Tenant Rights : अब मकान मालिक की नहीं चलेगी मनामनी, किराया बढ़ाने को लेकर क्या है कानून, किराएदार जान लें अपने 5 अधिकार
Tenant Rights : मकान मालिकों और किराएदारों के बीच आपसी बहस आम बात है. लेकिन कभी-कभी तो कोर्ट-कचहरी जाने की नौबत तक आ जाती है. ऐसे में आपके लिए जरूरी है इस कानून को जान लेना जो मकान मालिकों और किरायेदारों दोनों के हितों की रक्षा करता है... चलिए आइए नीचे खबर में विसतार से जान लेते है इस कानून से जुड़े सभी पहलुओं के बारे में-

HR Breaking News, Digital Desk- (Tenant Rights) भारत में, मॉडल टेनेंसी एक्ट 2021 मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच होने वाले विवादों को सुलझाने में मदद करता है. यह कानून दोनों पक्षों के हितों की रक्षा करता है और किरायेदार के कुछ अधिकारों को सुनिश्चित करता है. इस एक्ट का उद्देश्य किराये के घर और दुकान से जुड़े विवादों को कम करना है, ताकि कोर्ट-कचहरी जाने की ज़रूरत न पड़े.
इस कानून का उद्देश्य दोनों पक्षों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को बैलेंस करना, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है. ऐसे में आइए आपको नीचे खबर में बताते हैं कि आखिर इस कानून में किरायेदार को ऐसे कौन-से हक मिले हैं जिनका इस्तेमाल कर वह अपने हितों की रक्षा कर सकता है-
किरायेदारों के पास कई अधिकार-
सबसे पहले हर किरायेदारों को शांतिपूर्वक तरीके से किराये पर ली गई संपत्ति का आनंद लेने का अधिकार है. ऐसे में मकान मालिकों (landlords) को बिना किसी पूर्व सूचना के घर नहीं आ सकता है. किरायेदार की सहमति के बाद ही मकान मालिक निर्धारित समय पर विजिट कर सकता है.
सिक्योरिटी डिपॉजिट-
किरायेदार को मकान या दुकान खाली करने के बाद अपनी सिक्योरिटी डिपॉजिट (security deposit) वापस पाने का पूरा अधिकार है. मकान मालिक इसमें कोई आनाकानी नहीं कर सकता. यदि किरायेदार ने संपत्ति को सही स्थिति में रखा है और सभी बकाया चुका दिए हैं, तो मकान मालिक को डिपॉजिट तुरंत वापस करना होगा. किसी भी विवाद की स्थिति में, किरायेदार कानूनी सहायता ले सकता है.
किराया में बढ़ोतरी-
किरायेदार, अनुचित किराया वृद्धि को लेकर मकान मालिक के खिलाफ आवाज उठा सकता है. कानून के तहत मकान मालिकों को किराया बढ़ाने से पहले चर्चा करनी होगी और इसकी सूचना देनी होगी.
रेंट एग्रीमेंट की शर्तें-
किरायेदार, मकान मालिक को जरूरी नोटिस देकर अपना लीज या रेंट एग्रीमेंट समाप्त कर सकता है. मकान मालिक जाति, धर्म, लिंग, वैवाहिक स्थिति या खान-पान के आधार पर किरायेदारों के साथ भेदभाव नहीं कर सकते हैं. (rent aggrement rules)
जरूरी सेवाओं की आपूर्ति-
मकान मालिक किसी भी स्थिति में बिजली और पानी जैसी आवश्यक सेवाओं में कटौती नहीं कर सकते. अक्सर, किराये में देरी पर घर मालिक, किरायेदार के साथ ऐसा व्यवहार करने लगते हैं जो पूरी तरह से अनुचित है. अगर किरायेदारों (tenants rights) को लगता है कि उन्हें परेशान किया जा रहा है तो वे शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
किराया रोकना-
यदि कोई किरायेदार किसी बड़ी समस्या या खतरे के कारण संकट में है, तो वह किराया रोक सकता है. हालांकि, ऐसा करने के लिए उन्हें उचित कारण बताना होगा और इस बारे में मकान मालिक से पहले चर्चा करनी होगी.