधिकार (property rights in law) दिए हैं, इससे मकान मालिकों की मनमानी पर अब लगाम कसी जा सकेगी और किराएदार कहीं भी आराम से रह सकेंगे। आइये जानते हैं इन अधिकारों के बारे में खबर में।

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Tenant Rights : किराएदारों को मिले 5 कानूनी अधिकार, अब मकान मालिक की नहीं चलेगी मनमानी

HR Breaking News : (tenant's rights)। शहरों में खुद का घर खरीदना अब आसान नहीं रह गया है। अनेक लोग आज भी खुद का घर नहीं होने के कारण किराए पर रहते हैं। कई लोग दूसरे शहर में नौकरी होने के कारण किराये पर घर या मकान लेकर रहते हैं।

ऐसे में कई बार किराएदार (tenant and landlord property rights) को मकान मालिक की मनमानी का शिकार होना पड़ता है। कभी किराए को लेकर तो कभी अन्य चीजों को लेकर इन दोनों में डिस्प्यूट (property dispute) होता ही रहता है। बता दें कि काननू में किराएदारों के अधिकार भी तय किए गए हैं। इन अधिकारों के बारे में किराएदारों व मकान मालिकों को भी जान लेना जरूरी है।

किराएदार के ये हैं कानूनी अधिकार-


1. कानून के अनुसार रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) में मकान मालिक व किराएदार के बीच कई बातों को लेकर समझौता होता है। इसमें लिखी समय सीमा से पहले मकान मालिक अपने घर से किराएदार को नहीं निकाल सकता।

अगर किराएदार (tenant rights) लगातार 2 माह तक किराया नहीं देता है और मकान मालिक अपनी प्रोपर्टी का यूज किसी अन्य काम के लिए करना चाहता है तो वह किरायेदार को घर खाली करने के लिए कह सकता है। बेशक इस बात का जिक्र रेंट एग्रीमेंट (home rent rules) में न हो। लेकिन ऐसे में किरायेदार का भी हक है कि उसे मकान मालिक की ओर से किराएदार को 15 दिनों का नोटिस देकर जानकारी दी जाए।

2. मूलभूत सुविधाएं मांग सकता है किराएदार-


किराएदार को बिना सूचित किए मकान मालिक (landlord property rights) घर का किराया नहीं बढ़ा सकता। इसके लिए उसे कम से कम तीन माह पहले नोटिस देकर किराएदार को सूचित करना होगा। बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधा भी मकान मालिक से प्राप्त करने का  किराएदार को अधिकार (tenant property rights) है। मकान मालिक इन सुविधाओं से इन्कार नहीं कर सकता। 

3. रेंट अथॉरिटी से संपर्क कर सकता है किराएदार-


रेंट एग्रीमेंट लागू होने के बाद मकान में कोई खराबी आती है तो उसे मकान मालिक (mkan malik ke adhikar) ठीक कराने की जिम्मेदारी लेगा। मकान मालिक मरम्मत के लिए असमर्थ है तो किराएदार मकान का किराया कम करने के लिए कहने का अधिकार रखता है। विवाद होने पर किराएदार (rent authority) रेंट अथॉरिटी से संपर्क साध सकता है।

4. मकान मालिक नहीं कर सकता दखलंदाजी-


किराएदार और मकान मालिक के बीच रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) के जरिये लिखित समझौता होना बेहतर रहता है। रेंट एग्रीमेंट के बाद मकान मालिक किराएदार को किसी तरह से परेशान या बार-बार डिस्टर्ब नहीं कर सकता। ऐसा करने पर किराएदार (kirayedar ke adhikar) अपने अधिकारों का उपयोग कर सकता है।  किराएदार घर में नहीं है तो मकान मालिक उसके घर या कमरे का ताला तोड़कर जबरन नहीं घुस सकता। न ही किराएदार के सामान को यहां वहां फेंक सकता।

5. किराए की रसीद लेने का किरायेदार को हक-


किराएदार मकान मालिक से हर माह किराए की रसीद (rent receipt) देने का हक रखता है। किराया लेने के बाद मकान मालिक समय से पहले किराएदार को अपने घर से निकालता है तो कोर्ट में रसीद को सबूत के तौर पर रखा जा सकता है। यहां तक कि मकान मालिक (landlord rights) को किराएदार के कमरे की मरम्मत करनी हो तो मकान मालिक को लिखित नोटिस देकर सूचित करना होगा।