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Noida प्राधिकरण के अफसरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात, 7.26 करोड़ के मुआवजे का है मामला

Noida News - हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण के अफसरों को लेकर बड़ी बात कही है। साथ ही आपको बता दें कि मुआवजा वितरण में हुए फर्जीवाड़े की जांच यूपी सरकार द्वारा न कराए जाने पर भी कोर्ट ने नाराजगी जताई है... कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से जानने के लिए खबर को पूरा पढ़े। 
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 HR Breaking News, Digital Desk-  सुपरटेक के ट्विन टावर मामले के बाद मुआवजा वितरण फर्जीवाड़े में सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण पर फिर तल्ख टिप्पणी की। इससे प्राधिकरण के अधिकारियों की भूमिका जांच के घेरे में आ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नोएडा प्राधिकरण के एक-दो अधिकारी नहीं, पूरा तंत्र ही भ्रष्टाचार में डूबा है। मुआवजा वितरण में हुए फर्जीवाड़े की जांच यूपी सरकार द्वारा न कराए जाने पर भी कोर्ट ने नाराजगी जताई है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि हमारे विचार में यह प्राधिकरण के एक या दो अधिकारियों के कहने पर नहीं किया जा सकता है। प्रथम दृष्टया संपूर्ण नोएडा सेटअप इसमें शामिल होता प्रतीत हो रहा है।

शीर्ष अदालत इस मामले में एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही है। आरोप है कि भूमि मालिकों को गलत तरीके से करोड़ों का मुआवजा दे दिया गया। इस प्रकरण में एफआईआर भी दर्ज हुई, लेकिन नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई। बेंच ने कहा कि यह मामला कोई अकेली घटना नहीं है। विशेष अनुमति याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। इस मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत नहीं दी-

मुआवजा वितरण फर्जीवाड़ा मामले में वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। वरिष्ठ वकील रवींद्र कुमार और एएजी अर्धेंदुमौली कुमार प्रतिवादियों की ओर से उपस्थित हुए। मामले में याचिकाकर्ता ने आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(ए) के तहत अपराध के लिए अग्रिम जमानत की मांग की। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 जनवरी, 2023 के आक्षेपित आदेश में सीआरपीसी की धारा 438 के तहत आवेदन को खारिज करते हुए कहा था, ‘‘उक्त तथ्य को देखते हुए, आरोपी आवेदक ने 7,26,80,427 रुपये के बड़े मुआवजे की सिफारिश की।

आरोपी आवेदक ने गलत आधार पर कहा कि मुआवजा देने की अपील हाईकोर्ट में लंबित थी। इस कोर्ट ने पाया कि आरोपी आवेदक द्वारा किए गए अपराध के लिए उसे अग्रिम जमानत देने की आवश्यकता नहीं है। आरोपी आवेदक ने कथित तौर पर नोएडा प्राधिकरण को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया है और खुद को और उक्त भूमि मालिक को गलत लाभ पहुंचाया है।’’

हाईकोर्ट ने गहन जांच का आदेश दिया था-

हाईकोर्ट की पीठ की राय थी कि मामले में गहन जांच और सच्चाई का पता लगाने के लिए किसी स्वतंत्र एजेंसी को संदर्भित करना आवश्यक है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा कोई जांच नहीं करवाने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी ज़ाहिर की। इस पर उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता ने राज्य सरकार से निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा है। अब पीठ ने मामले को 5 अक्टूबर, 2023 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि इस पूरे मामले की जांच किस एजेंसी से करवाई जाए।

सुपरटेक मामले में अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं-

सुपरटेक के ट्विन टावर मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों को लेकर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि प्राधिकरण के अधिकारियों के आंख-नाक, कान मुंह तक से भ्रष्टाचार टपकता है। वह बिल्डर के साथ संलिप्त है। इस टिप्पणी के बाद भी प्राधिकरण की खासी किरकिरी हुई थी औ मामले में शासन ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था, लेकिन अब तक इस प्रकरण में प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी है। सेक्टर-93ए स्थित एमरॉल्ड कोर्ट सोसाइटी में भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़े किए गए ट्विन टावर को ध्वस्त हुए पिछले 28 अगस्त को एक साल हो गया। लेकिन तब तक भी उनके निर्माण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी।